समरावता कांड का गुनहगार कौन ?

Saturday, Nov 16, 2024-01:31 PM (IST)

जयपुर |  राजस्थान के टोंक जिले के देवली उनियारा विधानसभा क्षेत्र में बुधवार को भारी हिंसा हुई है। क्षेत्र में हुए उपचुनाव के दौरान निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे नरेश मीणा ने चुनाव ड्यूटी पर तैनात SDM अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद जब पुलिस नरेश मीणा को पकड़ने गई तो समरावता गांव के लोगों ने पुलिस पर ही हमला कर दिया और जमकर हिंसा की। नरेश मीणा के समर्थकों ने कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया। हालांकि पुलिस ने आरोपी निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह पूछा जा रहा है कि आखिर इस पूरे घटनाक्रम का असल जिम्मेदार कौन? आखिर चुनावी ड्यूटी में तैनात पुलिस फोर्स की उपस्थिति में ऐसे क्या हालात उत्पन्न हो गए कि इतनी भारी हिंसा हुई।  

कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब जांच में ही सामने आ पाएंगे। लेकिन प्राथमिक रूप से देखा जाए तो निष्पक्ष और निर्भीक चुनाव संपन्न करवाने की जिम्मेदारी जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में जिला कलेक्टर की होती है। निर्वाचन क्षेत्र में कौनसा बूथ संवेदनशील है,किस बूथ पर कितने कर्मचारी तैनात होंगे और कितनी पुलिस फोर्स की तैनाती होगी। यह डिप्लोयमेंट जिला निर्वाचन अधिकारी ही तय करता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में जिला कलेक्टर ने स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया या परिस्थितियों को समझने में कोई चूक हुई। इससे स्पष्ट होता है कि इस पूरे मामलें में कानून व्यवस्था फेल रही है।

राज्य निर्वाचन विभाग ने भी इस पूरे मामलें में अपने फेलियर को नकारते हुए कहा है कि चुनाव आयोग का फैलियर या कमी तब माना जाता जब ईवीएम को कोई नुकसान होता या पूरा हंगामा मतदान कक्ष के अंदर होता। ऐसे में निर्वाचन विभाग के स्तर पर किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी के बयान के मुताबिक इस पूरे घटनाक्रम को पुलिस को देखना था, इस पूरे घटनाक्रम में आईजी और डीआईजी को इस पूरे मामलें में कॉल लेना था। महाजन के मुताबिक निचले स्तर पर क्या कमी रही और किन बिंदुओं पर चूक रही ये पुलिस की पड़ताल के बाद ही सामने आएगा। वहीं दूसरी और आचार संहिता की आड़ में सरकार भी इस पूरे मामलें से पल्ला झाडती दिख रही है।   


Content Editor

Kailash Singh

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