नाबालिग से दरिंदगी पर पॉक्सो कोर्ट का बड़ा फैसला
Wednesday, Aug 20, 2025-04:05 PM (IST)

नाबालिग से दरिंदगी पर पॉक्सो कोर्ट का बड़ा फैसला, दो दोषियों को 20-20 साल की सजा और 2-2 लाख रुपये का जुर्माना
सिरोही। नाबालिग से रेप और अपहरण के मामले में पॉक्सो विशेष न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने दोनों दोषियों को 20-20 साल का कठोर कारावास और 2-2 लाख रुपये का अर्थदंड देने का आदेश दिया। 2 जुलाई 2024 की रात घर से नाबालिग का अपहरण हुआ था। चलती कार में दोनों आरोपियों ने दुष्कर्म किया था। रात एक बजे चबूतरे के पास छोड़कर आरोपी फरार हो गये थे।पिता की रिपोर्ट पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच पड़ताल शुरू करते हुए कोर्ट में चार्जशीट दायर की।पॉक्सो कोर्ट ने दोनों आरोपी को 20-20 साल कैद और 2-2 लाख जुर्माना सुनाया है।
कैसे हुआ अपराध?
मामला 2 जुलाई 2024 की रात का है।
आधी रात करीब 12 बजे नाबालिग अपने घर पर थी। दरवाजे पर खटखटाने की आवाज सुनकर उसने दरवाजा खोला। बाहर खड़े दो युवकों ने उसे जबरन पकड़कर कार में बैठा लिया। चलती कार में दोनों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। रात एक बजे आरोपी उसे एक सुनसान चबूतरे के पास छोड़कर भाग निकले। जाते-जाते उन्होंने बच्ची को जान से मारने की धमकी भी दी। अगले दिन पीड़िता के पिता ने थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए जांच की और दोनों आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाकर आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया।
कोर्ट की कार्यवाही
इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक मोहन सिंह देवड़ा ने कोर्ट में प्रभावी पैरवी की। कोर्ट ने गवाहों के बयान, मेडिकल रिपोर्ट और घटनास्थल की जांच को पुख्ता माना। विशेष न्यायाधीश अनूप कुमार पाठक ने कहा कि “नाबालिगों के खिलाफ अपराध सिर्फ पीड़ित ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के खिलाफ होते हैं। ऐसे अपराधियों को कठोर दंड ही दिया जाना चाहिए।”
यह दिया फैसला
माननीय कोर्ट ने दुष्कर्म के दोनों दोषियों को 20-20 साल का कठोर कारावास के साथ प्रत्येक को 2-2 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया। इस सख्त सजा से अपराधियों के हौसले पस्त होंगे।
पॉक्सो एक्ट और कानूनी पहलू
यह मामला Protection of Children from Sexual Offences (POCSO) Act, 2012 के तहत दर्ज हुआ था।
इस कानून में नाबालिगों के साथ यौन अपराधों पर कड़ी सजा का प्रावधान है। गंभीर मामलों में न्यूनतम 20 साल की कैद से लेकर मृत्युदंड तक दिया जा सकता है।
समाज को क्या संदेश?
इस फैसले ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि नाबालिगों के साथ दरिंदगी करने वालों को कानून बख्शने वाला नहीं है। अदालत का सख्त रवैया ऐसे मामलों में न्याय और निवारण दोनों का संदेश देता है। यह केस उन परिवारों के लिए भी उम्मीद है, जो न्याय की राह देख रहे हैं।
यह खबर न सिर्फ कानूनी दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी और संदेश भी है कि बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को अब कठोरतम सजा ही मिलेगी।