अजमेर दरगाह के खादिमों के भड़काऊ बयानों के कारण आगंतुकों की संख्या में कमी

7/17/2022 9:18:44 PM

जयपुर, 17 जुलाई (भाषा) अजमेर दरगाह के कुछ खादिमों द्वारा हाल ही दिये गये कथित विवादास्पद और भड़काऊ भाषणों ने लगभग 800 साल पुरानी अजमेर दरगाह की धर्म निरपेक्ष छवि को धूमिल किया है जिसके चलते यहां आगंतुकों की संख्या कम हुई है। इसके बाद स्थिति को बहाल करने के लिये विश्वास बहाली के उपाय शुरू किये गये हैं।

भडकाऊ भाषण इस्लाम का कथित अपमान करने के लिये सिर काटने और नूपुर शर्मा के समर्थन में दरगाह के बाजार में हिंदू दुकानदारों का आर्थिक बहिष्कार के बारे में थे।

इसका असर यह हुआ कि दरगाह में आने वालों की संख्या में तेजी से गिरावट हुयी । होटलों और गेस्ट हाउसों में अग्रिम बुकिंग को लेागों ने रद्द करवा दिया । आसपास के इलाकों के बाजारों में भी लोगों की आवाजाही कम हो गयी ।
इसे देखते हुए हितधारकों ने अजमेर में हाल ही में एक सर्वधर्म शांति मार्च का आयोजन किया और दरगाह को इस माहौल से अलग रखने की चेतावनी जारी की। दरगाह की धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखने के लिये संयुक्त बैठक जैसे विश्वास निर्माण की उपाय शुरू किए।

आल इंडिया सूफी सज्जादनाशिन परिषद के अध्यक्ष नसीरूद्दीन चिश्ती ने ‘‘पीटीआई-भाषा’’ को बताया कि ‘’17 जून को अजमेर दरगाह के मुख्य द्वार से दिये गये भडकाऊ भाषण से अजमेर दरगाह की पवित्रता को ठेस पहुंची। यह कृत्य अत्यधिक निंदनीय था क्योंकि इस स्थान की एक पावित्रता है और सबको इसे बनाये रखना चाहिये।’’
दरगाह के एक खादिम मुसब्बिर ने कहा, ‘‘इस तरह के कृत्य के कारण शुरू में दरगाह में लोगों की भीड़ पर असर पड़ा है लेकिन विश्वास बहाली के उपयों से स्थिति में सुधार हो रहा है।’’
दरगाह में दुनिया के कई हिस्सों से कई विदेशी राष्ट्र प्रमुख, राजनेता, राजनयिक, मशहूर हस्तियां, व्यापारी लोग आदि अक्सर आते रहते है।

मौजूदा माहौल पर चिंता जताते हुए अभिनेता रजा मुराद ने कहा कि किसी को भी ऐसा भडकाऊ भाषण देने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए जिसमें हिंसा की बात हो।

अभिनेता ने कहा, ‘‘अजमेर एक पवित्र भूमि रही है और ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की शिक्षाओं के लिये जानी जाती हैं इस जगह की गरिमा को हर किसी को बनाए रखना है।’’
स्थानीय मुस्लिम नेता मुजफ्फर भारती ने कहा कि दरगाह पर कोई भेदभाव नहीं है और सभी धर्मो और समाज के लोग दरगाह पर आते हैं और कुछ लोगों के व्यक्तिगत विचारों को अजमेर दरगाह के संदेश के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।

एक खादिम ने बताया, ‘‘नियमित रूप से यहां आने वालों की संख्या करीब 30 हजार है लेकिन इसमें काफी गिरावट देखी गई है। शुरूआती दिनों में दरगाह सुनसान नजर आती थी लेकिन इस शुक्रवार के बाद से श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा दिखाई दे रहा है।

भारी भीड़ के साथ तंग गलियां दरगाह की ओर जाती है और दरगाह के आसपास करीब 10,000 दुकाने, भोजनालय, गेस्ट हाउस और होटल है तथा अधिकतर दुकानों का संचाालन हिंदू करते हैं ।

स्थानीय बाजार संघ के अध्यक्ष और दरगाह बाजार में एक होटल चलाने वाले होतचंद ने कहा कि ‘‘इस तरह के विवादास्पद बयानों के कारण बाजार में कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। होटलों में बुकिंग रद्द कर दी गई और आगंतुकों की संख्या में कमी आई है। खादिमों के भाषणों से हर दुकानदार को नुकसान हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि अब आने वालों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है।

एक अन्य कारोबारी जोदा टेकचंदानी ने कहा कि दरगाह बाजार में अधिकतर दुकानों का संचालन हिन्दू समुदाय के लोग विशेषकर सिंधी समाज के लोग करते हैं । उन्होंने कहा कि इन भाषणों के कारण लोग और दुकानदार भयभीत है, और पिछले 15 दिनों में दुकानों में बिक्री में 70-80 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

दरगाह कमेटी के उपाध्यक्ष मुनावर खान ने कहा कि दरगाह कमेटी ने दरगाह में विवादित भाषण देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाही की चेतावनी जारी की है।
उन्होंने कहा, ‘‘शनिवार को एक संयुक्त बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि दरगाह से जुडा कोई भी व्यक्ति ऐसा कुछ भी जारी नहीं करेगा जो ख्वाजा साहब की शिक्षाओं के विपरीत हो और देश की शांति और समृद्धि में बाधा हो।’’
अजमेर के जिला कलेक्टर अंशदीप ने बताया कि मंगलवार को अजमेर में सर्वसमाज शांति मार्च निकाला गया था जिसमें हिंदू और मुस्लिम समाज के विभन्न समुदायों के धर्मगुरूओं ने भाग लिया था।

अजमेर पुलिस ने विभिन्न भडकाऊ भाषण के मामलों में तीन आरोपी खादिमों और तीन अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

PTI News Agency

Advertising