माउंट आबू में ट्रेकिंग के दौरान लापता प्रोफेसर अभिमन्यु सिंह सुरक्षित बचाए गए, 36 घंटे लंबे सर्च ऑपरेशन में सफलता
Monday, Aug 25, 2025-08:35 PM (IST)

माउंट आबू । राजस्थान के पर्यटन स्थल माउंट आबू से बड़ी खबर सामने आई है। उदयपुर से घूमने आए प्रोफेसर अभिमन्यु सिंह, जो शनिवार को शेरगांव के जंगलों में लापता हो गए थे, उन्हें सोमवार को सुरक्षित ढूंढ निकाल लिया गया। जिला प्रशासन, पुलिस, आपदा प्रबंधन, वन विभाग, सीआरपीएफ, आर्मी और स्थानीय ग्रामीणों की मदद से चलाए गए 36 घंटे लंबे सर्च ऑपरेशन के बाद यह सफलता मिली।
कैसे लापता हुए प्रोफेसर?
शनिवार को उदयपुर से आए छह लोगों का एक दल माउंट आबू घूमने आया था। भ्रमण के दौरान यह दल शेरगांव की ओर ट्रेकिंग पर निकला। घना जंगल और पगडंडी वाला रास्ता होने के कारण दल के ही सदस्य प्रोफेसर अभिमन्यु सिंह अचानक साथियों से बिछड़ गए। शाम तक जब उनका कोई पता नहीं चला तो पुलिस व प्रशासन को सूचना दी गई। देर रात मोबाइल लोकेशन ट्रैक करने पर पता चला कि उनकी अंतिम लोकेशन शेरगांव के पास एक मंदिर के आसपास की थी। इस बीच खाई में गिरने की आशंका भी जताई गई।
प्रशासन कैसे हरकत में आया?
जिला प्रशासन ने तुरंत पुलिस, वन विभाग, आपदा प्रबंधन दल, सीआरपीएफ, आर्मी और स्थानीय लोगों की कई टीमें गठित कीं। शनिवार देर रात से ही तलाश जारी रही।
रविवार सुबह से अलग-अलग टीमें शेरगांव वन्य क्षेत्र में भेजी गईं। इलाके के हर हिस्से को खंगाला गया लेकिन दिनभर कोई सफलता नहीं मिली। रविवार रात को विशेष 15 सदस्यीय टीम को जंगल में भेजा गया। टीम में सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट, स्थानीय ट्रैकर्स और ग्रामीण शामिल थे। टीम रातभर जंगल में ठहरी ताकि सोमवार सुबह होते ही तलाश दोबारा शुरू की जा सके।
मुश्किल हालात में सर्च ऑपरेशन
सर्च ऑपरेशन आसान नहीं था। इलाके में लगातार बारिश हो रही थी और घना जंगल होने से टीमों के लिए आगे बढ़ना बेहद कठिन था।
रविवार की रात जंगल में ठहरी टीम को फायदा हुआ क्योंकि सोमवार सुबह भारी बारिश के बावजूद वे पहले से ही सर्च लोकेशन के नजदीक मौजूद थे।
कैसे मिला प्रोफेसर का पता?
सोमवार सुबह करीब 9 बजे प्रोफेसर अभिमन्यु सिंह से मोबाइल पर संपर्क हुआ।
टीमें तुरंत उनकी लोकेशन की ओर बढ़ीं और कुछ ही देर बाद उन्हें सुरक्षित ढूंढ लिया गया।
जिला कलेक्टर ने कहा—
“शनिवार को ट्रेकिंग के दौरान छह लोगों के दल से प्रोफेसर अभिमन्यु सिंह बिछड़ गए थे। सूचना मिलते ही प्रशासन ने कई टीमें गठित कर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। रविवार रात से ही एक विशेष टीम जंगल में मौजूद रही, जिससे सोमवार सुबह तुरंत तलाश शुरू हो पाई। स्थानीय ग्रामीणों और ट्रैकर्स का बहुत बड़ा योगदान रहा। सीआरपीएफ और अन्य दलों ने समन्वय के साथ काम किया। सबसे बड़ी बात यह रही कि प्रोफेसर साहब ने खुद भी हिम्मत बनाए रखी। आज सुबह 9 बजे उनसे संपर्क हुआ और बाद में सकुशल रेस्क्यू कर लिया गया।