देश की अनमोल विरासत के महत्व को समझें युवा: राष्ट्रपति मुर्मू

2/27/2023 7:19:03 PM

जयपुर, 27 फरवरी (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि सभी को अपने देश की समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए और युवाओं एवं बच्चों के लिए देश की अनमोल विरासत के महत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है।
मुर्मू बीकानेर शहर में 14वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘हम सबको भारत की संपन्न और समृद्ध संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। साथ ही, हमें अपनी परंपराओं में, नए विचारों और नयी सोच को स्थान देना चाहिए, जिससे हम अपने युवाओं और आने वाली पीढ़ी को भी इन परंपराओं से जोड़ सकें। हमारे युवा और बच्चे देश की अनमोल विरासत के महत्व को समझें, यह बहुत आवश्यक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सच्चे कलाकारों का जीवन तपस्या का उदाहरण होता है। किसी भी काम को एकाग्रता व समर्पण के साथ कैसे किया जाता है, यह सीख हम कलाकारों से ले सकते हैं। खास तौर पर हमारी युवा पीढ़ी को हमारे कलाकारों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।’’
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे अधिक से अधिक कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित की जाएं जिनके माध्यम से युवाओं और अनुभवी कलाकारों के बीच विचारों और प्रतिभाओं का आदान-प्रदान हो सके।

उन्होंने कहा कि आज के डिजिटल युग में यह भी देखना होगा कि कैसे नयी पीढ़ी को निरंतर अभ्यास और मेहनत करने की प्रेरणा दी सकती है। उन्होंने कहा कि आज के लोगों का जीवन और समय बहुत तेज गति से भाग रहा है, इसलिए अपनी कला और संस्कृति की धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना आसान नहीं है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यहां उपस्थित महान विभूतियों, विद्वानों, कला प्रेमियों, कलाकारों को मैं यह काम सौंपना चाहती हूं। आप सबको मिलकर ऐसे उपाय और तकनीक निकालनी होगी जिससे आज के लोग, ख़ासकर युवा और बच्चे, अपने समय का सदुपयोग करें और कला-संस्कृति को समझने एवं सीखने के लिए प्रयास करें तथा निपुणता के लिए अभ्यास करते रहें। मुझे पूरा विश्वास है कि आप ज़रूर इस ओर ध्यान देंगे और राष्ट्र की संपन्नता एवं समृद्धि को और बढ़ाएंगे।’’
मुर्मू ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि परिवर्तन जीवन का नियम है। कलाओं, परंपराओं और संस्कृति में भी समय के साथ परिवर्तन आता ही है। कला शैली, रहन-सहन का ढंग, वेश-भूषा, खान-पान सबमें समय के साथ बदलाव आना स्वाभाविक है लेकिन कुछ बुनियादी मूल्य और सिद्धांत पीढ़ी दर पीढ़ी आगे चलते रहने चाहिए, तभी भारतीयता को हम जीवित रख सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना, शांति और अहिंसा, प्रकृति से प्रेम, सब जीवों के लिए दया, दृढ़ संकल्प से आगे बढ़ना - ऐसे अनेक मूल्य हैं जो हम सब देशवासियों को एक सूत्र में बांधते हैं। आज भारत विश्व भर में अपनी नई पहचान बना चुका है जिसमें आधुनिक सोच को अपनाने के साथ-साथ परंपराओं और संस्कृति को सहेजने की क्षमता है।’’
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से ही देश की कला शैली उच्च स्तर की रही है और सिंधु घाटी की सभ्यता के समय से ही नृत्य, संगीत, चित्रकारी, वास्तुकला जैसी अनेक कलाएं भारत में विकसित थीं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में अध्यात्म की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सृष्टि की प्रत्येक रचना कला का एक अद्भुत उदाहरण है। नदी की लहर का मधुर संगीत हो या मयूर का मनमोहक नृत्य, कोयल का गीत हो, मां की लोरी या नन्हे से बच्चे की बाल-लीला हो, हमारे चारों ओर कला की सुगंध फैली हुई है।’’
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का परंपराओं से और विज्ञान का कला से मेल होना जरूरी है तथा आज का युग प्रौद्योगिकी का युग है एवं हर क्षेत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। मुर्मू ने कहा कि कला और संस्कृति के क्षेत्र में भी प्रौद्योगिकी को अपनाया जा रहा है, इंटरनेट के माध्यम से नए और युवा कलाकारों की प्रतिभा भी देश के कोने-कोने तक फैल रही है।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हम नयी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके देश की कला, परंपराओं और संस्कृति का प्रसार व्यापक रूप से कर सकते हैं।’’
कार्यक्रम को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल व राजस्थान के संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ने भी संबोधित किया। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के 14वें संस्करण के तहत इस नौ दिवसीय महोत्सव का आयोजन बीकानेर के डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में हो रहा है। यह महोत्सव, संस्कृति मंत्रालय का एक प्रमुख महोत्सव है, जिसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, बढ़ावा देना और लोकप्रिय बनाना है।


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PTI News Agency

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