20 हजार से अधिक लोग खोये महाकुम्भ में , फिर भी मिल गए वापस

Saturday, Feb 15, 2025-07:54 PM (IST)

महाकुंभ: ऐतिहासिक आयोजन में डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की सफलता

महाकुंभ अपने भव्य स्वरूप और 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व उपस्थिति के साथ एक ऐतिहासिक आयोजन बन चुका है। इस दिव्य और विशाल आयोजन को सुरक्षित व सुव्यवस्थित बनाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कई महत्वपूर्ण पहल की हैं।

इस बार महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए योगी सरकार ने डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की स्थापना की, जिससे अब तक 20,144 से अधिक बिछड़े हुए श्रद्धालु अपने परिजनों से पुनर्मिलित हो चुके हैं। इन श्रद्धालुओं में महिलाओं की संख्या भी काफी अधिक रही। पुलिस प्रशासन ने देश के विभिन्न राज्यों और नेपाल से आए श्रद्धालुओं को भी उनके परिवारों से मिलाने में सफलता प्राप्त की है।

भीड़ प्रबंधन में डिजिटल खोया-पाया केंद्रों की अहम भूमिका

अमृत स्नान पर्व मौनी अमावस्या (28, 29 और 30 जनवरी) के दौरान इन केंद्रों की सहायता से 8,725 बिछड़े श्रद्धालुओं को उनके परिवारों से मिलाया गया। इसी तरह,

  • मकर संक्रांति (13, 14 और 15 जनवरी) को 598 श्रद्धालु
  • बसंत पंचमी (2, 3 और 4 फरवरी) को 813 श्रद्धालु
    इन केंद्रों के माध्यम से पुनः अपने परिजनों से जुड़ सके।

इसके अतिरिक्त, अन्य स्नान पर्वों और सामान्य दिनों में भी 10,000 से अधिक लोगों को उनके परिवारों से मिलाने में सफलता प्राप्त हुई।

आधुनिक तकनीक से लैस 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 7 दिसंबर 2024 को डिजिटल खोया-पाया प्रणाली का शुभारंभ किया था। इस पहल के तहत संगम, झूसी, अरैल, फाफामऊ और प्रयागराज जंक्शन रेलवे स्टेशन के पास कुल 10 डिजिटल खोया-पाया केंद्र स्थापित किए गए।

इन केंद्रों में AI-आधारित फेस रिकॉग्निशन सिस्टम लगाया गया है, जिससे बिछड़े हुए श्रद्धालुओं को तेजी से उनके परिवारों से मिलाया जा रहा है। इन केंद्रों में उत्तर प्रदेश पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों की अहम भूमिका रही। यूनिसेफ और अन्य गैर-सरकारी संगठनों ने भी इस पहल में सक्रिय योगदान दिया है।

श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं

  •  डिजिटल खोया-पाया केंद्रों में:
  •  प्रतीक्षा कक्ष
  •  चिकित्सा कक्ष
  •  शौचालय

 अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं, ताकि पुनर्मिलन प्रक्रिया के दौरान किसी भी श्रद्धालु को कोई असुविधा न हो।


Content Editor

Liza Chandel

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