Rajasthan Politics: राजस्थान में गरमाई सियासत! राजकुमार रोत ने अमित शाह से की मुलाकात !

Monday, Dec 16, 2024-03:01 PM (IST)

संसद के शीतकालीन सत्र के बीच बांसवाड़ा-डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत इन दिनों दिल्ली में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इस दौरान सांसद राजकुमार रोत की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ एक तस्वीर सामने आई है, जिसने राजनीतिक हलकों में चर्चा को तेज कर दिया है। यह तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बीएपी (भील प्रदेश पार्टी) द्वारा साझा की गई है।

अमित शाह के साथ हुई अहम चर्चा

जानकारी के मुताबिक, सांसद राजकुमार रोत ने गृहमंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात में भील प्रदेश की मांग, आदिवासी समाज से जुड़े मुद्दों और संविधान की पांचवी और छठवीं अनुसूची के प्रावधानों को धरातल पर लागू करने पर चर्चा की। यह मुलाकात आदिवासी समाज के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

लोकसभा में उठाए आदिवासी समाज के मुद्दे

सांसद राजकुमार रोत ने लोकसभा में आदिवासी समाज के अधिकारों और उनके जीवन की चुनौतियों को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने सदन में कहा कि जल, जंगल, और जमीन आदिवासी जीवन की रीढ़ हैं, लेकिन इन्हें धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है। उन्होंने बिरसा मुंडा और जयपाल सिंह मुंडा के विचारों का हवाला देते हुए सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए और यह जानने की बात कही कि वर्तमान और पूर्ववर्ती सरकारें आदिवासी समाज के प्रति कितनी संवेदनशील हैं।

भील प्रदेश की मांग पर अडिग बीएपी

भील प्रदेश पार्टी लंबे समय से एक अलग भील प्रदेश की मांग कर रही है। सांसद राजकुमार रोत ने लोकसभा चुनाव के बाद शपथ ग्रहण के दौरान भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। इसी तरह, राजस्थान उपचुनाव में चौरासी से विधायक बने अनिल कटारा ने भी शपथ के बाद भील प्रदेश की मांग को अपनी पार्टी का प्रमुख एजेंडा बताया। कटारा ने इसे अपने पुरखों की मांग बताते हुए इसे आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराया।

भील प्रदेश आंदोलन का बढ़ता प्रभाव

भील प्रदेश की मांग बीएपी के केंद्रीय एजेंडे का हिस्सा है, और पार्टी आदिवासी समाज के अधिकारों और उनके क्षेत्रीय स्वायत्तता की बहाली के लिए संघर्षरत है। गृहमंत्री अमित शाह के साथ मुलाकात और संसद में आदिवासी मुद्दों पर खुलकर आवाज उठाना इस बात का संकेत है कि पार्टी इन मांगों को राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर और प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाने की तैयारी में है।

इस सक्रियता से बीएपी ने आदिवासी समाज के अधिकारों और उनकी सांस्कृतिक पहचान के लिए अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।


Content Editor

Rahul yadav

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