घर देने वाले गणेश के नाम से मशहूर है चूंधी गणेश मंदिर, गणेश चतुर्थी पर स्पेशल स्टोरी
Saturday, Sep 07, 2024-03:11 PM (IST)
जैसलमेर, 7 सितंबर 2024 । गणेश चतुर्थी का पर्व आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है । जैसलमेर के चुंधी गणेश मंदिर में आज हजारों की संख्या में श्रद्धालु पैदल यात्रा कर गणपति बप्पा के दर्शन करने के लिए जा रहे है। अल सुबह 3:30 बजे से पैदल जाने वाले भक्तों का तांता लगा हुआ है। पैदल जाने वाले भक्तों में बड़े बुजुर्गों से लेकर पुरुष, महिलाएं, युवाओें सहित बालक-बालिकाएं भी शामिल हैं। जैसलमेर के रिद्धि सिद्धि विनायक मंदिर से पैदल यात्रा शुरु कर भक्त चुंधी गणेश पहुचेंगे। आज दिनभर में 50 हजार से अधिक लोग चुंधी मेले का हिस्सा बनेंगे तो वही पैदल जाने वालों की तादाद भी 15 से 20 हजार होगी।
अगर किसी को नया घर खरीदना हो या फिर बनवाना हो तो वह या तो किसी बिल्डर के पास जाएगा या फिर किसी मजदूरों व कारीगरों की टीम से संपर्क करेगा जो कि घर बनाती हो । लेकिन जैसलमेर में यह काम भगवान के भरोसे छोड़ा हुआ है, सुनने में यह जरूर अटपटा लगेगा, लेकिन यह सच्चाई है। जैसलमेर से 15 किलोमीटर दूर स्थित भगवान गणेश जी का एक ऐसा मंदिर स्थित है, जो कि भक्तों को घर प्रदान करता है। दूर-दूर से भक्त यहां भगवान के दर्शनों के लिए आते हैं और भगवान के समक्ष अपने आशियाने की मनोकामना प्रकट करते हैं और गणेश जी इस मनोकामना को पूरा भी करते हैं । यह केवल मान्यता मात्र नहीं हैं यहां पर आने वाले भक्तों को भगवान बाकायदा घर दिए भी हैं और यह इसी का परिणाम ही है कि यहां आने वाले दर्शानार्थियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
वहीं जैसलमेर की स्थापना से भी पुराने इस मंदिर के इतिहास के बारे में अगर बात करें तो पता लगता है कि करीब 1500 वर्ष से भी पुराना है । यह मंदिर और उस काल में चंवद ऋषि द्वारा यहां 500 वर्ष तक तप किया था । इसलिए इस स्थान का नाम चूंधी पड़ा था, इतना ही नहीं विभिन्न समय काल में विभिन्न ऋषि मुनियों ने यहां तपस्या कर इस स्थान के तप को बढ़ाया है और इसी का परिणाम है, कि आज यहां आने वाले दर्शनार्थियों को यहां आने के बाद शांति व सुकून प्राप्त होता है और प्राप्त होती है । उन मनोकामनाओं की पूर्ति जो वे लोग मन में लेकर आते हैं। बरसाती नदी के बीच बना यह मंदिर देशभर के मंदिरों में अपनी विशेष पहचान रखता है और इसका कारण यह भी है कि भारत में ऐसे कम ही मंदिर है जो कि किसी नदी के बीच बने हुए हो । चूंधी गणेश जी की महिमा को और अधिक बढ़ाने वाली बात यह भी है कि यहां पर स्थित गणेश जी की प्रतिमा को न तो किसी कारीगर ने बनवाया था और न ही किसी ने यहां पर इनकी प्राण प्रतिष्ठा की थी, इस मूर्ति के बारे में मान्यता यह है, कि यह प्रतिमा स्वयं भू ही प्रकट हुई थी। और नदी के बीच होने के कारण बरसात के दिनों में कई बार ऐसा होता है कि गणेश जी की प्रतिमा पानी में डूबी होती हैं । इसलिए मूर्ति के बारे में यह मान्यता भी है कि प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी से पहले बारिश होती है और सभी देवता मिल कर गणेश जी का जलाभिषेक करते हैं। मंदिर के दोनों तरफ दो कुंए स्थापित हैं। इन कुओं के बारे में कहा जाता है की इन कुओं में हरिद्वार में बहने वाली मां गंगा का जल आता है ।
क्योंकि किवदंती है कि एक श्रद्धालु भक्त के रिश्तेदार हरिद्वार में गंगा स्नान कर रहे थे और वह स्वयं चूंधी के इस कुएं के समक्ष तपस्या कर रहे थे। स्नान करते समय उनके रिश्तेदार के हाथ से कंगन निकल कर गंगा में बह गया। कंगन बहता-बहता चूंधी में आ गया। ऐसा भी माना जाता है कि वर्ष में एक बार इन कुओं में गंगा का पानी प्रकृति के तौर पर आ जाता है। गणेश जी के मंदिर के सामने राम दरबार का मंदिर है। जिसमें श्रीराम अपनी भार्या माता सीता, भ्राता लक्ष्मण और अपने परम प्रिय हनुमान जी संग विराजते हैं । भगवान श्री कृष्ण अपने बाल रूप में पालने में विराजित हो मंदिर में आने वाले भक्तों से झूला झूलते हैं। इस मंदिर के ठीक सामने शिव मंदिर है । करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के आने के अनुमान को देखते हुए कोई अप्रिय घटना घटित नहीं हो, इसके लिए पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए हुए है । दर्शनार्थियों की लम्बी में कोई जेबकतरा या चोर हाथ साफ नहीं कर सके इसके लिए कतारों के बीच में महिला व पुरुष पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। तथा पैदल यात्रियों के साथ कोई अनहोनी नहीं हो । इसके लिए ट्रैफिक पुलिस द्वारा रुट डाइवर्ट करके वाहनों को दूसरे मार्ग से भेज रहे हैं।
मेले की तैयारियों को लेकर चूंधी गणेश मंदिर समिति द्वारा पिछले कई दिनों से बैठकों का आयोजन किया जा रहा था। अनुमानित करीब 50 हजार श्रद्धालुओं आने को लेकर पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। करीब 20 हजार लोगों के लिए प्रसादी की व्यवस्था की जा रही है।