30 मार्च से शुरू होगा विक्रम नव संवत्सर 2082, शुभ संयोग में शुरू होगा हिंदू नववर्ष 2082
Wednesday, Mar 26, 2025-03:47 PM (IST)

जोधपुर/जयपुर, 26 मार्च 2025 । हिंदू धर्म में नव वर्ष विक्रम संवत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है। इस बार 30 मार्च 2025 से नव विक्रम संवत्सर 2082 आरंभ होगा। साथ ही इस दिन से ही चैत्र नवरात्रि भी आरंभ होतीं हैं। इस नवसंवत्सर 2082 को सिद्धार्थ नामक संवत्सर के रूप में जाना जाएगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में रविवार 30 मार्च को नए संवत्सर 2082 का आरंभ ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में होगा। इस दिन शाम 6:14 बजे तक रेवती नक्षत्र फिर अश्विनी नक्षत्र विद्यमान रहेगा। मीन लग्न सुबह 06:26 बजे तक रहेगा फिर मेष लग्न का आरंभ होगा। मीन राशि में इस दिन पांच ग्रह के मौजूद होने से पंचग्रहीय योग बनेगा। मीन राशि में सूर्य, बुध, राहु, शनि और शुक्र ग्रह विद्यमान होंगे। केतु कन्या राशि में, देवगुरु बृहस्पति वृष राशि में तथा मंगल मिथुन राशि में रहेंगे। हालांकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नए साल की शुरुआत 01 जनवरी से होती है, लेकिन नया हिंदू वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है और सभी व्रत-त्योहार हिंदू कैलेंडर की तिथियों के आधार पर ही मनाया जाता है। इस बार नया हिंदू नववर्ष विक्रम संवत बहुत ही खास रहेगा।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस वर्ष आकाशीय मंडल में 2082 संवत की यदि मंत्रिमंडल की बात करें, संवत के राजा और मंत्री सूर्य होंगे। वहीं अन्न-धन, खनिज व धातु के स्वामी बुध, खाद्य पदार्थों के स्वामी मंगल होंगे। वही सेनापति का कार्यभार शनि संभालेंगे और संवत्सर के वाहन घोड़ा होगा। इस विक्रम संवत का नाम सिद्धार्थ होगा। इस सिद्धार्थ संवत के राजा- सूर्य, मन्त्री- सूर्य, सस्येश- बुध, दुर्गेश- शनि, धनेश- मंगल, रसेश- शुक्र, धान्येश- चन्द्र, नीरसेश- बुध, फलेश- शनि, मेघेश- सूर्य होंगे। रविवार 30 मार्च 2025 को शाम 6:14 बजे तक रेवती नक्षत्र फिर अश्विनी नक्षत्र विद्यमान रहेगा। मीन लग्न सुबह 06:26 बजे तक रहेगा फिर मेष लग्न का आरंभ होगा। मीन राशि में इस दिन पांच ग्रह के मौजूद होने से पंचग्रहीय योग बनेगा। मीन राशि में सूर्य, बुध, राहु, शनि और शुक्र ग्रह विद्यमान होंगे। केतु कन्या राशि में, देवगुरु बृहस्पति वृष राशि में तथा मंगल मिथुन राशि में रहेंगे।
नव संवत्सर विक्रम संवत - 2082
नव संवत्सर आरंभ - 30 मार्च 2025
प्रतिपदा तिथि आरंभ - 29 मार्च शाम 4:27 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त - 30 मार्च दोपहर 12:49 बजे तक
हिंदू नववर्ष पर शुभ योग
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि रविवार 30 मार्च 2025 को शाम 6:14 बजे तक रेवती नक्षत्र फिर अश्विनी नक्षत्र विद्यमान रहेगा। मीन लग्न सुबह 06:26 बजे तक रहेगा फिर मेष लग्न का आरंभ होगा। मीन राशि में इस दिन पांच ग्रह के मौजूद होने से पंचग्रहीय योग बनेगा। मीन राशि में सूर्य, बुध, राहु, शनि और शुक्र ग्रह विद्यमान होंगे। केतु कन्या राशि में, देवगुरु बृहस्पति वृष राशि में तथा मंगल मिथुन राशि में रहेंगे।
राजा और मंत्री सूर्य
