भूमि दोष से आती है परेशानियां, भूमि दोष से होता है आर्थिक नुकसान

Thursday, Apr 10, 2025-05:17 PM (IST)

जयपुर/जोधपुर, 10 अप्रैल 2025 । भूमि दोष का होना आपके पारिवारिक जीवन में कई परेशानियां लेकर आ सकता है। वास्तु शास्त्र में कई तरह के दोष बताए गए हैं, लेकिन भूमि दोष को इन सब में सबसे घातक माना गया है। इस दोष के होने से घर के सभी लोग प्रभावित होते हैं। इसलिए वक्त रहते इसका निवारण आपको अवश्य करना चाहिए। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र के अनुसार भूमि में नकारात्मक ऊर्जा होने से वहां घर, ऑफिस आदि बनाने पर आर्थिक हानि का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। भूमि की नकारात्मक ऊर्जा से व्यक्ति की नौकरी और व्यापार में बाधाएं आती हैं। ऐसे में भूमि की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा की पहचान करना बहुत जरूरी है। आपने कई लोगों को कहते हुए सुना होगा कि किसी विशेष जगह पर जाते ही उनक साथ कोई विचित्र घटनाएं घटने लगी या फिर किसी नए घर में जाते ही उनके जीवन में समस्याएं शुरू हो गईं। वास्तु शास्त्र के अनुसार इसका एक कारण भूमि दोष होना होता है। 

ज्योतिषाचार्य और वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र में बहुत सारे वास्तु दोष होते हैं। उन्हीं में एक होता है भूमि दोष और इस दोष को पहचान पाना भी एक मुश्किल काम होता है, क्योंकि इस दोष की जांच करना इतना आसान नहीं होता है। अक्सर वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ ही वास्तु दोष का आंकलन करते हैं और वास्तु दोषों से छुटकारा पाने के उपाय बताते हैं। अब ऐसे में मन में सवाल उठता है कि आखिर भूमि दोष से छुटकारा पाना क्यों जरूरी है? इसका जवाब है कि आप जिस जगह पर रहते हैं अगर उस पर भूमि दोष है, तो आप जीवन में कभी तरक्की नहीं कर सकते। आपके जीवन में कोई न कोई परेशानी आती रहती है। इन समस्याओं में घर में होने वाले लड़ाई-झगड़े, दुर्घटनाएं, बीमारियां शामिल हैं। कभी-कभी बहुत वर्षों तक भूमि को ऐसे ही सुनसान छोड़ देने पर उसमें नकारात्मक शक्ति भर जाती है। ऐसे में अगर आप इन नकारात्मक ऊर्जा से भरी भूमि पर रहना शुरू कर देते हैं या फिर व्यापार करते हैं, तो आपको कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में कुछ बातों को ध्यान में रखकर भूमि की नकारात्मक शक्तियों का अंदाजा लगाया जा सकता है।

वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि भूमि दोष वाले घर में अक्सर देखने को मिल जाता है कि यहां पर किसी पालतू जानवार जैसे गाय कुत्ता, बिल्ली की पालते हैं, तो यह अधिक दिनों एक जी ही नहीं पाते है और उनकी मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों को किसी न किसी दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। जैसे, रोड़ एक्सीडेंट या फिर घर की ही छत या सीढ़ी से नीचे गिरना आदि, घटनाएं देखने को मिलती है। साथ ही कभी-कभी घर में विचित्र तरह की आवाजें भी सुनाई पड़ती हैं। वहीं कभी घर में खासकर रात के समय अजीब-अजीब आकृतियां दिखने का भ्रम भी पैदा हो जाता है।

