13 अक्टूबर को मनाई जाएगी पापांकुशा एकादशी

Saturday, Oct 12, 2024-04:29 PM (IST)

 

यपुर/जोधपुर, 12 अक्टूबर 2024 । सनातन धर्म के लोगों के लिए पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने के अलावा भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। व्यक्ति जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी मुक्त हो जाता है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.अनीष व्यास ने बताया कि सूर्योदय की तिथि के अनुसार, सनातन धर्म के लोग 13 अक्टूबर 2024 को पापांकुशा एकादशी व्रत रखा जाएगा। वैदिक कैलेंडर के अनुसार भगवान विष्णु को समर्पित पापांकुशा एकादशी का त्योहार हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मनाया जाता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है। ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिलती है।

ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि पापांकुशा एकादशी को अति उत्तम माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के 11वें दिन मनाई जाती है, ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के सभी पापों का अंत होता है।

पापांकुशा एकादशी 
एकादशी तिथि का आरंभ: 13 अक्टूबर, प्रातः 09:08 मिनट से
एकादशी तिथि का समापन: 14 अक्टूबर, प्रातः 06:41 मिनट पर 
सूर्योदय की तिथि के अनुसार, सनातन धर्म के लोग 13 अक्टूबर 2024 को पापांकुशा एकादशी व्रत रखा जाएगा। 

रवि योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि इस बार की पापांकुशा एकादशी रवि योग में है।  उस दिन रवि योग सुबह 6:21 मिनट से बन रहा है और यह 14 अक्टूबर को सुबह 2:51 तक रहेगा। रवि योग में सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं। इसमें सूर्य देव का प्रभाव अधिक होता है। 

शुभ मुहूर्त 
भविष्यवक्ता डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि  हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 13 अक्टूबर को सुबह 09:08 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 14 अक्टूबर को सुबह 06:41 मिनट पर होगा। पंचांग के आधार पर 13 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, वैष्णव समाज के लोग 14 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखेंगे।
पूजा विधि 
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करें। भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मंदिर को साफ करें। एक वेदी पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान का पंचामृत से स्नान करवाएं। पीले फूलों की माला अर्पित करें। हल्दी या फिर गोपी चंदन का तिलक लगाएं। पंजीरी और पंचामृत का भोग अवश्य लगाएं। विष्णु जी का ध्यान करें। पूजा में तुलसी पत्र शामिल करना न भूलें।

करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ नमोः नारायणाय नमः।
- ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः
- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णुः प्रचोदयात् ॥
- ॐ विष्णवे नम:

महत्व 
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि पापाकुंशा एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है। इस एकादशी में भगवान पद्मनाभ का पूजन और अर्चना की जाती है, जिससे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। पापाकुंशा एकादशी हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है।पदम् पुराण के अनुसार जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा पूर्वक  सुवर्ण,तिल,भूमि,गौ,अन्न,जल,जूते और छाते का दान करता है,उसे यमराज के दर्शन नही होते।  इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है वह स्वर्ग का भागी बनता है। इस एकादशी के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
 


Content Editor

Chandra Prakash

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