''''कौन राधामोहन? ज़्यादा चूं- चपड़ करेगा तो राजस्थान में जूते खायेगा''''

Wednesday, Nov 27, 2024-04:20 PM (IST)

राजस्थान की राजनीति में हाल ही में खींवसर उपचुनाव के परिणामों के बाद जो सियासी विवाद उभरा है, उसने राज्य के राजनीतिक माहौल को काफी गर्म कर दिया है। यह विवाद भाजपा के राजस्थान प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के नेता हनुमान बेनीवाल के बीच हुआ। खींवसर विधानसभा क्षेत्र में हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल की हार के बाद राधा मोहन अग्रवाल ने एक विवादास्पद बयान दिया, जिसे लेकर हनुमान बेनीवाल ने तीखा पलटवार किया है। इस पूरी घटनाक्रम से राज्य की राजनीति में तनाव का माहौल बन गया है और यह सियासी जंग आगामी चुनावों की दिशा को प्रभावित कर सकती है। 

हमने एक चूहे को शेर बना दिया था - राधा मोहन अग्रवाल 

खींवसर उपचुनाव में हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल को भाजपा के उम्मीदवार रेवंत राम डांगा से हार का सामना करना पड़ा। जीत के बाद भाजपा के प्रभारी राधा मोहन अग्रवाल ने एक बयान में कहा, "हमने एक चूहे को शेर बना दिया था, लेकिन खींवसर की जनता ने उसे फिर से चूहा बना दिया है।" राधा मोहन का यह बयान सीधे तौर पर हनुमान बेनीवाल और उनकी पार्टी RLP पर था। उनका कहना था कि खींवसर में RLP की हार भाजपा की बड़ी जीत थी, क्योंकि कांग्रेस और RLP के वोटों को पीछे छोड़ते हुए भाजपा ने इस सीट पर जीत हासिल की। 

राधा मोहन के इस बयान ने राज्य में सियासी हलचल पैदा कर दी। उन्होंने यह भी कहा था कि खींवसर की जनता ने उन्हें यह एहसास दिलाया कि जो नेता कभी शेर बनकर उभरा था, उसे फिर से चूहा बना दिया गया। यह बयान केवल एक चुनावी जीत की खुशी नहीं बल्कि एक प्रकार का अपमान भी था, जिसे हनुमान बेनीवाल और उनके समर्थकों ने बहुत गंभीरता से लिया। 

अगर वह ज्यादा चूं-चपड़ करेंगे तो राजस्थान में जूत खाएंगे - हनुमान बेनीवाल 

राधा मोहन अग्रवाल के बयान पर हनुमान बेनीवाल ने जवाब देते हुए कहा, "मैं नहीं जानता राधा मोहन अग्रवाल कौन हैं, लेकिन अगर वह ज्यादा चूं-चपड़ करेंगे तो राजस्थान में जूत खाएंगे। RLP के समर्थक उन्हें जूते मारेंगे।" बेनीवाल का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं था, बल्कि इसमें राजनीतिक तंत्र और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ उनकी चिंता भी थी। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग हुआ था, बावजूद इसके उनकी पार्टी ने 15,000 वोट ज्यादा प्राप्त किए थे।

बेनीवाल ने हार के बावजूद लोकतंत्र का सम्मान करते हुए कहा कि यह हार जनता के जनादेश का हिस्सा है, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस ने मिलकर इस चुनाव को उनके खिलाफ लड़ा था। इस बयान से यह भी साफ हुआ कि हनुमान बेनीवाल अपनी हार को सत्ता की हेराफेरी के रूप में देख रहे थे और वह आगामी चुनावों में अपनी पार्टी को और मजबूत करने का इरादा रखते हैं। 

राजस्थान की सियासत में टकराव का असर 

राजस्थान की सियासत में यह विवाद एक नई दिशा दिखा रहा है। भाजपा और RLP के बीच यह टकराव आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। जब भी कोई राजनीतिक दल इस तरह के तीखे बयानों और आरोपों का सामना करता है, तो यह न केवल उन दोनों दलों के रिश्तों को प्रभावित करता है, बल्कि राज्य के पूरे राजनीतिक माहौल को भी बदल देता है। इस मामले में हनुमान बेनीवाल की प्रतिक्रिया ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी और भाजपा के बीच राजनीतिक संघर्ष और बढ़ेगा।

राज्य में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों को देखते हुए यह विवाद बहुत अहम हो जाता है। दोनों दलों के बीच यह विवाद और तनाव अब केवल चुनावी प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे राज्य की राजनीति को प्रभावित करेगा। RLP के नेता हनुमान बेनीवाल ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी पार्टी के लिए संघर्ष करते रहेंगे और जनहित के मुद्दों पर हमेशा अपनी आवाज उठाते रहेंगे।

आगामी दिनों में तेज हो सकती है बयानबाजी 

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद राजस्थान की राजनीति में एक नए चरण की शुरुआत हो सकता है। हनुमान बेनीवाल की प्रतिक्रिया से यह साफ है कि उनकी पार्टी आगामी चुनावों में भाजपा के खिलाफ मजबूती से खड़ी होगी। वहीं, राधा मोहन अग्रवाल का बयान और उनकी पार्टी की जीत से भाजपा यह साबित करना चाहती है कि वह राजस्थान में मजबूत स्थिति में है।

यह सियासी टकराव और बयानबाजी अगले कुछ महीनों में और भी तेज हो सकती है, क्योंकि राजस्थान में राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप की कोई कमी नहीं रही है। वहीं, यह भी देखा जाएगा कि जनता इस सियासी जंग को किस तरह से देखती है।


Content Editor

Raunak Pareek

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