अंतिम शव यात्रा को भी पानी में से होकर गुजरना पड़ रहा, क्या इस ओर विभागीय अधिकारी इस ओर देंगे ध्यान ?

Friday, Aug 30, 2024-05:38 PM (IST)

दौसा, 30 अगस्त 2024 । इंसान को जीते जी चाहे सुख मिले या ना मिले, लेकिन मरने के बाद तो इस संसार से नाता खत्म हो जाएगा और पुण्यात्मा को मोक्ष मिल जाएगा । हर इंसान यही सोचता है । वहीं दूसरी ओर मरने के बाद आपकी शव यात्रा को रास्ता ही ना मिले तो इससे खराब बात और क्या हो सकती है ? ऐसे ही एक मामले से हम आपको आज रूबरू करवाएंगे । ये पूरा मामला दौसा जिले का है, जहां अंतिम शव यात्रा को भी पानी में से होकर जाना पड़ता है । 

विस्तार से बात की जाए तो ये पूरा मामला दौसा जिले के बांदीकुई का है । जहां इंसानियत को अंदर तक हिला देने जैसा मामला सामने आया है । जहां ये कहावत, 'वो राजा किस काम का जो प्रजा का दुख ना बांट सके' वो भी जीते जी नहीं, बिल्कुल सटीक बैठ रही है । दरअसल, इसी कहावत को चरितार्थ होते कोलाना ग्राम पंचायत मुख्यालय पर ग्रामीणों द्वारा सार्थक होते महसूस किया गया। मामला कोलाना ग्राम पंचायत का है, जहां कोलाना ग्राम पंचायत परिसर के पास श्मशान घाट बना हुआ है । इसी श्मशान घाट में कोलाना ग्राम पंचायत मुख्यालय के आसपास के गांव व ढाणियों से मृतकों को दाह संस्कार के लिए लाया जाता है ।

जहां एक अंतिम शव यात्रा को श्मशान तक पहुंचने के लिए रास्ते में भरे पानी में से होकर गुजरना पड़ा । ग्रामीणों ने बताया कि कोलाना ग्राम पंचायत मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर गीजगड्या की ढाणी में छोटी देवी सैनी उम्र करीब 90 वर्ष का देहांत हो गया था। ग्रामीणों के साथ रिश्तेदार शवयात्रा को दाह संस्कार के लिए कोलाना ग्राम पंचायत मुख्यालय पर स्थित श्मशान घाट के लिए लेकर रवाना हुए, लेकिन रास्ते में भरे घुटनों तक भरे पानी से गुजरना पड़ा। 

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इधर, शव अपने कंधों पर लेकर चल रहे लोगों को भारी परेशानियों के बीच इस दल-दल से निकलने को मजबूर होना पड़ा। जबकि इससे पहले ढाणी के लोगों ने कोलाना के विकास के लिए जिम्मेदारों को रास्ते में पानी भराव की समस्या के समाधान के लिए अवगत भी करा दिया था, लेकिन किसी ने इस मामले की ओर ध्यान नहीं दिया। ऐसे में परिणाम आप खुद भी देख लो घुटने तक भरे पानी में होकर शवयात्रा को गुजरना पड़ रहा है । ऐसे में ग्रामीणों में आक्रोश है । शव का अंतिम संस्कार करने के बाद ग्रामीणों ने कोलाना ग्राम पंचायत प्रशासन और सरपंच के खिलाफ प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी की । 

इस दौरान लोगों ने कहा, कि सरपंच ने अपने परिवार के लोगों के खेतों में सेफ्टी दीवार के नाम पर सरकारी पैसे से चार दीवारी तो करा दी, लेकिन सरपंच साहब को आमजन के रोज काम आने वाले इस आम रास्ते की समस्या अवगत कराने के बाद भी दिखाई नहीं दे रही । मामले में नाराजगी जाहिर करते हुए दर्जनों भर ग्रामीणों ने सरपंच के खिलाफ नारेबाजी कर रोष भी दिखाया है । लेकिन बड़ा सवाल अब भी यही है कि इंसान को जीते जी जीवन में वह हर काम करने पड़ते हैं जो चाहे उसकी मर्जी के खिलाफ की क्यों ना हो, लेकिन हर इंसान यही सोचता है, कि मरने को बाद तो इस आत्मा को भगवान शांति देगा । लेकिन अब इस तरह के हालातों के बीच में एक इंसान की अंतिम यात्रा निकले तो सोचो इंसानियत आखिर कहां दम तोड़ गई ?


Content Editor

Chandra Prakash

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