403 भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पेंडिंग
Thursday, Feb 06, 2025-12:52 PM (IST)
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राजस्थान में भ्र्ष्ट अधिकारियों पर पेंडिंग कार्रवाई पर विधानसभा में जमकर बोले मंत्री
राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र (Rajasthan Budget Session) में गुरुवार को पूर्व भाजपा मंत्री कालीचरण सराफ (Kalicharan Saraf) ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा पिछले तीन साल में पकड़े गए भ्रष्ट अधिकारी/कर्मचारियों का डेटा सरकार से मांगा। उन्होंने यह भी पूछा कि 31 दिसंबर 2024 तक कितने मामलों में ACB ने अभियोजन स्वीकृति के लिए सरकार से अनुरोध किया है और उनका वर्तमान स्टेटस क्या है?
403 भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई पेंडिंग
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इस प्रश्न के जवाब में सदन में बताया कि 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2024 तक राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो ने कुल 1592 भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी। इनमें से 1189 अधिकारियों के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी जा चुकी है, जबकि 403 भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की स्वीकृति अभी भी लंबित है।
3 महीने के अंदर जवाब क्यों नहीं दिया गया?
कालीचरण सराफ ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश के विजिलेंस कमिश्नर ने सभी विभागों के विभागाध्यक्षों (HOD) को पत्र लिखकर अधिकतम तीन महीनों के भीतर अभियोजन स्वीकृति देने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद यह प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं हुई? देरी की मुख्य वजह क्या रही?
मंत्री ने बताया कहां और क्यों लगता है समय
मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि अभियोजन स्वीकृति से पहले संबंधित दस्तावेजों के सत्यापन में समय लगता है। मुख्य रूप से संबंधित विभागों से दस्तावेज प्राप्त करने में देरी होती है। कई मामलों में कोर्ट द्वारा स्टे ऑर्डर दिए जाते हैं, जिससे प्रक्रिया बाधित होती है। इसके अलावा, कुछ आरोपी कर्मचारी अनुबंध पर कार्यरत होते हैं या उनकी मृत्यु हो चुकी होती है, जिससे जांच में जटिलताएं उत्पन्न होती हैं।
मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव स्तर पर इन मामलों की लगातार समीक्षा की जा रही है। 1592 मामलों में से 403 मामलों में अभियोजन की स्वीकृति अभी भी विभागाध्यक्षों (HOD) से पेंडिंग है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गजेटेड अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति कार्मिक विभाग (DOP) द्वारा दी जाती है, जबकि नॉन-गजेटेड अधिकारियों के मामलों में यह स्वीकृति संबंधित विभागों के HOD द्वारा दी जाती है।