आखिर क्यों फूटा भजनलाल सरकार पर गहलोत का गुस्सा
Tuesday, Feb 11, 2025-02:14 PM (IST)
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भजनलाल सरकार पर योजना के नाम बदलने पर भड़के गहलोत !
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई मंगला पशु बीमा योजना (Mangla Pashu Bima Yojana) को अव्यवहारिक करार देते हुए इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि यह योजना पशुपालकों के लिए व्यावहारिक नहीं है और उनमें इस योजना को लेकर कोई विशेष रुचि नहीं देखी जा रही है। उन्होंने इस योजना की तुलना कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चलाई गई कामधेनु पशु बीमा योजना (Kamdhenu Pashu Bima Yojana) से की और बताया कि पिछली योजना अधिक प्रभावी और लोकप्रिय थी।
कामधेनु पशु बीमा योजना की विशेषताएं
गहलोत ने अपनी पोस्ट में बताया कि उनकी सरकार के दौरान कामधेनु पशु बीमा योजना शुरू की गई थी, जिसमें प्रत्येक पशुपालक के दो पशुओं का बीमा 40,000 रुपये प्रति पशु के हिसाब से नि:शुल्क किया जाता था। इस योजना का लक्ष्य 20 लाख पशुओं का बीमा करने का था, लेकिन इसकी लोकप्रियता इतनी अधिक थी कि 80 लाख पशुओं का पंजीकरण हो गया।
सरकार ने सभी पंजीकृत पशुओं को बीमा सुरक्षा देने का निर्णय लिया और इसके लिए सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया था। लेकिन विधानसभा चुनावों के दौरान लागू आचार संहिता के चलते इस योजना पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी गई। गहलोत ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि नई सरकार ने इस योजना को पुनः शुरू करने के बजाय इसे पूरी तरह से बंद कर दिया और इसके स्थान पर मंगला पशु बीमा योजना लागू कर दी।
मंगला पशु बीमा योजना पर उठे सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री ने मंगला पशु बीमा योजना की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें लॉटरी के जरिए लाभार्थियों का चयन किया जाता है, जो कि पूरी तरह से अव्यवहारिक है। उन्होंने कहा कि यह चयन प्रक्रिया उचित नहीं है क्योंकि इससे जरूरतमंद पशुपालकों को सही लाभ नहीं मिल पा रहा है।
गहलोत ने भाजपा सरकार से आग्रह किया कि योजना को अधिक सरल और व्यावहारिक बनाया जाए ताकि अधिक से अधिक पशुपालकों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार कामधेनु योजना को बहाल करने पर विचार करे ताकि पशुपालकों को वास्तविक फायदा मिल सके।
पशुपालकों की प्रतिक्रिया
राजस्थान के पशुपालकों की प्रतिक्रिया भी मंगला योजना को लेकर मिली-जुली रही है। कई पशुपालकों ने बताया कि नई योजना के तहत लॉटरी सिस्टम की वजह से वे इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, जबकि कामधेनु योजना के तहत सभी पात्र पशुपालकों को फायदा मिलता था। पशुपालकों का मानना है कि लॉटरी सिस्टम की जगह यदि पहले की तरह सीधा बीमा कवर दिया जाए, तो यह अधिक लाभदायक होगा।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों और पशुपालन क्षेत्र से जुड़े जानकारों का मानना है कि किसी भी सरकारी योजना की सफलता उसकी सुलभता और समावेशिता पर निर्भर करती है। यदि कोई योजना पशुपालकों को आसानी से समझ में आए और वे उसे अपनाने में सहज महसूस करें, तो उसका प्रभावी होना स्वाभाविक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कामधेनु योजना में सरकारी सहायता से बीमा दिया जाता था, जिससे पशुपालकों को कोई वित्तीय बोझ नहीं उठाना पड़ता था। इसके विपरीत, मंगला योजना में चयन की प्रक्रिया कठिन होने और लाभार्थियों की संख्या सीमित होने से यह प्रभावी साबित नहीं हो रही है।
सरकार की सफाई
वहीं, राज्य सरकार ने मंगला पशु बीमा योजना का बचाव करते हुए कहा है कि यह योजना पशुपालकों को दीर्घकालिक लाभ देने के उद्देश्य से लागू की गई है। सरकार का तर्क है कि लॉटरी सिस्टम का मकसद पारदर्शिता बनाए रखना है और सभी पशुपालकों को समान अवसर देना है। सरकार ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में योजना को और प्रभावी बनाने के लिए कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
अशोक गहलोत द्वारा उठाए गए सवालों के बाद राजस्थान में पशु बीमा योजनाओं को लेकर नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दल इस मुद्दे को अपने-अपने तरीके से देख रहे हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिरकार इस बहस का लाभ किसे मिलेगा – पशुपालकों को या राजनीतिक दलों को? यह आने वाले समय में साफ होगा।