जनजाति समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने के लिए विशेष प्रयास जरूरी: मिश्र
11/16/2021 9:45:09 AM
जयपुर, 15 नवंबर (भाषा) राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने जनजातीय समाज को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सक्षम बनाते हुए राष्ट्र की मुख्यधारा में शामिल होने के अधिकाधिक अवसर प्रदान करने की जरूरत व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आदिवासी और गैर आदिवासियों के बीच की खाई को पाटने के लिए व्यावहारिक स्तर पर प्रयास होने चाहिए। राज्यपाल क्रांतिकारी महापुरुष बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर सोमवार को राजभवन में आयोजित ''जनजातीय गौरव सम्मान'' समारोह में सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की कलाओं और उनकी संस्कृति के संरक्षण के साथ ही उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आजीविका के लिए अधिक से अधिक अवसर सृजित किये जाने चाहिए। इसके लिए जनजातीय क्षेत्र में चलाई जा रही कल्याण योजनाओं को और अधिक प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि बिरसा मुंडा ने अंग्रेज शासन के खिलाफ सशस्त्र क्रांति का आह्वान करने के साथ आदिवासियों के हकों के लिए आवाज उठाई।
आदिवासी समाज में भगवान के रूप में पूजे जाने वाले बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने की पहल की उन्होंने सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी ही पर्यावरण संरक्षण के साथ देश की अनमोल वन सम्पदा को बचाए रखने और धरती पर परिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने का कार्य कर रहे हैं। इसे देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने वन संसाधनों के प्रबंधन में जनजातीय समुदायों को और अधिक अधिकार देने का निर्णय किया है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अनुसूचित क्षेत्र में जनजातियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने पर सिरोही जिले के मोरस एवं जाम्बूड़ी तथा उदयपुर जिले के पलोदड़ा, परसाद, देवला, झाड़ोली व मगवास के वनधन विकास केन्द्रों के प्रतिनिधियों को सम्मानित भी किया।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की कलाओं और उनकी संस्कृति के संरक्षण के साथ ही उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आजीविका के लिए अधिक से अधिक अवसर सृजित किये जाने चाहिए। इसके लिए जनजातीय क्षेत्र में चलाई जा रही कल्याण योजनाओं को और अधिक प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने की आवश्यकता है। राज्यपाल ने कहा कि बिरसा मुंडा ने अंग्रेज शासन के खिलाफ सशस्त्र क्रांति का आह्वान करने के साथ आदिवासियों के हकों के लिए आवाज उठाई।
आदिवासी समाज में भगवान के रूप में पूजे जाने वाले बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाए जाने की पहल की उन्होंने सराहना की। राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी ही पर्यावरण संरक्षण के साथ देश की अनमोल वन सम्पदा को बचाए रखने और धरती पर परिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने का कार्य कर रहे हैं। इसे देखते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने वन संसाधनों के प्रबंधन में जनजातीय समुदायों को और अधिक अधिकार देने का निर्णय किया है।
राज्यपाल ने इस अवसर पर अनुसूचित क्षेत्र में जनजातियों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए उल्लेखनीय कार्य करने पर सिरोही जिले के मोरस एवं जाम्बूड़ी तथा उदयपुर जिले के पलोदड़ा, परसाद, देवला, झाड़ोली व मगवास के वनधन विकास केन्द्रों के प्रतिनिधियों को सम्मानित भी किया।
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