वसुंधरा राजे बाड़मेर में, देवी सिंह भाटी भी पहुंचे बाड़मेर |

10/2/2023 12:18:08 PM

राजस्थान की राजनीति में बाड़मेर का ज़िक्र न हो तो तो चर्चा अधूरी ही रहती हैं। बीजेपी के लिए बाड़मेर इन दिनों ज्यादा अच्छा साबित नहीं हुआ। लगातार 3 बार बाड़मेर विधानसभा में हारी बीजेपी के पास मंथन के बाद भी ऐसा चेहरा नहीं हैं जो पार्टी को जीत दिला सके। ऊपर से बीजेपी में गुटबाजी हावी होने के कारण बाड़मेर विधानसभा में भी दर्जनों नेताओं के गुट बने हैं। पार्टी से ज्यादा खुद की सोचने वाले इन नेताओं की ज़मीनी हक़ीक़त यही हैं कि मेवाराम जैन को हराना इनके बस की बात नहीं रही। प्रदेशाध्यक्ष के बाड़मेर दौरे में भीड़ ना जुटना , संगठन में सामंजस्य का अभाव बीजेपी की चिंता बढ़ाए हुए हैं कि वसुंधरा राजे बाड़मेर दौरा कर यह चिंता बढ़ाने वाली हैं। पार्टी में वसुंधरा समर्थक लोगों की संख्या बहुत बड़ी हैं पार्टी इसे नज़र अंदाज नहीं कर सकती।
ऐसे में बाड़मेर दौरे के बाद क्या नए समीकरण बनेंगे सब पर इसकी नज़र हैं।

देवदर्शन के बहाने जानेगी मन की बात

सामाजिक आयोजन और देवदर्शन के बहाने सियासत का बड़ा खेल खेलने की जद्दोजहद के बीच वसुंधरा राजे राजपूत समाज में बड़े नाम तनसिंह चौहान के निवास पर आयोजित सामाजिक आयोजन में हिस्सा लेगी। साथ ही ब्रह्मा मंदिर आसोतरा, रानी भटियानी मंदिर जसोल और तनोट जाने का भी कार्यक्रम हैं।
चूंकि , देवी सिंह भाटी की पौत्री की शादी बाड़मेर हो रखी हैं इसलिए भाटी वसुंधरा से पहले ही बाड़मेर पहुंच चुके हैं।

देवी सिंह बोले खुशी हैं घर वापसी की

पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के कार्यक्रम से पहले देवीसिंह भाटी ने बाड़मेर पहुंचकर कार्यक्रम के बारे में जानकारी ली. देवीसिंह भाटी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वसुंधरा राजे के कहने पर मैंने फिर से बीजेपी ज्वॉइन कर ली. उन्होंने कहा कि रूठे भाई जब एक जाजम पर बैठकर एक हो जाते है, तब खुशी मिलती है. बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद मैं कहीं भी जा रहा हूं तो कार्यकर्ता प्रफ्फुलित होकर मेरा स्वागत कर रहे हैं.

बाड़मेर समेत 3 जिलों में बीजेपी कमजोर

बाड़मेर , बालोतरा और जैसलमेर की 9 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़कर बीजेपी 8 सीटें चुनाव में हार गई थी। इसके बाद से जैसलमेर, पोकरण, शिव , बायतु, बाड़मेर , शिव , गुड़ामालानी , चोहटन विधानसभा सीटों पर बीजेपी कमजोर हैं।
संगठन की निष्क्रियता के कारण बीजेपी कार्यकर्ता निराश हैं। जोश कहीं दिखता नहीं जबकि, पार्टी के प्रति कार्यकर्ताओं में भरोसा धीरे धीरे खत्म हो रहा हैं।
वसुंधरा के दौरे के बाद समर्थकों को आशा हैं कि पार्टी फिर से चुनावी मोड में आ जाएगी।

पश्चिमी राजस्थान के राजपूतों को साधेगी ?
वसुंधरा राजे के खिलाफ राजस्थान में राजपूतों की नाराजगी 2014 के संसदीय चुनाव बढ़ी, जब मानवेंद्र सिंह के पिता, जसवंत सिंह ,भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता को उनके गृह जिले बाड़मेर से टिकट देने से इनकार कर दिया गया था | उस समय टिकट जाट नेता सोनाराम चौधरी को मिला, जो कांग्रेस से भाजपा में आए थे. जसवंत सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और चुनाव हार गए.राजपूत राज्य की जनसंख्या का 8-10 प्रतिशत हैं, लेकिन अपने क्षेत्र में वे दूसरे समुदायों के मतदान व्यवहार पर खासा प्रभाव डालते हैं।

Afjal Khan

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