मृत्यु के बाद भी स्वर्ग की राह नहीं आसान, घुटनों तक नदी के पानी में अर्थी लेकर श्मशान घाट पहुंचते हैं लोग

Monday, Aug 26, 2024-08:00 PM (IST)

झालावाड़, 26 अगस्त 2024 । प्रदेश में कई ऐसी सरकारें आई जो सिर्फ विकास के ढोल पीट कर चली गईं, लेकिन कई गांवों के हालात आज भी जस के तस हैं। वहां पर विकास तो छोड़ो, कई गांवों में श्मशान घाट नहीं तो कई गांवों में श्मशान घाट तक रास्ता ही नहीं, कई गावों में नदी पार कर मुक्ति धाम पहुंचते हैं । यहां अंतिम यात्रा भी मजबूरियां भरी है । भले ही प्रदेश के सीएम भजन लाल शर्मा प्रदेश में तमाम मूलभूत सुविधाएं होने का दावा करते हो ।

लेकिन सच्चाई तो ये है कि कई गावों में मरने के बाद शव को जलाने के लिए श्मशान घाट भी नहीं है। खुले आसमान के नीचे दाह संस्कार करते दिख रहे । कई गांव में नदी पार कर मुक्ति धाम पहुंचते हैं । यह ग्राम कहने में तो एक अच्छे गांव की श्रेणी में आता है, लेकिन धरातल पर कुछ और ही कहानी बयां कर रहा है। हम आपको जिले के बोलिया बुजर्ग ग्राम पंचायत का गांव संदुरिया का खेड़ा में भारी बरसात के दौरान रविवार को गांव खेड़ा निवासी कमला बाई मैहर का स्वर्गवास हो गया । 

नदी के ऊपर पुलिया नहीं होने से बरसात के मौसम के समय में नदी पार करके मुक्तिधाम तक अर्थी ले जाई गई ।अर्थी ले जाते समय लोगों को काफी संभाल कर नदी पार करना पड़ा । क्योंकि नदी में घुटने से लेकर कमर से ऊपर तक पानी है। पानी के कारण खतरा बना रहता है, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए अर्थी को मुक्ति धाम तक ले जाने की मजबूरी से इस खतरे को लोग खारिज कर देते हैं। उसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया । ऐसा नहीं है कि इस नदी पर पुल बनाने की मांग लोगों ने नहीं की, लेकिन ग्राम पंचायत ने आज तक इस नदी पर पुल का निर्माण नहीं हुआ।
 


Content Editor

Chandra Prakash

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Related News