देश कि संविधान सभा में थे राजस्थान के 12 नेता, 6 ने दिया था मुखर होकर जवाब,इसी समय पड़ा था राजस्थान कांग्रेस में विवाद का बीज

1/26/2023 4:20:43 PM

जब देश का संविधान बन रहा था तब उस सभा में राजस्थान के एक दर्जन में से आधा दर्जन नेता मौजूद थे. जिन्होने मुखर होकर सुझाव दिए थे. संविधान सभा में बहस के साथ ही राजस्थान कांग्रेस के भविष्य के विवाद के बीज भी दिए गए थे. उस समय माणिक्यलाल वर्मा और जयनारायण व्यास ने संविधान सभा में माउंट आबू और सिरोही के गुजरात में विलय का खुलकर विरोध किया, जिससे सरदार पटेल खासे नाराज हुए थे.

पटेल की इस नाराजगी के चलते राज्य मंत्रालय ने इन दोनों नेताओं के खिलाफ जांच बैठाई थी. यहां तक कि दोनों नेताओं के खिलाफ घोटाले के आरोप में मुकदमे भी चले लेकिन बाद में माणिकलाल वर्मा और व्यास को बरी कर दिया गया, लेकिन इन बहसों ने कांग्रेस में फूट डाल दी.

माणिक्यलाल वर्मा ने संविधान सभा में पटेल के विचारों का खुलकर विरोध किया. उस समय संविधान सभा के सदस्य हीरालाल शास्त्री को पटेल का करीबी माना जाता था, जबकि माणिक्यलाल वर्मा और जयनारायण व्यास को उनकी पसंदीदा सूची में नहीं माना जाता था.

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वहीं राजनीति जानकारों का मानना है कि उस समय सरदार पटेल और पंडित नेहरू के चहेते नेताओं के मुताबिक राजस्थान में भी ऊपरी नेताओं में गुटबाजी हो गई थी.

माणिक्यलाल वर्मा ने सरदार पटेल के गुजरात में सिरोही, माउंट आबू में शामिल होने के विचार के साथ-साथ केंद्र राज्य संबंधों, रियासतों के मंत्रालय से संबंधित मुद्दों पर खुलकर सरदार पटेल के खिलाफ राय व्यक्त की थी. माणिक्यलाल वर्मा राजाओं के घोर आलोचक थे.

शेखावाटी क्षेत्र के किरपाल सिंह शेखावत ने किया था संविधान को संजाने में सहयोग - 

भारतीय संविधान की मूल प्रति (original copy) में 22 चित्र बनाए गए, इन चित्रों को शांतिनिकेतन के प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बसु द्वारा बनाया गया था. नंदलाल बसु के शिष्य कृपाल सिंह शेखावत ने संविधान निर्माण में सहयोग किया था. बाद में कृपाल सिंह शेखावत बहुत प्रसिद्ध चित्रकार बने.

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उन्होंने ब्लू पॉटरी पेंटिंग में कमाल का काम किया. कृपाल सिंह शेखावत सीकर जिले के गांव मऊ के रहने वाले थे. कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया. 2008 में उनका निधन हो गया.

संविधान सभा में सबसे ज्यादा राजस्थानी बोलने वाले भरतपुर के बाबू राजबहादुर - 

राजस्थान के 12 प्रतिनिधियों में भरतपुर के स्वतंत्रता सेनानी बाबू राजबहादुर सबसे मुखर प्रतिनिधि थे. बाबू राजबहादुर लगभग हर सभा में खुलकर बोलते थे. रियासतों में जबरन मजदूरी की प्रथा को समाप्त करने में उनका बड़ा योगदान रहा है. बाद में बाबू राजबहादुर भी भरतपुर से सांसद बने.

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राजस्थान की संविधान सभा में थे 12 प्रतिनिधि - 

संविधान सभा में राजस्थान से 12 प्रतिनिधि थे, जिनमें से 11 प्रतिनिधि देशी रियासतों से और एक प्रतिनिधि अजमेर मेरवाड़ा से था. प्रतिनिधियों की अधिकतम संख्या तीन जयपुर रियासत से थी.संविधान सभा में जयपुर से वी.टी. कृष्णामाचारी, हीरालाल शास्त्री, सरदार सिंह खेतड़ी संविधान सभा के सदस्य थे.जोधपुर से जयनारायण व्यास, उदयपुर से माणिक्यलाल वर्मा और बलवंत सिंह मेहता, कोटा से लेफ्टिनेंट कर्नल दलेल सिंह, बीकानेर से जसवंत सिंह, शाहपुरा भीलवाड़ा से गोकुल लाल असवा, भरतपुर से बाबू राज बहादुर, अलवर से रामचंद्र उपाध्याय और मुकुट बिहारी लाल भार्गव अजमेर मेरवाड़ा से। संविधान सभा के सदस्य थे.

