राजसमन्द की गुफा में बसा 1000 वर्षीय अखण्ड इतिहास – गुप्तेश्वर महादेव मंदिर
Friday, Jul 11, 2025-05:06 PM (IST)

राजसमंद: आस्था का अद्भुत केंद्र, 1000 साल पुराना स्वयंभू शिवलिंग जहां भक्तों की मनोकामनाएं होती हैं पूरी
राजसमंद: सावन का महीना, शिव भक्तों के लिए खास होता है और ऐसे में राजसमंद स्थित श्री गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में भक्ति की एक अलग ही लहर देखने को मिल रही है। यह प्राचीन मंदिर करीब 1000 साल पुराने स्वयंभू शिवलिंग और अपनी रहस्यमयी गुफा के लिए जाना जाता है। सावन के पहले दिन ही, हजारों की संख्या में श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए यहाँ पहुँच रहे हैं।
मनोवांछित वर देती है यह आस्था
मंदिर को लेकर एक खास मान्यता है कि यहाँ कुंवारी कन्याएं सोलह सोमवार का व्रत रखकर पूजा करती हैं, जिससे उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। मंदिर तक पहुँचने का रास्ता भी एक अनोखा अनुभव है। भक्तों को लगभग 135 फीट लंबी गुफा से होकर जाना पड़ता है, जिसके अंत में शिव परिवार विराजमान हैं। समय के साथ, गुफा में बिजली और हवा की व्यवस्था भी की गई है, ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो। गुफा के बाहर हनुमान जी और संतोषी माता के मंदिर भी हैं।
झील का पानी करता है शिवलिंग का जलाभिषेक
इस मंदिर की एक और सबसे खास बात यह है कि यह राजसमंद झील के किनारे स्थित है, जो एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मीठे पानी की कृत्रिम झील है। जब झील का जलस्तर बढ़ता है, तो पानी अपने आप गुफा के भीतर पहुँचकर शिवलिंग का जलाभिषेक करता है। करीब 33 फीट पानी की क्षमता वाली यह झील जब लबालब भर जाती है, तो शिवलिंग पूरी तरह से जलमग्न हो जाता है। यह दृश्य भक्तों के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है।
भारत के प्राचीन 7 मन्दिरो में से 1 मन्दिर
स्वयं भू शिवलिंग के प्रथम दर्शन तपस्वी संत श्री गुप्त गिरीजी को विक्रम संवत 1107 श्रावण सुद 13 को हुए । शिवलिंग की संतने बालेश्वर महादेव के नाम से सेवा पुजा प्रांरम्भ कीजो 11 वर्ष के बाद मेवाड़ के महाराणा राजसिंह जी ने जब राजसमंद झील की पाल बनवाई तब वि.सं. 1718 में मन्दिर का जिर्णोधार एवं 135 फीट गुफा का निर्माण करवाया उस समय के पुजारी श्री ब्राम्हामण गिरी जीने साधु संतो की उपस्थिती में श्री द्वारिकाधीश तिलकायत श्री गिरधर जी से नामांकरण करवा कर श्री बालेश्वर कोअमरनाथ पंचमुखी सांवरिया स भव्य नाव श्रावणः भादव देव का प्राचीन मन्दिर है श्री गुप्तेश्वर महादेव जी का नाम दिया शिव परिवार रिद्धी-सिद्धी गणपति सहित विराजमान
मुगल आक्रमण के समय हुआ था चमत्कार
मंदिर के पुजारी लोकेश गिरि के अनुसार, यह शिवलिंग करीब 975 साल पुराना है। इसका पहला दर्शन तपस्वी संत श्री गुप्त गिरीजी को विक्रम संवत 1107 में हुआ था। बाद में मेवाड़ के महाराणा राजसिंह जी ने 1718 में मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और 135 फीट लंबी गुफा का निर्माण करवाया।
पुजारी बताते हैं कि एक पौराणिक कथा के अनुसार, मुगल आक्रमण के समय जब मुगल सेना इस क्षेत्र में पहुँची, तो गुफा के भीतर मौजूद साधु-संतों ने अपनी योग विद्या का सहारा लिया। इससे पूरी मुगल सेना के पेट में असहनीय दर्द शुरू हो गया, जिसके बाद उन्हें वहाँ से भागना पड़ा। पुजारी का दावा है कि यह मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का केंद्र रहा है, जिसने हर मुश्किल घड़ी में अपनी दिव्यता का परिचय दिया है।
आज सावन के पहले सोमवार पर, भक्तों की लंबी कतारें इस प्राचीन मंदिर के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शा रही हैं। हर कोई बस भोलेनाथ के दर्शन कर अपने जीवन को सफल बनाना चाहता है।