भूमि दोष 
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु के अनुसार, भूमि या भवन खरीदने से पहले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बिना विचार किए भूमि खरीदने से कई बार दिक्कतों का सामना व्यक्ति को करना पड़ सकता है। भूमि या भवन खरीदते समय आपको कुंडली भी अवश्य दिखानी चाहिए, क्योंकि कुंडली में शनि और गुरु की स्थिति से पता चल जाता है कि, ली जाने वाली जमीन आपके लिए कैसी रहेगी। अगर भूमि पर कांटेदार वृक्ष, पेड़-पौधे स्वयं उगे हुए है तो समझ जाइए भूमि जागृत अवस्था में नहीं है। ऐसी जमीन को खरीदने से दिक्कतों का सामना आपको जीवन में करना पड़ सकता है। जमीन पूरी तरह से बंजर है और उसके आसपास की जगह हरी-भरी है तो ऐसी जमीन को खरीदे से भी आपको बचना चाहिए। भूमि दोष के कारण ही भूमि बंजर रहती है। अगर किसी भूमि पर स्वयं फूलो के पौधे उगे हैं, हरी-हरी घास भूमि पर है तो इस तरह की जमीन को वास्तु में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। ऐसी जमीन पर भवन लगाने से परिवार में समृद्धि आती है। 

भूमि दोष की पहचान 
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि भूमि में एक गड्ढ़ा खोदें और उसमें पानी भर दें। वहां से पूर्व दिशा की ओर 100 कदम चलें। यदि गड्ढे का पानी पूरा है, तो भूमि बहुत ही अच्छी है। यदि आधा शेष है तो भूमि मध्यम फल देने वाली है। यदि पानी पूरी तरह से सूख जाए, तो भूमि व्यक्ति के लिए भाग्यशाली नहीं है। मिट्टी का रंग भी पहचान करने का अच्छा तरीका माना जाता है। भूमि की मिट्टी यदि पीली या सफेद है, तो वह बेहतर मानी जाती है। यदि लाल वर्ण की है, तो मध्यम और काले वर्ण की है, तो इसे दोषपूर्ण माना गया है।

ऐसी भूमि पर न बनाएं मकान
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि अपना मकान या कार्यस्थल ऐसी जगह न बनाएं और न ही खरीदें जिसके उत्तर-पूर्व दिशा में ऊंचे भवन या पर्वत अथवा पीपल का पेड़ हो।जिस  भूखंड पर भवन बनाना हो, वहां कुछ दिनों के लिए गायों और बछड़ों को रखना चाहिए। उनके गोबर और मूत्र से वह भूमि शुद्ध हो जाती है। वास्तु के अनुसार भूमि कितने ही दोषों से परिपूर्ण हों लेकिन इनके प्रभाव से उत्तके सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। इस भूमि पर निवास करने वाले जातक के धन, सुखों और सौभाग्य में दिन-प्रतिदिन बढ़ोत्तरी होती है।

भूमि को पहचानें
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि भवन के लिए भूमि खरीदते समय ध्यान रखें कि उसके दक्षिण-पश्चिम में गड्ढे, तालाब अथवा नदी आदि न हो ऐसी जगह धन हानि का कारण बनती है। जिस भूमि पर छोटे-छोटे अनेक गड्ढ़े हों. वास्तु के अंतर्गत वह भूमि भी अशुभ कही गई है। ऐसी भूमि को त्यागना ही सही माना जाता है। ऐसी भूमि जिस पर जल्दी अग्नि न जले या जलकर बुझ जाए, वह कभी फलदायी नहीं होती। जिस भूमि पर खड़े होने पर मन में बेचैनी या उद्विग्नता महसूस हो, वह भूमि भाग्य का नाश करने वाली होती है।

अशुभ भूमि
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि कई बार भूखंड पर बहुत पुराने वृक्ष होते हैं। वास्तु के अनुसार ऐसा भूखंड भी निवास के लिए अयोग्य होता है। जिस भूमि की नींव खोदते समय स्वर्ण, चांदी, धन, रत्न या अन्य कोई रत्न प्राप्त हो। वह अत्यंत शुभ और श्रेष्ठ फल प्रदान करती है। इसके विपरीत कोयला और हड्डियां निकलने पर उस भूमि को अशुभ समझना चाहिए।

