नेपाल अब भी हिन्दू राष्ट्र, बांग्लादेश में कट्टरपंथ हावी- उपेन्द्र यादव

Friday, Mar 07, 2025-01:11 PM (IST)

पंजाब केसरी जयपुर मुख्यालय में नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेन्द्र यादव आए। इस मौक़े पर भारत-नेपाल व अन्य देशों के साथ संबंधों को लेकर बेबाक बात की। पढ़िए नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री उपेन्द्र यादव की पंजाब केसरी टीवी डिजिटल के स्टेट एडिटर विशाल सूर्यकांत से एक्सक्लूसिव चर्चा के कुछ अंश....

सवाल :  सबसे पहले, आप राजस्थान, विशेष रूप से जयपुर आए हैं, इसकी क्या वजह रही?

जवाब : राजस्थान और नेपाल का संबंध ऐतिहासिक और गहरा है। यहां के लोग व्यापार, उद्योग और अन्य क्षेत्रों में नेपाल से जुड़े रहे हैं। इसके अलावा, मैं एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में भाग लेने आया हूं और इसी दौरान आप सबसे मिलने का अवसर मिला।

सवाल: भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध बहुत मजबूत हैं, लेकिन राजनीतिक रूप से अक्सर उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। आप इसे कैसे परिभाषित करेंगे?

जवाब : नेपाल और भारत का संबंध सिर्फ कूटनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषाई और सामाजिक स्तर पर भी बहुत गहरा है। हालांकि, राजनीति में कभी-कभी उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच विशेष संबंध बने रहेंगे।

सवाल: भारत में यह धारणा बनती रहती है कि नेपाल कभी चीन के नजदीक जाता है तो कभी भारत से दूरी बढ़ती है। आप इसे कैसे देखते हैं?

जवाब : नेपाल और चीन पड़ोसी हैं, हमारे उनके साथ कूटनीतिक संबंध हैं, लेकिन भारत से हमारे संबंध विशिष्ट और ऐतिहासिक हैं। भारत और नेपाल के बीच "रोटी-बेटी" का रिश्ता है, जो किसी और देश से नहीं हो सकता।

सवाल : नेपाल की राजनीति में चीन का प्रभाव बढ़ने की खबरें आती रहती हैं। क्या नेपाल में भारत और चीन के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है?

जवाब : नेपाल की राजनीति में कई धाराएं हैं, जिनमें वामपंथी दलों का झुकाव ऐतिहासिक रूप से चीन की ओर रहा है। लेकिन लोकतांत्रिक गणराज्य होने के नाते, नेपाल की प्राथमिकता हमेशा राष्ट्रीय हित और संतुलित विदेश नीति रही है।

सवाल : भारत-नेपाल सीमा विवाद समय-समय पर चर्चा में रहता है, खासकर सुस्ता और महाकाली क्षेत्रों को लेकर। इस पर आपकी राय?

सवाल:  जब मैं विदेश मंत्री था, तब इन मुद्दों पर चर्चा हुई थी। कुछ स्थानों पर सीमांकन स्पष्ट नहीं है, खासकर नदियों के प्रवाह बदलने के कारण। नेपाल और भारत को राजनीतिक स्तर पर आपसी सहमति से इनका स्थायी समाधान निकालना चाहिए।

सवाल :  भारत में यह धारणा बनती रही है कि नेपाल की सीमा का इस्तेमाल भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाता है। इस पर नेपाल सरकार का क्या रुख है?

जवाब : नेपाल की नीति हमेशा स्पष्ट रही है कि उसकी भूमि का इस्तेमाल किसी भी पड़ोसी देश, विशेषकर भारत के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा। नेपाल और भारत के सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय भी बना रहता है।

सवाल : वैश्विक राजनीति में एशिया की भूमिका लगातार बढ़ रही है। भारत,अमेरिका और चीन के बीच शक्ति संतुलन को आप कैसे देखते हैं?

जवाब: पहले वैश्विक शक्ति संतुलन अमेरिका और सोवियत संघ के बीच था, लेकिन अब एशिया, खासकर भारत और चीन, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। दुनिया का शक्ति केंद्र धीरे-धीरे एशिया की ओर स्थानांतरित हो रहा है।

सवाल : सार्क (SAARC) संगठन अब निष्क्रिय सा लगता है। आपको क्या लगता है, इसकी विफलता के पीछे क्या कारण हैं?

जवाब : जब तक भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सामान्य नहीं होंगे, तब तक सार्क प्रभावी रूप से आगे नहीं बढ़ पाएगा। भारत इस संगठन का अग्रणी सदस्य है, लेकिन पाकिस्तान के अड़ियल रवैये के कारण यह ठप पड़ा हुआ है।

सवाल : नेपाल पहले एक हिंदू राष्ट्र था, अब एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। नेपाल में हिंदुत्व की क्या स्थिति है?

जवाब : नेपाल में आज भी 85% से अधिक आबादी हिंदू है। हमारे संविधान में सनातन धर्म का उल्लेख है। नेपाल धर्मनिरपेक्ष है, लेकिन धर्म-विहीन नहीं है। यहां सभी धर्मों के प्रति समान दृष्टिकोण रखा गया है। ये हिन्दूओं की उदारता है कि बाकी धर्मों को साथ लेकर हम चल रहे हैं. नेपाल आदिकाल से सनातनी ही रहा है.

प्रश्न:  बांग्लादेश के हालात से सभी वाकिफ है. वहां जिस तरह से घटनाक्रम बदलें हैं भारत में चिंता है. क्या नेपाल में भी इसे लेकर कोई चर्चा है ?

उत्तर: भारत और बांग्लादेश दोनों को इस पर ध्यान देना चाहिए। सीमा सुरक्षा को मजबूत बनाना जरूरी है, लेकिन साथ ही, व्यापार और लोगों की आवाजाही को सुगम बनाने के उपाय भी करने चाहिए। बांग्लादेश में कट्टरपंथ सिर्फ बांग्लादेश के लिए नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरा है। वहां लोकतंत्र अब बचा नहीं, इसे संभालना होगा. 

सवाल :  भारत-नेपाल संबंधों को मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

उत्तर: भारत और नेपाल को आपसी संवाद बढ़ाना चाहिए, सीमा विवादों को राजनीतिक स्तर पर सुलझाना चाहिए और आर्थिक सहयोग बढ़ाना चाहिए। हमारे संबंध ऐतिहासिक हैं और इन्हें और मजबूत करना हम दोनों देशों के हित में है।


Content Editor

Ishika Jain

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News