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Sunday, Oct 13, 2024-07:58 PM (IST)
डूंगरपुर, 13 अक्टूबर 2024 । राजस्थान की चौरासी विधानसभा क्षेत्र, जो सीमलवाडा कस्बे से शुरू होती है, न केवल अपने खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों के लिए जानी जाती है, बल्कि इसके राजनीतिक इतिहास और सामाजिक परंपराओं के लिए भी। यह क्षेत्र एक अद्भुत सफर का गवाह है, जहाँ आदिवासी संस्कृति और आधुनिक राजनीति की परस्पर जुड़ाव की कहानी छुपी हुई है।
राजनीति के इस रंगीन सफर में, चौरासी की सीमाएं गुजरात से सटी हुई हैं, जहां चिकित्सा, व्यापार, और रोजगार की बेहतर सुविधाएं हैं। यहां के लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अक्सर गुजरात का रुख करते हैं। लेकिन क्या सिर्फ भौगोलिक सीमाएं ही इस क्षेत्र को परिभाषित करती हैं? या यहां की समृद्ध आदिवासी खेती-बाड़ी और जातिगत समीकरण भी इस तस्वीर का हिस्सा हैं?
चौरासी विधानसभा की कहानी केवल चुनावों की हार-जीत तक सीमित नहीं है। यह एक संघर्ष की गाथा है, जिसमें हर चुनाव में राजनीतिक दलों की चालें और जातिगत समीकरणों की जटिलताएँ शामिल हैं।
चौरासी विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक सफर: एक समृद्ध इतिहास और वर्तमान चुनौतियां
चौरासी विधानसभा का मुख्यालय सीमलवाडा कस्बा है, जो डूंगरपुर जिले की झोंतरी और चिखली पंचायत समिति के अंतर्गत आता है। यह विधानसभा क्षेत्र गुजरात राज्य के अरवल्ली जिले की सीमा से जुड़ा हुआ है, जहां चिकित्सा सुविधाएं अधिक विकसित हैं। इस कारण, क्षेत्र के लोग अक्सर इलाज और रोजगार के लिए गुजरात की ओर पलायन करते हैं।
आदिवासी खेती और आर्थिक गतिविधियां
चौरासी विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आदिवासी खेती-बाड़ी का कार्य होता है, लेकिन यहां कोई बड़ी औद्योगिक इकाई नहीं है। इससे क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों का दायरा सीमित रहता है। विधानसभा में लगभग 2.25 लाख मतदाता हैं, जिनमें 65 प्रतिशत आदिवासी, 15 प्रतिशत ओबीसी, और 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक, सामान्य और अनुसूचित जातियों के लोग शामिल हैं।
राजनीतिक इतिहास और जातिगत समीकरण
चौरासी विधानसभा का राजनीतिक इतिहास समृद्ध रहा है। 1967 से लेकर अब तक, कांग्रेस और भाजपा ने इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यहाँ तक कि कांग्रेस के शंकरलाल अहारी को 6 बार टिकट दिया गया, लेकिन वह कभी मंत्री नहीं बन सके। वहीं, भाजपा के जीवराम कटारा और उनके पुत्र सुशील कटारा ने इस क्षेत्र से मंत्री पद पर आसीन होने का गौरव प्राप्त किया।
संस्कृति और सामाजिक प्रभाव
गुजरात की सीमा से निकटता के कारण, चौरासी विधानसभा क्षेत्र के लोगों में गुजराती संस्कृति की झलक मिलती है। व्यापार, चिकित्सा और रोजगार के लिए स्थानीय लोग गुजरात पर निर्भर हैं। इसके अलावा, यहां की शिक्षा के क्षेत्र में आदिवासी बालिका काली बाई और उनके शिक्षक नाना भाई का बलिदान अमिट है।
आधुनिक राजनीतिक परिदृश्य
2018 के विधानसभा चुनाव में, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने पहली बार चौरासी सीट पर अपना प्रभाव डाला, जब राजकुमार रोत ने भाजपा के सुशील कटारा को हराकर विधायक बने। उनके विधायक बनने के बाद, उन्होंने अल्पमत वाली गहलोत सरकार का समर्थन किया। हालाँकि, 2020 में काकरी डूंगरी हिंसा के बाद उनकी राजनीतिक यात्रा में उथल-पुथल आई। वर्तमान में, वह बीटीपी से अलग होकर आदिवासी समुदाय के साथ फिर से राजनीति कर रहे हैं और भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) का गठन करने की योजना बना रहे हैं।
सामाजिक-राजनीतिक गठबंधन और विवाद
सीमलवाडा पंचायत समिति के चुनावों में, बीटीपी प्रत्याशी को हराने के लिए बीजेपी और कांग्रेस का अप्रत्याशित गठबंधन चर्चा का विषय बना। यह संकेत करता है कि चौरासी विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में बदलाव के लिए तैयार है, जिसमें जातिगत समीकरण और सामाजिक सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
चौरासी विधानसभा क्षेत्र, अपनी अद्वितीय राजनीतिक इतिहास और सामाजिक संरचना के साथ, एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे स्थानीय समस्याएं और जातिगत समीकरण एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं। भविष्य में, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस क्षेत्र की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है, खासकर जब स्थानीय नेता नए राजनीतिक दृष्टिकोण के साथ सामने आएंगे।