भटनेर के झरोखे से : एक नेता का कद बढ़ा तो मुखिया भी फॉर्म में
Sunday, Oct 13, 2024-04:30 PM (IST)
हनुमानगढ़, 13 अक्टूबर 2024(बालकृष्ण थरेजा) । पड़ौसी राज्य हरियाणा के विधानसभा चुनाव में तीसरी बार कामयाबी हासिल करने के बाद केंद्र और राज्य में सत्ता वाली पार्टी का उत्साह अब चरम पर है। खास बात यह है कि इस हरियाणा में प्रभारी की जिम्मेदारी राजस्थान के एक बड़े नेता को थी। जाहिर सी बात है चुनाव में कामयाबी मिलने के बाद प्रभारी बने नेता का कद बढ़ा है। राजधानी में उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा है। मीडिया में चर्चा चल पड़ी है कि प्रभारी बने नेता की सियासत में अब लॉटरी लग गई है। आने वाले दिनों में उन्हें किसी बड़े पद से नवाजा जा सकता है। विधानसभा उपचुनाव में उन्हें किसी सीट पर लड़ाया जा सकता है या किसी राज्य से राज्यसभा में भेजा जा सकता है। इसी बीच पार्टी कार्यकर्ताओं की तरह सूबे के मुखिया का हौसला भी बढ़ा है। हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद मुखिया नई रंगत में दिखने लगे हैं। जनसुनवाई में अफसरों को कड़ी फटकार लगाकर उन्होंने इसके संकेत दे दिए हैं। कई फैसलों को हरी झंडी देकर मुखिया अब दिल्ली के इशारे पर प्रदेश का रिवाज बदलने की दिशा में काम करने लगे हैं। यहां रिवाज है कि एक बार सत्ता में आने वाली पार्टी पांच साल बाद बाहर हो जाती है। सरकार के मुखिया ने लोक सेवा आयोग की भर्ती का कैलेंडर जारी करवाने का बड़ा फैसला लिया है। इसमें परीक्षा और रिजल्ट तक की तारीख तय होगी। इससे युवाओं में काफी अच्छा संदेश गया है। आने वाले दिनों में नए बने जिलों की समाप्ति, एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने या न करने जैसे कड़े फैसले लेने में मुखिया का हौसला देखने को मिलेगा।
पूर्व मुखिया के दिल्ली दौरों से बढ़ी हलचल !
केंद्र और प्रदेश में विपक्ष वाली पार्टी हरियाणा में सरकार आने के एकतरफा दावों के बाद भी चुनाव हार गई । यह पार्टी के लिए बड़ा झटका है। इससे देश भर के कार्यकर्ताओं में मायूसी है और दिल्ली भी हैरान है। दिल्ली ने वहां के एक पूर्व मुखिया को टिकट वितरण से लेकर चुनाव प्रबंधन का फ्री हैंड दिया था। इस चुनाव में राजस्थान से सरकार के पूर्व मुखिया सहित तीन बड़े नेताओं को सीनियर ऑब्जर्वर लगाया गया था। अब पार्टी की हार से दिल्ली नाराज और हैरान है। हरियाणा में तीसरी बार पार्टी की हार हुई है। दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। इन बैठकों में राजस्थान के पूर्व मुखिया की उपस्थिति रहती है। हालांकि सीनियर आब्जर्वर के नाते उनका बैठकों में हाजिर रहना लाजमी है लेकिन इससे सूबे की सियासत में हलचल बढ़ गई है। पार्टी में युवा नेता के गुट में एक बार फिर बेचैनी है। पार्टी के राष्ट्रीय चीफ और सबसे बड़े नेता हरियाणा के नेताओं से जवाब-तलबी कर रहे हैं। संगठन में फेरबदल होना है। चुनाव की रिपोर्ट तैयार करने को लेकर एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनने वाली है। आने वाले दिनों में पूर्व मुखिया को बड़ी जिम्मेदारी मिलने के आसार बन रहे हैं। हरियाणा चुनाव में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी और उसके फैसलों में पूर्व मुखिया की अहम भूमिका रहने वाली है। वैसे भी पार्टी के राष्ट्रीय चीफ उम्र के तकाजे के चलते अपने जिम्मेवारी का सही से निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं। पार्टी सूत्रों का मानना है कि पार्टी के सबसे बड़े परिवार ने एक बार फिर पूर्व मुखिया पर नज़रें इनायत की हैं और उन्हें पार्टी में कामकाज देखने की बड़ी भूमिका आने वाले दिनों में मिल सकती है।
तबादलों की झड़ी फिर भी बड़े पद खाली
सूबे की सरकार को एक साल पूरा होने जा रहा है। पिछली सरकार के अफसरों को हटाने और उनकी जगह नए अफसर लगाने की एक्सरसाइज में कई बार तबादला सूचियां निकली हैं ।पिछले महीने के आखिर में और इस महीने में बड़े अफसरों के खूब तबादले हुए हैं। तबादलों की झड़ी के बाद भी कई बड़े पद खाली पड़े हैं। हालात यह है कि प्रदेश में 10 जिलों में पुलिस कप्तान नहीं है और वहां पड़ौसी जिलों के कप्तान को अतिरिक्त चार्ज दिया हुआ है। एक जिले में कलक्टर नहीं है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि करीब सात दर्जन सब डिवीजन में एसडीएम नहीं है। तबादला सूचियां गहरे मंथन के बाद निकली हैं । इस बार बताया जा रहा है कि तबादलों में दिल्ली का भी हाथ रहा है। एसडीएम लगाने में सत्ताधारी पार्टी के स्थानीय नेताओं की पसंद को महत्व दिया गया है। पसंद के बाद भी बड़ी संख्या में पद खाली होना समझ से बाहर है। प्रदेश की सरकारी मशीनरी को चुस्त-दुरुस्त बनाने में अफसरो के खाली पद आड़े आ रहे हैं। सरकार के मुखिया अफसरों की पोस्टिंग में खुद इंटरेस्ट लेते हैं लेकिन उनके इंटरेस्ट के बाद भी पद खाली होना जाहिर करता है की पसंद के अफसरों की तलाश पूरी नहीं हो पा रही है।