उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से गांव में मायूसी, मंदिरों में शुरू हुईं दुआएं
Tuesday, Jul 22, 2025-01:42 PM (IST)

झुंझुनूं। देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे की खबर से उनके पैतृक गांव किताना में शोक और चिंता का माहौल है। सोमवार देर रात जैसे ही खबर फैली कि उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है, गांव में चर्चा और अफसोस की लहर दौड़ गई। गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक सभी भावुक नजर आए और उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करते दिखे।
"गांव का बेटा देश का उपराष्ट्रपति बना था"
किताना गांव के लिए वह दिन अब भी यादगार है जब एक किसान परिवार से निकलकर जगदीप धनखड़ ने देश के दूसरे सबसे ऊंचे संवैधानिक पद की शपथ ली थी। गांव के लोगों का कहना है कि जब वे उपराष्ट्रपति बने थे, तब गांव में जश्न जैसा माहौल था। “गांव के बेटे ने इतिहास रच दिया था,” एक बुजुर्ग ने कहा।
स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा, लेकिन गांव में चिंता गहरी
स्थानीय लोगों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों से धनखड़ साहब की सेहत ठीक नहीं चल रही थी। मार्च में उन्हें एक स्वास्थ्य संबंधी सर्जरी भी करानी पड़ी थी। हाल ही में उनकी उत्तराखंड यात्रा के दौरान तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी। ग्रामीणों को जब यह पता चला कि उन्होंने डॉक्टरों की सलाह पर इस्तीफा दिया है, तो हर किसी ने उनके बेहतर स्वास्थ्य की प्रार्थना शुरू कर दी।
गांव के विकास में निभाई थी अहम भूमिका
गांव के लोगों ने बताया कि उपराष्ट्रपति बनने से पहले और बाद में भी धनखड़ साहब ने गांव की कई ज़रूरतों को पूरा करवाया। गांव में सरकारी कॉलेज, इंडोर स्टेडियम, आयुर्वेदिक पंचकर्म केंद्र, और गौशालाओं के लिए सहायता उनकी व्यक्तिगत पहल का परिणाम रहे हैं। उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ ने भी ग्रामीण विकास में बढ़-चढ़कर सहयोग दिया है।
"यमुनाजल योजना" और हाईवे की सौगात
धनखड़ ने शेखावाटी क्षेत्र की पेयजल और सिंचाई की समस्या को गंभीरता से उठाया और इसके समाधान के लिए यमुना जल योजना का समर्थन किया। साथ ही गांव के पास से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) की स्वीकृति भी उनके प्रयासों से ही मिली, जिसका काम जल्द शुरू होने वाला है।
मंदिरों में प्रार्थनाएं, गांव से उठ रही दुआओं की लहर
किताना गांव के प्रमुख मंदिरों में मंगलवार सुबह से ही धनखड़ जी के स्वास्थ्य लाभ के लिए विशेष पूजा और हवन किए जा रहे हैं। दरिया बालाजी मंदिर, जहां धनखड़ जी हर दौरे पर पहले माथा टेकते थे, वहां भी विशेष पूजा की गई। गांव के पंडित ने बताया कि “पूरे गांव की एक ही कामना है कि साहब जल्दी स्वस्थ हों और फिर से सक्रिय भूमिका में लौटें।”
उपराष्ट्रपति पद से धनखड़ का इस्तीफा न केवल राष्ट्रीय राजनीति में एक बड़ा घटनाक्रम है, बल्कि यह राजस्थान, विशेषकर झुंझुनूं के ग्रामीण क्षेत्र के लिए भी एक भावनात्मक क्षण है। गांववाले आज भी उन्हें सिर्फ नेता नहीं, बल्कि अपना बेटा मानते हैं और उनके जल्दी स्वस्थ होकर पुनः सक्रिय होने की प्रार्थना कर रहे हैं।