सुप्रीम कोर्ट से प्रमोद जैन भाया को राहत, कांग्रेस ने झूठे प्रकरणों को बताया साजिश का हिस्सा
Friday, Jul 18, 2025-06:06 PM (IST)

बारां, 18 जुलाई 2025। राजस्थान के पूर्व खान मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद जैन भाया के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमों को लेकर कांग्रेस नेताओं ने प्रेस वार्ता कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा मिली राहत की जानकारी साझा की। नेताओं ने कहा कि कुछ मीडिया संस्थानों ने भ्रामक तरीके से यह प्रचारित किया कि भाया को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने दंडात्मक कार्यवाही (गिरफ्तारी सहित) पर रोक लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश – दंडात्मक कार्यवाही पर रोक
कांग्रेस जिलाध्यक्ष रामचरण मीणा, पूर्व विधायक पानाचंद मेघवाल, करण सिंह राठौड़ और निर्मला सहरिया ने बताया कि प्रमोद भाया द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) में 7 एफआईआर का उल्लेख करते हुए तीन प्रमुख प्रार्थनाएं की गई थीं:
इन एफआईआर को निरस्त किया जाए
इनकी जांच बारां/झालावाड़ के बजाय किसी अन्य जिले की पुलिस से करवाई जाए
जांच के दौरान किसी भी दंडात्मक कार्रवाई (गिरफ्तारी आदि) पर रोक लगाई जाए
सुप्रीम कोर्ट ने इन बिंदुओं पर संज्ञान लेते हुए 16 जुलाई 2025 को आदेश पारित किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि: "जब तक जांच चल रही है, तब तक पिटीशनर के खिलाफ किसी भी प्रकार की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी, बशर्ते वह जांच में सहयोग करता रहे।"
साथ ही, कोर्ट ने संबंधित पक्षों (शिकायतकर्ता सहित) को नोटिस जारी कर चार सप्ताह का जवाब देने का समय दिया है।
कांग्रेस का आरोप – बदले की भावना से दर्ज हुईं झूठी एफआईआर
नेताओं ने प्रेस वार्ता में बताया कि 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद, प्रमोद भाया सहित कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के खिलाफ राजनीतिक द्वेष और बदले की भावना से झूठे मुकदमे दर्ज किए गए।
जब बारां पुलिस की कार्यप्रणाली को पक्षपातपूर्ण पाया गया, तो राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर जांच दूसरे जिले से करवाने या एफआईआर निरस्त करने की मांग की गई। हाईकोर्ट ने दोनों प्रार्थनाओं को विरोधाभासी मानते हुए याचिका खारिज कर दी, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी।
मीडिया पर भ्रामक रिपोर्टिंग का आरोप
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कुछ समाचार पत्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने गलत तथ्य प्रस्तुत कर आमजन को भ्रमित किया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि:
SLP में केवल 7 एफआईआर का उल्लेख है, 29 का नहीं
SLP में जांच रोकने की नहीं, बल्कि दंडात्मक कार्रवाई रोकने की मांग की गई थी
सुप्रीम कोर्ट ने यह राहत प्रदान की है, जिसे कुछ मीडिया ने नकारात्मक ढंग से पेश किया
"जनता को सच जानना चाहिए" – कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इस प्रेस नोट का उद्देश्य जनता को भ्रम से बचाना और सच्चाई से अवगत कराना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और प्रमोद भाया कानून के अनुसार अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
संबंधित तथ्य:
आदेश दिनांक: 16 जुलाई 2025
कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली
याचिकाकर्ता: प्रमोद जैन भाया
मूल मांग: एफआईआर निरस्तीकरण / निष्पक्ष जांच / दंडात्मक कार्रवाई पर रोक