इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के बयान पर विवाद
Thursday, Dec 12, 2024-04:26 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज के बयान पर विवाद
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव की एक टिप्पणी ने देश में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। उनके बयान के बाद महाभियोग की मांग उठ रही है।
सांसद राजकुमार रोत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत आदिवासी पार्टी के बांसवाड़ा से सांसद राजकुमार रोत ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने जज की एक वीडियो क्लिप ट्वीट करते हुए लिखा:
"यदि हाई कोर्ट के जज ही धार्मिक जहर फैलाने का काम करेंगे, तो देश के मुस्लिम, दलित, आदिवासी और गरीब तबके के लोग न्याय के लिए कहाँ जाएंगे? इस तरह के बयान देश की एकता और अखंडता को तोड़ने का काम कर रहे हैं। संविधान की धारा 124(4) के तहत इस तरह के गैरजिम्मेदार बयान पर संसद में महाभियोग लाया जाएगा।"
राजकुमार रोत ने इस बयान को संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताते हुए इसे गंभीर मामला करार दिया।
विवाद का कारण: जज का बयान
यह विवाद 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक कार्यक्रम में जस्टिस यादव द्वारा दिए गए बयान से शुरू हुआ। उन्होंने "समान नागरिक संहिता: एक संवैधानिक जरूरत" विषय पर सभा को संबोधित करते हुए कहा:
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"देश को हिंदुओं, जो बहुसंख्यक हैं, की इच्छाओं के अनुसार चलना चाहिए और आगे भी ऐसा ही होगा।"
- "मैंने शपथ ली है कि समान नागरिक संहिता जल्द ही देश में लागू होगी।"
उन्होंने अयोध्या मंदिर निर्माण के लिए हिंदू पूर्वजों के बलिदानों का जिक्र करते हुए समान नागरिक संहिता की अहमियत को रेखांकित किया।
जस्टिस यादव ने आगे कहा:
- "यह कहने में कोई गुरेज़ नहीं है कि यह हिंदुस्तान है। हिंदुस्तान में बहुसंख्यक समुदाय की इच्छाओं के अनुसार ही देश चलेगा। यही कानून है। परिवार और समाज में भी बहुसंख्यक की राय को महत्व दिया जाता है।"
राजनीतिक और सामाजिक बहस
जज के बयान ने तीखी राजनीतिक और सामाजिक बहस छेड़ दी है।
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विपक्ष की प्रतिक्रिया:
विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने इसे संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ बताया। - समर्थन:
वहीं, समर्थकों का मानना है कि जज ने समान नागरिक संहिता की आवश्यकता पर बल दिया है
संसद में महाभियोग लाने की तैयारी
संविधान की धारा 124(4) के तहत सांसद राजकुमार रोत ने जज के खिलाफ महाभियोग लाने की बात कही है।
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महाभियोग के लिए सांसदों का समर्थन जुटाने का प्रयास किया जा रहा है।यह मामला संसद में गर्म बहस का विषय बन सकता है।।