साबरमती हब: एक स्टेशन, चार कनेक्शन
Friday, Sep 26, 2025-08:44 PM (IST)

अहमदाबाद | साबरमती के किनारे खड़े होकर जब चमचमाती नई इमारत को देखते हैं तो साफ समझ आता है कि यह केवल एक स्टेशन नहीं है। यह आने वाले भारत का चेहरा है। ऊँची-ऊँची शीशे की दीवारों वाली इमारत, हर मंज़िल पर व्यवस्थित वेटिंग एरिया और अंदर से निकलती ठंडी हवा यात्रियों को अहसास दिलाती है कि वे किसी यूरोपीय टर्मिनल में हैं।
यह है साबरमती मल्टीमोडल टर्मिनल हब, जो मुंबई–अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का उत्तरी टर्मिनल है। दिसंबर 2023 में इसका मुख्य भवन पूरा हो चुका है और अब इसे मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी से जोड़ने का काम तेज़ी से चल रहा है।
मेट्रो से आने वाले यात्रियों के लिए सीधा फुट-ओवरब्रिज बनाया जा रहा है। रेलवे से कनेक्ट होने वाला एक और ब्रिज हब को पुरानी दुनिया से नई दुनिया में जोड़ता है। सबसे लंबा 249 मीटर का ब्रिज हाई-स्पीड रेल स्टेशन तक जाता है, जहां से बुलेट ट्रेन 320 किमी/घंटा की रफ्तार से मुंबई का सफर तय करेगी। चमचमाते स्टेनलेस स्टील पर उकेरा गया दांडी मार्च का दौर याद दिलाता है। यात्रियों को यह दृश्य इतिहास और आधुनिकता का अद्भुत संगम दिखाएगा।
निर्माण की रफ्तार नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) के अधिकारी बताते हैं कि हमारी कोशिश है कि यहां आने वाला हर यात्री यह महसूस करे कि वह भविष्य में कदम रख रहा है। ये ,2053 तक की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है। जापान में एक हब से पूरे शहर का ट्रांसपोर्टेशन का कांसेप्ट लिया गया है।
राह में है कई चुनौतियां भी
इस परियोजना के सामने कई चुनौतियां भी है। साबरमती टर्मिनल हब के काम में पूरी रफ्तार है लेकिन बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट इसकी महत्वपूर्ण कड़ी है। लिहाजा उससे यदि देर होती है तो इसका असर इस भी पड़ेगा। बुलेट ट्रेन और हब दोनों ही महंगे प्रोजेक्ट हैं। इसका भार यात्रों पर न आए इसकी व्यापक प्लानिंग की ज़रूरत होगी।
रेलवे, मेट्रो, बीआरटीएस और बसों को एक साथ जोड़ना आसान नहीं, भारतीय परिदृश्य में पहला प्रयोग होगा। हब चालू होने के बाद आसपास की सड़कों पर ट्रैफिक का बोझ और बढ़ सकता है।
- विशाल सूर्यकांत