भूमि की अवस्थाएं
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि वास्तु शास्त्र के अनुसार भूमि की तीन तरह की अवस्थाएं होती हैं। जागृत अवस्था, सुप्त अवस्था और मृत अवस्था। भूमि की इन तीनों अवस्थाओं को आपकी जन्म कुंडली के ग्रहों के अनुसार देखा जाता है कि भूमि की अवस्था किस प्रकार की है। कई भूमि ऐसी भी होती है जो मृत होती है और फिर वह सुसुप्त होती है और बाद में जागृत हो जाती है। भूमि की इन अवस्थाओं का परीक्षण शनि व गुरु के गोचर के द्वारा देखा जाता है।

भूमि की दशा 
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि भूमि दोष को कुछ लक्षणों से समझ सकते हैं। सबसे पहले वहां पर लगे पेड़-पौधे देखने चाहिए, कि वहां पर किस प्रकार के पेड़-पौधे लगे हैं। यदि उस भूमि या प्लॉट में कांटे वाले पेड़ या फिर झाड़िया लगी हुई हैं, तो इस प्रकार की भूमि जागृत अवस्था में नहीं होती है। ऐसी भूमि में निर्माण करने और निर्माण के बाद भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कुछ भूमि ऐसी भी होती है कि आपको वहां पर चमक देखने को मिलेगी और वहां पर अपने आप से ऐसे पेड़-पौधे लगे होगें, जो अच्छे फूल देने वाले होंगे। ऐसी भूमि सर्वश्रेष्ठ भूमि की श्रेणी में आती है। यह पेड़-पौधे वहां की भूमि में अपने आप ही उग जाते हैं। इनको उगाना नहीं पड़ता है, क्योंकि यह वहां की भूमि का खास गुण होता है।

भूमि से जुड़े होते हैं अलग-अलग भाव
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि प्रत्येक स्थान का वायुमंडल, वातावरण और मनोस्थिति से भी जुड़ा है। शास्त्रों में क्षेत्र शुद्धि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कुछ स्थान जैसे मंदिरों में भक्ति के परमाणु अधिक होते है, इसलिए वहां जाने से भक्ति जागृत होती है और मन शांत रहता है। कुछ स्थान ज्ञान-प्रधान होते हैं, तो कुछ कर्म प्रधान कई जगह जाकर मन में दया भाव आ जाता है, तो कुछ स्थानों पर जाकर मन में वीरता के भाव जागृत होते हैं। मन में यह सभी भाव अलग-अलग भूमि के कारण ही जागृत होते हैं।

भूमि दोष निवारण 
वास्तु विशेषज्ञ डा. अनीष व्यास ने बताया कि भूमिदोष वाले प्लॉट या फिर किसी जमीन की स्थिति ठीक न होने पर या फिर भूमि में किसी प्रकार का दोष है, तो ऐसे में उस भूमि की डेढ़ से दो फीट पूरी मिट्टी यहां से निकाल कर बाहर फेंकवा देते हैं। इससे भूमि दोष क निवारण हो जाता है। भूमिदोष के निवारण के लिए आपको हर साल विश्वकर्मा पूजा भी करवानी चाहिए। वास्तु शांति प्रकरण भी साल में एक बार जरूर करानी चाहिए, इससे भी भूमि दोष से मुक्ति मिलती है। भूमि दोष को दूर करने के लिए आपको वास्तु शांति करवानी चाहिए। अगर आप साल में एक बार भी घर में वास्तु शांति करवाते हैं तो भूमि से जुड़े कई दोष दूर हो जाते हैं। अगर आप भूमि को डेढ़ या दो फिट खुदवाते हैं और इसकी मिट्टी को कहीं दूर फिंकवा देते हैं, तो वास्तु के अनुसार भूमि दोष दूर हो जाता है। भूमि दोष को दूर करने के लिए आपको केले, तुलसी आदि के पौधे जमीन पर लगाने चाहिए।  भूमि दोष से बचने के लिए घर में काले और लाल रंग का प्रयोग कम करना चाहिए। हनुमान चालीसा, दुर्गा सप्तशती और गीता का घर में पाठ करने से भी भूमि दोष दूर होने लगता है।


Content Editor

Chandra Prakash

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