शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की पहल पर दो दिवसीय चिंतन शिविर का आगाज
Friday, Aug 22, 2025-07:48 PM (IST)

शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की पहल पर दो दिवसीय चिंतन शिविर का आगाज
राजसमंद, 21 अगस्त। प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की पहल पर जिले के कुंभलगढ़ में दो दिवसीय 'चिंतन शिविर' का आगाज शुक्रवार को हुआ। कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री के साथ-साथ स्कूल शिक्षा विभाग के विशिष्ट शासन सचिव आईएएस विश्वमोहन शर्मा, माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक निदेशक आईएएस सीताराम जाट, संयुक्त शासन सचिव मनीष गोयल, समसा के अतिरिक्त परियोजना निदेशक सुरेश कुमार बुनकर, आरएससीईआरटी निदेशक श्वेता फगेडिया आदि उपस्थित रहे।
प्रथम दिन विद्यालयों में नामांकन बढ़ाना एवं ड्रॉपआउट दर को कम करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन, पाठ्यपुस्तक निर्धारण, भारतीय ज्ञान परंपरा के विस्तार, विद्यार्थियों का समग्र विकास, संस्थागत सुधार (स्टेट ओपन स्कूल, आरएससीईआरटी, पाठ्यपुस्तक मण्डल एवं डाइट इत्यादि), शिक्षा में संस्कारों का समावेश, शिक्षा का उद्देश्य सफलता या सार्थकता, सामाजिक सद्भावना, नैतिक शिक्षा और जीवन मूल्यों पर केंद्रित शिक्षा, विद्यालयों में आधारभूत सुविधाएं, यथा- सुरक्षित भवन, स्वच्छ, हरित एवं सुरक्षित वातावरण, पोक्सो के मामले, दिनचर्या, तनाव प्रबंधन सहित विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों ने मंथन किया।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि महाराणा प्रताप की इस धरती से विश्वभर के लोग प्रेरणा लेते हैं, यहाँ आने से सदैव ही ऊर्जा का संचार होता है, प्रताप की यह जन्मभूमि हमें कुछ करने की दिशा में जागृत करती है। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक एवं सामाजिक मूल्य युक्त शिक्षा आज जरूरी है, बच्चे पढ़ लिख कर आगे बढ़ने के साथ-साथ अच्छे नागरिक बने यह हमारा दायित्व है। दो दिनों तक चलने वाले चिंतन शिविर में मंथन से जो अमृत निकलेगा उससे पूरा प्रदेश लाभान्वित होगा।
शिक्षा मंत्री दिलावर ने कहा कि वे चाहते हैं कि स्कूलों के भवनों में निर्माण के साथ-साथ उस भवन की अंतिम तिथि भी निर्धारित हो ताकि समय रहते भवन को भविष्य में डिसमेंटल किया जा सके, इस दिशा में काम शुरू हुआ है और निर्देश दिए गए हैं। भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रभावी क्रियान्वयन और रोजगार परक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि ड्रॉप आउट जीरो करने और प्रत्येक विद्यार्थी को स्कूलों तक लाकर उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दिशा में समन्वित प्रयास आवश्यक है।
विशिष्ट शासन सचिव आईएएस विश्वमोहन शर्मा ने कहा कि चिंतन शिविर में देशभर से शिक्षाविद, चिंतक, मार्गदर्शक सहित आरएससीईआरटी, एनसीईआरटी, विभिन्न विश्वविद्यालयों, संस्कृत शिक्षा के विशेषज्ञों और प्रतिनिधियों का आगमन शुभ संकेत है, यह कार्यक्रम निश्चित रूप से प्रेरणा के बीज डालने में सफल रहेगा। उन्होंने कहा कि मिड डे मील एवं पीएम पोषण में भी प्रदेश ने नवाचार किए हैं।
सोशल ऑडिट और थर्ड पार्टी इवेलुएशन से पारदर्शिता सुनिश्चित हो रही है। 'श्री कृष्ण भोज' के नवाचार के तहत जब भी ग्रामीण या शहरी अञ्चल में किसी के घर कोई शुभ कार्य होता है तब वह विद्यालय में भोज का आयोजन कर सकते हैं, इस पहल को केंद्र सरकार ने भी सराहा है। प्रदेश सरकार की एक और पहल 'अतिथि माता' के तहत प्रतिदिन 3 बच्चों की माताऐं विद्यालय आकर मिड डे मील का भोजन चख कर देखती हैं जिससे गुणवत्ता सुनिश्चित हो रही है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में न्यूट्री गार्डन विकसित किए जा रहे हैं जहां विद्यालयों में भी सब्जियां उगाई जाएंगी। श्रीअन्न, मिलेट्स भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी तरह आईटी लेब, डिजिटल हेल्थ सर्वे, बच्चों को सरकार की ओर से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत निशुल्क उपचार आदि प्रयासों से कीर्तिमान स्थापित हुए हैं।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक सीताराम जाट ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में 28527 प्राथमिक, 16575 उच्च प्राथमिक एवं 19941 उच्च माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं, इनके अलावा 178 कस्तूरबा गांधी विद्यालय, 3737 अंग्रेजी माध्यम विद्यालय आदि संचालित हैं जिनमें कुल मिलाकर 1 करोड़ 66 लाख से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं। जाट ने कहा कि शिक्षा मंत्री के नवाचार से राजस्थान का शिक्षा विभाग आज देश में अग्रणी है। प्रदेश में कार्यरत 5 लाख 71 हजार शिक्षकों के सहयोग से हर योजना का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित हो रहा है।
निदेशक जाट ने कहा कि शिक्षा विभाग ने प्रदेश में इस वर्ष 6 करोड़ 14 लाख पौधे लगाए हैं तथा 3 करोड़ 90 लाख की जियो टैगिंग हो चुकी है, ऐसे में पौधारोपण में भी शिक्षा विभाग अग्रणी रहा है। प्रदेश में 1 करोड़ 34 लाख बच्चों ने एक साथ सूर्य नमस्कार कर विश्व रिकॉर्ड बनाया है। प्रवेशोत्सव से लेकर अटेंडेंस तक विभिन्न कार्य डिजिटल हुए हैं। प्रदेश में संस्कार युक्त और आधुनिक शिक्षा दोनों का सम्मिश्रण देखने को मिल रहा है।
चिंतन शिविर में बड़ी संख्या में शिक्षाविद्, विशेषज्ञ एवं शिक्षा से जुड़े अधिकारी भी शामिल हुए और शिक्षा के विभिन्न पहलुओं जैसे विद्यालयों में नामांकन बढ़ाना, ड्रॉपआउट दर कम करना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन, संस्थागत सुधार, शिक्षा में संस्कारों का समावेश, नैतिक शिक्षा, आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता तथा विद्यार्थियों के समग्र विकास पर विस्तार से चर्चा की गई