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि संवत के राजा और मंत्री सूर्य होंगे। वहीं अन्न-धन, खनिज व धातु के स्वामी बुध, खाद्य पदार्थों के स्वामी मंगल होंगे। वही सेनापति का कार्यभार शनि संभालेंगे और संवत्सर के वाहन घोड़ा होगा। इस विक्रम संवत का नाम सिद्धार्थ होगा। इस सिद्धार्थ संवत के राजा- सूर्य, मन्त्री- सूर्य, सस्येश- बुध, दुर्गेश- शनि, धनेश- मंगल, रसेश- शुक्र, धान्येश- चन्द्र, नीरसेश- बुध, फलेश- शनि, मेघेश- सूर्य होंगे।
भैरव प्रश्न
जयजननी जगदीश्वरी तू जग की प्रतिपाल। बियासी संवत् फल कहो श्रीमुख से सब हाल।।
भवानी उत्तर
सुनले भैरव प्रेम से मैं समझायुं तोय। राजामंत्री देखतां मध्यम सवंत होय।।
सौम्यग्रहों ने वर्ष में लिये चार अधिकारी। राजा-मंत्री मेध का रवि ने लिया है भार।।
धान्याधिप शशिराज है रसाधिप है भूगुदेव। मंगल धन के देव है दुर्ग-फल के शनिदेव।।
एक धन की हानि करे दुर्ग करे शनिभेद। राजा और शनि की नहीं बने दूजा कर दे छेद।।
प्रजा सुखी मंगल करे रोहिणी संधि बास। समय निवासो वैश्यपर संवर्त बंधाये आस।।
रस नीरस और सस्य की जग में हो भरमार। जलतृण के दो स्तम्भ है प्रजा में जै जै कार।।
सिद्धार्थी सम्वत्सर का फल
सिद्धार्थवत्सरे भूयो ज्ञानवैराग्ययुक् प्रजाः।
सकलावसुधाभातिबहुसस्यार्घवृष्टिभिः ।।
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि सिद्धार्थी अथवा सिद्धार्थ वर्ष में प्रजा ज्ञान, वैराग्य से युक्त होती है। सम्पूर्ण पृथ्वी पर प्रसन्नता रहती है और जल-अन की वृद्धि होती है। प्रतिकूल जलवायु के बाद भी धान्यादि का श्रेष्ठ उत्पादन होगा।
राजा रवि का फल
भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि अल्पवृष्टि, धान्य फल दुग्ध का उत्पादन कम होगा। जनता को पीड़ा, चोर-अशि की बाधा व शासकों को कष्ट होगा। दुधारू पशुओं की क्षमता में कमी आयेगी। धान्य, गन्ना आदि फसलों, वृक्षों पर फल-पुष्पादि का उत्पादन कम होगा। जनता में क्रोध, उत्तेजना, कलह व नेत्र विकार बढ़ेंगे।
यथा :- सूर्ये नृपे स्वल्पजलाच मेघाः स्वल्पं धान्यमल्पफलाक्ष वृक्षाः।
स्वस्पं पयो गोषु जनेषु पीड़ा चौराप्रिबाधा निधनं नृपाणाम् ।।
मन्त्री रवि का फल
कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि जनता में रोग, चोर व राज का भय होगा। अन्न का प्रचुर उत्पादन, गम्भीर रोगों से जनता अस्त होगी। पेयजल, गुड़, दूध, तेल, ईख, फल, सब्जियों, चीनी इत्यादि रसयुक्त वस्तुओं की कमी से इनके भाव बढ़ेंगे। जनता मंहगाई से त्रस्त होगी।
यथा :- नृपभयं गदतोऽपि हि तस्करात्प्रचुर धान्य धानानिमहीतले।
रसचयं हि समर्पतमं तदा रविरमात्यपदं हि समागतः ।।
भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि जिस वर्ष राजा व मन्त्री दोनों पद एक ही ग्रह को मिल जाये तो उस वर्ष राजनेता निरंकुश होकर मनमानी करते हैं। अग्निकाण्ड, भूकम्प आदि प्राकृतिक प्रकोप व सामाजिक उपद्रव से जनता त्रस्त होती है। वर्षा की कमी से गर्मी का प्रकोप बढ़ेगा। जनाक्रोश की घटनाएँ बढ़ेगी। नेताओं के मनमुटाव बढ़ेंगे। अनाज, फलों, सब्जियों व धान्यादि की पैदावार कम होगी। चोरी, डकैती, लूटमार, अग्निकाण्ड, गम्भीर रोग, नेत्र-विकार, पित्तजन्य रोग से जनता त्रस्त होगी। अनाज आदि के भाव बढ़ेंगे, जिससे मुनाफाखोर लाभान्वित होंगें।
यथाः स्वयं राजा स्वयं मन्त्री जनेषु रोगपीड़ा चौराग्नि, शंकाविग्रहभयं च नृपाणाम् ।।
हिन्दू कलेंडर 2082 के अनुसार मास
1. चैत्र मास, 2. वैशाख मास, 3. ज्येष्ठ मास, 4. आषाढ़ मास, 5. श्रावण मास, 6. भाद्रपद मास, 7.आश्विन मास, 8. कार्तिक मास, 9. मार्गशीर्ष मास, 10. पौष मास, 11. माघ मास, 12.फाल्गुन मास