अफीम किसानों ने भारतीय किसान संघ के बैनर तले किया विरोध प्रदर्शन, सौंपा ज्ञापन

Monday, Nov 04, 2024-08:28 PM (IST)

 

चित्तौड़गढ़, 04 नवम्बर 2024। नई अफीम नीति में जितने पट्टे नए मिले हैं उससे दो गुना अफीम पट्टे किसानों के रुक गए हैं जिससे किसानों का रोजगार समाप्त हुआ है। नई अफीम नीति में संशोधन अनिवार्य है। यह प्रमुख बात भारतीय किसान संघ अफीम संघर्ष समिति चित्तौड़ प्रांत के नेतृत्व में सोमवार को सैकड़ों की संख्या में षामिल किसानों के कलेक्ट्रेट के बाहर धरना प्रदर्शन के दौरान निकल कर आई। अफीम किसानों ने एक स्वर में उनकी जायज समस्याओं का त्वरित समाधान करने की मांग की। उन्होने अपनी मांगों से युक्त एक ज्ञापन भारत सरकार के वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर को सौंपा।

राजस्थान प्रदेश अफीम आयाम प्रमुख बद्रीलाल जाट भीलवाड़ा ने इस धरना प्रदर्षन में षामिल सैकड़ों किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार की ओर से हाल ही में नई अफीम नीति घोषित की गई है इसमें कुछ प्रावधान सरकार की ओर से पांच वर्ष हेतु किसानों को जारी पट्टो के विरोधाभाषी है। उन्होने कहा कि भारतीय किसान संघ की मांग व सुझावों पर पूर्व में वित्त मंत्री के साथ हुई वार्ता में बनी सहमति के बिंदु भी हाल में जारी नई अफीम नीति में शामिल नही हुए है। अतः नई अफीम नीति 2024-25 में संसोधन सहित विभिन्न समस्याओं का सकारात्मक समाधान नई नीति में संशोधन कर किया जाना चाहिए। किसान संघ के प्रांत महामंत्री अंबालाल शर्मा ने कहा की नई अफीम नीति में हजारों किसानों के पट्टे रुक गए हैं। ऐसे रुके पट्टे संशोधन कर पुनः बहाल किए जाएं। 

किसान संघ चित्तौड़ प्रांत अफीम आयाम प्रमुख (अफीम संघर्ष समिति अध्यक्ष) बद्री लाल तेली भीलवाड़ा ने कहा की किसानों की सभी वाजिब मांगे सरकार को माननी चाहिए। उन्होने कहा कि नई अफीम नीति में जितने पट्टे नए मिले हैं उससे दो गुना अफीम पट्टे किसानों के रुक गए हैं। जिससे किसानों का रोजगार समाप्त हुआ है। नीति में संशोधन अनिवार्य है। धरने को किसान संघ के प्रदेश राजस्व प्रमुख शिवराज पुरी बूंदी, संभाग अध्यक्ष रतन सिंह घंठेड़ी, संभाग सह मंत्री मिट्ठू लाल रेबारी, प्रांत गौ सेवा प्रमुख गोपाल लाल खटवड़, चित्तौड़गढ़ जिला अध्यक्ष नारायण सिंह चुंडावत, जिला मंत्री चित्तौड़ लाभचंद धाकड़ ताराचंद पाटीदार, भूरालाल धाकड़, राजकुमार जाट आदि ने भी संबोधित किया। मंच संचालन प्रांत कोषाध्यक्ष चितौड़गढ़ जिला प्रभारी प्रकाश मेहता ने किया। धरना प्रदर्शन में चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, उदयपुर, भीलवाड़ा, कोटा, बारा, झालावाड़, नीमच, मंदसौर के साथ उत्तर प्रदेश से भी किसान शामिल हुए। धरना प्रदर्षन के बाद किसान एक रैली के रूप में कलेक्ट्री परिसर के अन्दर पहुंचे तथा अतिरिक्त जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा।

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ज्ञापन में ये थी प्रमुख मांगे
1. सीपीएस पद्धति के पट्टे जो पहले दिए गए वो पांच वर्ष के लिए दिए गए जिसकी किसानों से एडवांस में पांच वर्ष की फीस भी जमा करवाई गई थी। हाल में जारी वर्ष 2024-25 की नई अफीम नीति में 675 किलो प्रति हैक्टेयर से कम डोडा देने वाले किसानों के पट्टो को रोकना कतई ठीक नहीं है। अतः अफीम नीति में संशोधन कर पूर्व में जारी सभी पट्टे बहाल कराए जावें।
2. सरकार द्वारा वर्ष 1995-96 से वर्ष 1997-98 तक के 25 की औसत ओर पट्टे जारी किए थे जबकि 1993-94 तथा वर्ष 1994-95 के ऑनलाइन अफीम पट्टे ऑनलाइन थे। उन्हें भी जारी किया जाना था। अतः वर्ष 1990-91 से 1997-98 तक के अफीम लाइसेंस को शून्य औसत या छपी लिस्ट के आधार पर जारी करवाया जावें।
3. माननीया वित्त मंत्री जी आपके साथ तीन वर्ष पूर्व भारतीय किसान संघ की दिल्ली में अफीम नीति से सबंधित जो वार्ता हुई थी उसमें आप द्वारा संगठन प्रतिनिधि मंडल को अफीम किसानों की मांगों और सुझावों पर आश्वस्त किया था कि आने वाले तीन वर्षों में पुराने रुके हुए अथवा कटे हुए सभी पट्टे किसानों को रोजगार हेतु बहाल कर दिये जायेंगे। लेकिन अभी तक 1990 से रुके और कटे सभी किसानों के पट्टे बहाल नही हो पाए है। ऐसे में सभी रुके व कटे हुए पट्टे जीरो औसत पर बहाल करवाये जावें।
4. पूर्व में चली आ रही अफीम नीति जिसमें किसानों को दो प्लॉट में लुवाई चिराई वाले पट्टे जारी किए जाते थे लेकिन गत वर्ष जारी अफीम नीति में किसानों को एक ही प्लॉट में बुवाई की अनुमति के पट्टे जारी करने शुरू किए जिसमे इस बार  भी बदलाव नही हुआ। अतः इसमें संशोधन कर पुनः दो प्लॉट में बुवाई का आदेश जारी करवाये जावे।
5. डोडा चूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर निकालकर राज्यों के आबकारी एक्ट में शामिल किया जावे क्योंकि इसमें नाम मात्र का नशा होता है जो किसी भी लेबोरेट्री में प्रतिशत के रूप में दर्शाया नहीं जाता है और सजा दस वर्ष अथवा इससे भी ज्यादा दी जाती है वहीं प्रतिवर्ष हजारों निर्दोष लोग सजा काट रहे हैं, इस धारा का अधिकांशतः दुरुपयोग ही हो रहा है।
6. हर वर्ष अफीम नीति सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में हर हाल में घोषित होनी चाहिए क्योंकि यदि फसल बुवाई लेट होती है तो उत्पादन घटता है इस वर्ष की अफीम नीति पिछले 22 वर्षों में सबसे ज्यादा देरी से जारी हुई है जो सही नहीं है, हर वर्ष नवरात्रि से दीपावली के मध्य अफीम फसल की बुवाई हेतु मौसम अनुकूल होता है इस वर्ष काफी विलंब से नीति घोषित होना से किसानों के लिए अफीम उत्पादन को प्रभावित करने वाला होगा।
7. सभी सीपीएस पद्धति वाले पट्टे भी लुवाई चिराई से अफीम (गोंद ) निकालने में बदल कर जारी किए जाने चाहिए।
 


Content Editor

Chandra Prakash

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