लंबित मामलों की वजह न्यायिक पदों की रिक्तियों को न भरना: सीजेआई रमण

7/17/2022 1:34:43 AM

जयपुर, 16 जुलाई (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमण ने शनिवार को कहा कि देश की अदालतों में बड़ी संख्या में मामले लंबित होने का मुख्य कारण न्यायिक पदों की रिक्तियों को न भरा जाना व न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं करना है।

उन्होंने यह टिप्पणी केंद्रीय विधि मंत्री किरण रिजीजू द्वारा देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या लगभग पांच करोड़ होने की बात उठाए जाने की बाद की। न्यायमूर्ति रमण व विधि मंत्री रिजीजू यहां विधिक सेवा प्राधिकरणों के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

रिजीजू ने अपने संबोधन में देश की अदालतों में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए इसे चुनौती बताया। उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के अमृत महोत्सव काल में देश की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या लगभग पांच करोड़ पहुंचने वाली है। मैं जहां कहीं भी जाता हूं, तो लोग यह सवाल उठाते हैं और यह सीधा साधा मेरे ऊपर बोझ बन जाता है कि हमने क्या किया है और हमें क्या करना चाहिए?’’
उन्होंने कहा,‘‘ न्यायपालिका व सरकार के बीच तालमेल होनी चाहिए और आवश्यकता अनुसार विधायिका को अपनी भूमिका निभानी चाहिए ताकि इस संख्या को कम करने के लिए हर संभव कदम उठाया जा सके।’’
रिजीजू ने कहा,‘‘क्या हम एक लक्ष्य लेकर चल सकते हैं। ठोस कदम उठाए जाने चाहिए, जिससे हम दो साल में कम से कम हम दो करोड़ लंबित मामले निपटा सकें। यह बहुत बड़ी चुनौती है।’’
मंत्री की चिंता का जवाब देते हुए न्यायमूर्ति रमण ने कहा कि बड़ी संख्या में मामले लंबित होने की वजह न्यायिक रिक्तियों को न भरना है।

उन्होंने कहा, ''मुझे खुशी है कि उन्होंने (रिजीजू ने) मामले लंबित होने का मुद्दा उठाया। हम न्यायाधीश भी जब देश से बाहर जाते हैं, तो उसी सवाल का सामना करते हैं। मामले लंबित होने के कारणों को आप सभी जानते हैं। मैंने मुख्य न्यायाधीशों-मुख्यमंत्रियों के गत सम्मेलन में इसका संकेत दिया था। आप सभी जानते हैं कि इसका मुख्य कारण न्यायिक रिक्तियों को न भरना और न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार नहीं करना है।’’
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण सफलता की एक कहानी है, जिसने लगभग दो करोड़ ‘प्री लिटिगेशन’ मामलों को निपटाया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल एक करोड़ मामलों का निपटारा किया गया था और यह एक बड़ी उपलब्धि और सर्वश्रेष्ठ मॉडल है।

भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक अधिकारी और न्यायाधीश कड़ी मेहनत करते हैं और अपने दैनिक न्यायिक कर्तव्यों के अलावा, वे शनिवार और रविवार को अतिरिक्त घंटे काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि न्यायपालिका इन सभी मुद्दों को सुलझाने की कोशिश में हमेशा आगे रहती है।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

PTI News Agency

Advertising