रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएंगी विनायक चतुर्थी, विनायक चतुर्थी व्रत को करने से मिलते हैं मनोवांछित फल
Friday, May 23, 2025-11:53 AM (IST)

अजमेर, 23 मई 2025 । इस बार विनायक चतुर्थी 30 मई को मनाई जाने वाली है। यह पर्व हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इसके अलावा विशेष कार्यों में सफलता पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है। भगवान गणेश सभी प्रकार के कष्टों को दूर करते हैं। ऐसे में विनायक चतुर्थी पर सच्चे मन से बप्पा की पूजा करने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। श्री लक्ष्मीनारायण एस्ट्रो सॉल्यूशन अजमेर की निदेशिका ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि हर माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि से एक दिन पूर्व विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की पूजा करते हैं। सनातन धर्म में भगवान गणेश की मांगलिक कार्यक्रमों सबसे पहले पूजा की जाती है। कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भक्त भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन व्रत रखने की भी परंपरा है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहते हैं। चतुर्थी तिथि पर व्रत रख शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से पूजा करने पर उनका आशीर्वाद मिलता है। वह जीवन से सारे कष्टों को हर लेते हैं।
विनायक चतुर्थी
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 29 मई को रात 11: 58 मिनट से शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मई को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में 30 मई को विनायक चतुर्थी को मनाई जाएगी
शुभ योग
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि विनायक चतुर्थी पर दुर्लभ वृद्धि योग का संयोग बन रहा है। वृद्धि योग का संयोग दोपहर 12:58 मिनट से हो रहा है। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का भी संयोग है। रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05:24 मिनट से लेकर रात 09:29 मिनट तक है। इस योग में स्नान-दान कर भगवान गणेश की पूजा करने से आरोग्यता का वरदान मिलेगा। साथ ही सकल मनोरथ सिद्ध होंगे।
विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा नहीं देखते
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखने से व्यक्ति पर कोई गलत आरोप लगते हैं। वह झूठे कलंक का भागी बनता है। ऐसे में उस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है।
हर महीने पड़ती है दो चतुर्थी
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि हिन्दू पंचांग में हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं। पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है तथा अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। एक साल में लगभग 12 या 13 विनायकी चतुर्थी होती है। भारत के उत्तरी एवं दक्षिणी राज्यों में विनायकी चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है।
पूजा विधि
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि श्रद्धालू इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान गणेशजी की पूजा करते हैं एवं व्रत रखते हैं। शाम के समय गणेशजी की प्रतिमा को ताजे फूलों से सजाया जाता है। चन्द्र दर्शन के बाद पूजा की जाती है एवं व्रत कथा पढ़ी जाती है। तथा इसके बाद ही विनायकी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।
विनायकी चतुर्थी का महत्व
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं। जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण है जिसका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है। जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवान्छित फल प्राप्त करता है।