ईआरसीपी को लेकर गहलोत ने शिवराज से बात की
8/09/2022 2:56:36 PM
जयपुर, नौ अगस्त (भाषा) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात की है।
गहलोत के अनुसार, शिवराज ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री स्तर की बैठक करने पर सहमति जताई है।
उन्होंने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, “पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से वार्ता कर उन्हें अवगत कराया कि 2005 में राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 13वीं बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार ही इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।”
गहलोत के मुताबिक, “राजस्थान में चंबल की सहायक नदियों से प्राप्त हो रहे पानी पर आधारित इस परियोजना में मध्य प्रदेश से बहकर आने वाले पानी के 10 प्रतिशत से कम हिस्से का इस्तेमाल होगा। लिहाजा वर्ष 2005 में लिए गए निर्णय के अनुसार ऐसी परियोजनाओं के लिए मध्य प्रदेश की सहमति की आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने कहा, “पहले राजस्थान ने भी मध्य प्रदेश द्वारा इस प्रकार चंबल एवं सहायक नदियों पर बनाई गई परियोजनाओं में आपत्ति प्रकट नहीं की थी तथा मध्य प्रदेश ने उन नदियों पर बांधों का निर्माण कर लिया। इसी तरह ईआरसीपी पर भी मध्य प्रदेश का सहयोग अपेक्षित है।”
गहलोत ने लिखा, “शिवराज ने राजस्थान और मध्य प्रदेश के सभी मुद्दों पर चर्चा एवं सहमति बनाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक रखने पर सहमति जताई है।”
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार लगातार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग कर रही है। यह 37,247 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिससे राज्य के 13 जिलों-झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर को लाभ होगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
गहलोत के अनुसार, शिवराज ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री स्तर की बैठक करने पर सहमति जताई है।
उन्होंने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा, “पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) के संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से वार्ता कर उन्हें अवगत कराया कि 2005 में राजस्थान-मध्य प्रदेश अंतरराज्यीय नियंत्रण मंडल की 13वीं बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार ही इस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है।”
गहलोत के मुताबिक, “राजस्थान में चंबल की सहायक नदियों से प्राप्त हो रहे पानी पर आधारित इस परियोजना में मध्य प्रदेश से बहकर आने वाले पानी के 10 प्रतिशत से कम हिस्से का इस्तेमाल होगा। लिहाजा वर्ष 2005 में लिए गए निर्णय के अनुसार ऐसी परियोजनाओं के लिए मध्य प्रदेश की सहमति की आवश्यकता नहीं है।”
उन्होंने कहा, “पहले राजस्थान ने भी मध्य प्रदेश द्वारा इस प्रकार चंबल एवं सहायक नदियों पर बनाई गई परियोजनाओं में आपत्ति प्रकट नहीं की थी तथा मध्य प्रदेश ने उन नदियों पर बांधों का निर्माण कर लिया। इसी तरह ईआरसीपी पर भी मध्य प्रदेश का सहयोग अपेक्षित है।”
गहलोत ने लिखा, “शिवराज ने राजस्थान और मध्य प्रदेश के सभी मुद्दों पर चर्चा एवं सहमति बनाने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक रखने पर सहमति जताई है।”
उल्लेखनीय है कि राजस्थान सरकार लगातार ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग कर रही है। यह 37,247 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिससे राज्य के 13 जिलों-झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर को लाभ होगा।
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