राजस्थान में बजरी की जरूरत पूरा करने को प्रतिबद्ध है राज्य सरकार: मुख्यमंत्री गहलोत
1/25/2021 5:53:47 PM
जयपुर, 25 जनवरी (भाषा) मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार निर्माण कार्यों के लिए लोगों की बजरी की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस नयी विनिर्मित बजरी (एम-सैंड) पालिसी-2020 इस दिशा में ''बाजी पलटनेवाली'' साबित होगी।
उन्होंने कहा कि इस बहुप्रतीक्षित नीति के कारण राज्य में ''एम-सैंड'' के उपयोग तथा इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और नदियों से निकलने वाली बजरी पर हमारी निर्भरता में कमी आएगी। साथ ही राज्य के खनन क्षेत्रों में खानों से निकलने वाले वेस्ट की समस्या का भी समाधान होगा और बड़ी संख्या में इकाइयां लगने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर ''एम-सैंड नीति-2020'' के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संबंधी प्रक्रिया व न्यायिक आदेशों के बाद राज्य में निर्माण कार्यों की आवष्यकता के अनुरूप बजरी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। ऐसे में वर्ष 2019-20 के बजट में हमने बजरी के दीर्घकालीन विकल्प के रूप में विनिर्मित बजरी को बढ़ावा देने के उद्देष्य से ''एम-सैंड'' नीति लाने का वादा किया था।
उन्होंने कहा,''मुझे बहुत खुशी है कि हम राज्य की जनता को इस नीति के जरिए एम-सैंड के रूप में प्राकृतिक बजरी का उचित विकल्प उपलब्ध कराने जा रहे हैं।'' खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि नीति में एम-सैंड इकाइयों को उद्योग का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति में देश के अन्य राज्यों की नीति का अध्ययन कर राज्य की जरूरतों के अनुरूप आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।
अधिकारियों के अनुसार इस समय राज्य में 20 ''एम-सैंड'' इकाइयां काम कर रही हैं जिनसे प्रतिदिन 20 हजार टन ''एम-सैंड'' का उत्पादन हो रहा है। नीति के आ जाने के बाद नई इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस बहुप्रतीक्षित नीति के कारण राज्य में ''एम-सैंड'' के उपयोग तथा इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और नदियों से निकलने वाली बजरी पर हमारी निर्भरता में कमी आएगी। साथ ही राज्य के खनन क्षेत्रों में खानों से निकलने वाले वेस्ट की समस्या का भी समाधान होगा और बड़ी संख्या में इकाइयां लगने से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर ''एम-सैंड नीति-2020'' के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण संबंधी प्रक्रिया व न्यायिक आदेशों के बाद राज्य में निर्माण कार्यों की आवष्यकता के अनुरूप बजरी की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। ऐसे में वर्ष 2019-20 के बजट में हमने बजरी के दीर्घकालीन विकल्प के रूप में विनिर्मित बजरी को बढ़ावा देने के उद्देष्य से ''एम-सैंड'' नीति लाने का वादा किया था।
उन्होंने कहा,''मुझे बहुत खुशी है कि हम राज्य की जनता को इस नीति के जरिए एम-सैंड के रूप में प्राकृतिक बजरी का उचित विकल्प उपलब्ध कराने जा रहे हैं।'' खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि नीति में एम-सैंड इकाइयों को उद्योग का दर्जा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस नीति में देश के अन्य राज्यों की नीति का अध्ययन कर राज्य की जरूरतों के अनुरूप आवश्यक प्रावधान किए गए हैं।
अधिकारियों के अनुसार इस समय राज्य में 20 ''एम-सैंड'' इकाइयां काम कर रही हैं जिनसे प्रतिदिन 20 हजार टन ''एम-सैंड'' का उत्पादन हो रहा है। नीति के आ जाने के बाद नई इकाइयों की स्थापना को प्रोत्साहन मिलेगा।
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