केंद्र को मजबूत करने की वकालत की पटेल समर्थक हीरालाल शास्त्री ने -

राजस्थान के प्रतिनिधियों ने संविधान सभा की बहस में केंद्र-राज्य संबंधों और अधिकारों पर सुझाव भी दिए थे.सरदार पटेल के समर्थक और जयपुर से संविधान सभा के सदस्य हीरालाल शास्त्री ने संविधान सभा में कहा था कि केंद्र सरकार के पास पर्याप्त ताकत और शक्तियां होनी चाहिए.

केंद्र सरकार को हर कीमत पर मजबूत करना चाहिए. अगर केंद्र सरकार कमजोर है तो देश में शांति नहीं होगी. देश में शांति बनाए रखना सबसे बड़ा काम है.

बाबू राजबहादुर ने किया व्यंग्य - 

भरतपुर के एक प्रतिनिधि बाबू राजबहादुर ने संविधान सभा की बैठकों में जबरन श्रम को समाप्त करने, जनता को अधिकार देने और रियासतों में राजाओं के अत्याचार पर खुलकर बात की।

लोगों से बिना पैसे लिए काम लेने की प्रथा को रोकने पर बाबू राजबहादुर ने संविधान सभा में जोरदार तरीके से बात की।उन्होंने कहा था- हमारे इलाके में राजा-महाराजा कड़ाके की ठंड में बत्तखों का शिकार करते हैं, लोग उस सर्दी में कमर तक पानी में खड़े रहते हैं.उन्हें कोई पैसा नहीं दिया जाता है, इस बेगार प्रथा को बंद किया जाना चाहिए। देश को आजादी मिल गई है लेकिन राजाओं की गुलामी से आजादी नहीं मिली है। लोग हमसे पूछते हैं कि ऐसी आजादी का मतलब क्या है?

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बीकानेर के प्रतिनिधि ने की थी राजाओं के नाम पैरवी - 

बीकानेर के प्रतिनिधि जसवंत सिंह ने संविधान सभा की बहस में जागीरदारों और राजाओं का पक्ष लिया और कहा कि जागीरदार पहले भारतीय हैं. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यदि हमारे प्रश्न का समाधान सरदार पटेल जैसे प्रतिष्ठित नेता द्वारा चतुराई से किया जाता है तो मुद्दों का समाधान कोई कठिन कार्य नहीं है. देशभक्ति के मामले में जागीरदार किसी भारतीय से कम नहीं होंगे

जागीरदार गृह मंत्रालय को धमका रहे – माणिक्यलाल वर्मा

स्वतंत्रता सेनानी माणिक्यलाल वर्मा राजाओं और जागीरदारों के कटु आलोचक थे। संविधान सभा की बहस में वर्मा ने कहा था- मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आज सामंतवाद जिस स्थिति में पहुंच रहा है, वह भयानक है. मैं जिस राजस्थान से आता हूं, वहां जागीरदारों की दो श्रेणियां हैं.

एक तबका सोचता है कि जागीरदारी का उन्मूलन अब निश्चित है और उसने पहले ही कृषि और कुछ अन्य व्यवसायों को अपना लिया है.

जागीरदारों का दूसरा वर्ग आतंक पैदा करके भारत सरकार को प्रभावित करना चाहता है. उन्होंने भारत सरकार के राज्य मंत्रालय को धमकाना शुरू कर दिया है और इस विश्वास में आतंक फैलाना शुरू कर दिया है कि इन तरीकों को अपनाने से वे अपनी जागीर बचा पाएंगे, इसे जल्द से जल्द दबा दिया जाना चाहिए.

राज्यसभा का कोई मतलब नहीं - बाबू राजबहादुर

भरतपुर के प्रतिनिधि बाबू राज बहादुर ने राज्य सभा के गठन का विरोध किया और इसे बेकार बताया. बाबू राजबहादुर ने कहा था- मुझे संविधान में राज्यसभा का प्रावधान बेमानी लगता है, क्योंकि उच्च सदन ने हमेशा लोगों की प्रगति में बाधा का काम किया है. इसमें पश्चिम की गुलामी की नकल की गंध आती है और यह काफी अनावश्यक है।

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Afjal Khan

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