विश्व में एक मात्र ब्रह्माजी मंदिर की खाली है महंत की गद्दी, सरकारी समिति के हवाले मंदिर का प्रबंधन

Sunday, Jan 12, 2025-07:08 PM (IST)

अजमेर, 12 जनवरी 2024 । पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में 8 वर्षों से महंत की गद्दी खाली पड़ी है । मंदिर में सरकारी तौर तरीके से ही पारंपरिक रस्मों को निभाया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं की भावनाएं भी आहत हो रही हैं । देश के प्रमुख मंदिरों में शुमार जगतपिता ब्रह्मा का पुष्कर में यह मंदिर आदिकाल से है । इतिहास में पहली बार इस मंदिर की गद्दी पर कोई महंत नहीं है । अब सवाल ये है कि भगवान ब्रह्मा को महंत की दरकार क्यों है ?, गद्दी सूनी क्यों ? इन्ही सवालों का जवाब आज हम इस खबर के जरिए देने की कोशिश करेंगे । 

दरअसल, 11 जनवरी 2017 को ब्रह्मा मंदिर के महंत सोमपुरी महाराज की दूदू के पास सड़क हादसे में मौत हुई थी । इसके बाद मंदिर के महंत की महत्वपूर्ण गद्दी के असली हकदार का फैसला आज तक नहीं हुआ । जगद्गुरू शंकराचार्य की यह महत्वपूर्ण गद्दी तब से खाली पड़ी है । महंत के अभाव में मंदिर प्रबंधन सरकारी अधिकारियों के हाथ में है। 

आपको बता दें कि महंत सोमपुरी महाराज से पहले गद्दी पर महंत लहरपुरी महाराज थे, उनके निधन के बाद उनके उत्तराधिकारी शिष्य सोमपुरी मंदिर के 32वें महंत बने थे । वे सिर्फ सवा तीन साल महंत रहे । उन्होंने चूंकि अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया था । 2017 में उनके निधन के बाद से ही नए महंत को लेकर घमासान शुरू हो गया । गद्दी के लिए महानिर्वाणी अखाड़े और पुजारी परिवार के साथ कई लोगों ने दावेदारी की, लेकिन मामला सहायक देवस्थान कोर्ट तक पहुंच गया । 

महंत बनने के लिए किस-किस ने की दावेदारी ? 


सोमपुरी महाराज के भतीजे दिवलाल पुरी ने मुंडन तक करा लिया, वहीं मंदिर के वरिष्ठ पुजारी लक्ष्मीनिवास ने गृहस्थी छोड़ने का ऐलान तक कर दिया । हालांकि सोमपुरी महाराज की मौत के बाद दो सप्ताह तक घमासान चला । इस दौरान दर्जनभर लोग महंत बनने आ गए, ऐसे में मामला कोर्ट में जाना ही था । बता दें कि मंदिर कमेटी कोर्ट में करीब 8 लोगों ने महंत बनने के लिए दावे पेश कर रखे हैं । लेकिन देवस्थान कोर्ट इस महत्वपूर्ण गद्दी के असली हकदार का फैसला नहीं कर सका । मंदिर के 1360 साल के इतिहास में महंत की गद्दी पहली बार इतने लंबे समय के लिए खाली है । ब्रह्मा मंदिर में महंत की गद्दी को लेकर हुए विवाद का सरकार निपटारा तो नहीं सकी, लेकिन जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय अस्थाई मंदिर प्रबंधन कमेटी जरूर गठित कर दी गई, फिलहाल यही कमेटी मंदिर की पूरी कमान संभाल रही है । 

दुनिया में एकमात्र ब्रह्माजी के मंदिर में लगे दान पात्रों में आने वाला चढ़ावा अस्थाई प्रबंध समिति के माध्यम से सरकार तक पहुंच रहा है । सदियों से इस मंदिर में गुरु शिष्य परंपरा के अनुसार ही महंत की नियुक्ति होती आई है, मगर मामला कोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से महंत की नियुक्ति अधर में लटक गई है । ऐसे में संत समाज का मानना है कि किसी भी मंदिर की महंत की गद्दी खाली होना अच्छा नहीं माना जाता।
 


Content Editor

Chandra Prakash

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