जैसलमेर का में एक कुआं ऐसा जो पांच हजार साल पुराना, जानिए, इसकी क्या है खासियत ?
Monday, Aug 26, 2024-02:25 PM (IST)
जैसलमेर, 26 अगस्त 2024 । आज पूरे देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है । भगवान श्री कृष्ण ने वैसे तो कई चमत्कार किए थे, लेकिन जैसलमेर में एक ऐसा चमत्कार किया था । जिससे यहां के लोगो की सदियों तक प्यास बुझी थी। जी हां अर्जुन को प्यास लगने पर श्रीकृष्ण भगवान ने जैसलमेर की त्रिकुट पहाड़ी पर अपने सुदर्शन चक्र से एक कुआं खोद दिया था । जिसे जैसलू कुएं का नाम दिया गया । जैसलमेर के सोनार किले में मौजूद जैसलू कुआं करीब 5 हजार साल से ज्यादा पुराना है। इस कुंए ने सदियों से जैसलमेर के बाशिंदों की प्यास बुझाई है। इसकी खासियत यह है, कि इसमें कभी भी पानी खत्म नहीं होता। बताया जाता है । कि साल 1965 के बाद से इस कुएं को बंद कर दिया गया, लेकिन कहते हैं आज भी इस कुए में पानी है।
अर्जुन की प्यास बुझाने के लिए भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से खोदा था जैसलू कुआं
जैसलमेर के इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा के अनुसार प्राचीन काल में मथुरा से द्वारिका जाने का रास्ता जैसलमेर से होकर निकलता था। एक बार भगवान श्रीकृष्ण व अर्जुन इसी रास्ते से द्वारिका जा रहे थे। जैसलमेर की इस त्रिकूट पहाड़ी पर जहां सोनार किला बना हुआ है, कुछ देर विश्राम करने के लिए रुके। इस दौरान अर्जुन को प्यास लगी और आसपास कहीं पानी नहीं था। तब श्रीकृष्ण भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से यहां पर कुआं खोद दिया और अर्जुन की प्यास बुझाई। उन्होंने बताया कि मेहता अजीत ने अपने भाटी नाम में लिखा, कि एक शिलालेख पर यह भविष्यवाणी लिखी थी कि "जैसल नाम का जदुपति, यदुवंश में एक थाय, किणी काल के मध्य में, इण था रहसी आय" इसका तात्पर्य यह है, कि जैसल नाम का राजा यहां आकर अपनी राजधानी बनाएगा। ऐसा ही हुआ। इस त्रिकूट गढ़ पर महारावल जैसल ने संवत 1212 में सोनार दुर्ग की नींव रखी और विशाल दुर्ग बनाया। उन्हें पहाड़ी पर पहले से ही स्थित कुआं मिल गया। इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन समय में पहले पानी की व्यवस्था देखी जाती और उसके बाद बस्ती बसाई जाती थी।
सोनार किले में आज भी मौजूद है जैसलू कुआं
पानी की कीमत जैसलमेर के बुजुर्ग अच्छे से जानते हैं। यहां बारिश नहीं होती थी। ऐसे में हमेशा पानी का संकट रहता था। प्राचीन काल में सोनार किले के बाशिंदे जैसलू कुंए से और शहरवासी गड़ीसर तालाब से अपनी प्यास बुझाते थे। इतिहासकारों के अनुसार 1965 तक यह कुआं चालू स्थिति में था। जैसलमेर में बारिश की कमी के चलते हमेशा पानी की कमी रहती थी। इस वजह से हर गांव व शहर में प्राचीन बेरियां व कुएं मौजूद हैं। इनकी बनावट ऐसी है, कि ये सब तालाबों के आसपास बने हुए हैं । तालाब में आने वाला बारिश का पानी ही इन बेरियों व कुओं में पहुंच जाता था और यहां के लोग साल भर तक उस पानी का उपयोग करते थे।
त्रिकूट पहाड़ी पर स्थित है जैसलू कुआं
महाभारत काल में सरस्वती नदी का भी वर्णन है। बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने त्रिकूट गढ़ पर अपने सुदर्शन चक्र से जैसलू कुंए को खोदा था, तो इसमें सरस्वती नदी का पानी निकला था। जैसलमेर में सरस्वती नदी के बहाव क्षेत्र को तलाश करने के लिए अभी भी कई विशेषज्ञ जुटे हुए हैं। कई प्रमाण ऐसे मिल चुके हैं, जिससे यह साबित हो चुका है कि सरस्वती नदी इसी इलाके से बहती थी।
इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा बताते हैं कि जैसलू कुंए के बारे में विभिन्न तारीखों व शिलालेखों में यही लिखा है, कि श्रीकृष्ण ने अपने मित्र अर्जुन की प्यास बुझाने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से इसे खोदा था। यह करीब 5 हजार साल से भी अधिक पुरानी घटना है। इसके बाद महारावल जैसल ने इस त्रिकूट पहाड़ी पर सोनार दुर्ग का निर्माण करवाया था।