Rajasthan By-Election : सूबे में Nagour की वो सीट जहां से 40 साल पुरानी है मिर्धा से लड़ाई !
Sunday, Oct 13, 2024-07:41 PM (IST)
नागौर, 13 अक्टूबर 2024 । राजस्थान की खींवसर विधानसभा सीट की सियासी दास्तान, जो 2008 में परिसीमन के बाद शुरू हुई, अपने भीतर कई रहस्यमयी मोड़ों को समेटे हुए है। यह सीट केवल एक राजनीतिक क्षेत्र नहीं, बल्कि सियासत के उस अद्भुत मंच का प्रतीक है, जहां बेनीवाल और मिर्धा परिवारों के बीच की अदावत पिछले 40 वर्षों से एक थ्रिलर की तरह चल रही है। पहले मुंडवा विधानसभा के नाम से जानी जाने वाली यह सीट, अपने राजनीतिक इतिहास में कई बार पलटाव करती रही है, जैसे राम देव बेनीवाल की कांग्रेस से जीत ने इस खेल की शुरुआत की।
हनुमान बेनीवाल और उनके भाई नारायण बेनीवाल ने इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए इसे एक नई पहचान दी। खींवसर की सियासी यात्रा, केवल चुनावों के नतीजों तक सीमित नहीं है; यह एक जीवंत कथा है, जिसमें जातीय समीकरण, सामाजिक बदलाव और राजनीतिक ध्रुवीकरण की गूंज है। हर चुनाव एक नया अध्याय लिखता है, जो इसे राजस्थान की राजनीति का एक अनमोल खजाना बनाता है। चलिए सबसे पहले जानते है इस सीट का जातीय समीकरण।
पहले मुंडवा और फिर खींवसर के नाम से पहचानी जाने वाली इस विधानसभा सीट पर जाट समाज का हमेशा से प्रभाव रहा है। इसके साथ ही, यहां एक बड़ी संख्या में दलित मतदाता भी मौजूद हैं। इस प्रकार, चुनावों में जीत और हार का निर्धारण करने में दलित मतदाताओं की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अब बात करते है परिसीमन से पहले राजस्थान विधानसभा का मुड़वा निर्वाचन क्षेत्र परिणाम के बारे में।
1977 - राम देव (कांग्रेस जनरल)
1980 - हरेन्द्र मिर्धा (कांग्रेस जनरल)
1985 -राम देव (LKD-जनरल)
1990 - हबीबुर रहमान (कांग्रेस जनरल)
1995 - हबीबुरेहमान (कांग्रेस जनरल)
1998 - हबीबुरेहमान (कांग्रेस जनरल)
2003 - उषा पुनिया (भाजपा-जनरल)
2008 - हनुमान बेनीवाल
2013 - हनुमान बेनी वाल
2018 - हनुमान बेनीवाल
2019 - उपचुनाव नारायण बेनीवाल
2023 - हनुमान बेनीवाल
2024- उप-चुनाव
यह वो चुनाव थे। कब कांग्रेस, भाजपा के अलावा RLP के विधायक बने। इसके बाद बात करेंगे खींवसर विधानसभा इतिहास के बारे में।
खींवसर विधानसभा चुनाव का इतिहास
पहला विधानसभा चुनाव (2008)
खींवसर सीट के पहले विधानसभा चुनाव में, भाजपा ने हनुमान बेनीवाल को उम्मीदवार बनाया, जबकि कांग्रेस ने सहदेव चौधरी को मैदान में उतारा। बसपा की ओर से दुर्ग सिंह ने भी चुनाव लड़ा। इस चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने 58,760 वोटों के साथ जीत हासिल की, जबकि दुर्ग सिंह 34,000 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। सहदेव चौधरी तीसरे स्थान पर रहे।
दूसरा विधानसभा चुनाव (2013)
2013 के विधानसभा चुनाव में, हनुमान बेनीवाल को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया। इस बार, वे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े। बीएसपी के दुर्ग सिंह ने फिर से चुनावी मैदान में उतरकर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया। भाजपा ने भागीरथऔर कांग्रेस ने राजेंद्र को उम्मीदवार बनाया। इस बार भी हनुमान बेनीवाल ने जीत दर्ज की, उन्हें 65,399 वोट मिले, जबकि दुर्ग सिंह को 42,379 वोट मिले। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस पहले और दूसरे स्थान पर भी नहीं आ सके।
तीसरा विधानसभा चुनाव (2018)
2018 में, हनुमान बेनीवाल ने अपनी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) का गठन किया और इसी पार्टी से चुनाव लड़ा। कांग्रेस की ओर से सवाई सिंह चौधरी और भाजपा ने रामचंद्र को चुनावी मैदान में उतारा। हनुमान बेनीवाल ने इस बार फिर से जीत हासिल की और 83,096 वोट प्राप्त किए। उनके करीबी प्रतिद्वंदी, कांग्रेस के सवाई सिंह चौधरी को 66,000 वोट मिले। भाजपा इस बार तीसरे स्थान पर खिसक गई।
उपचुनाव (2019)
2018 में जीतने के बाद, हनुमान बेनीवाल ने नागौर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजयी रहे। उनके सांसद बनने से खींवसर सीट खाली हो गई, जिसके चलते उपचुनाव आयोजित हुआ। कांग्रेस ने हरेंद्र मिर्धा को फिर से मैदान में उतारा, जबकि भाजपा ने हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के साथ गठबंधन कर नारायण बेनीवाल को चुनावी मैदान में उतारा। इस उपचुनाव में नारायण बेनीवाल ने हरेंद्र मिर्धा को 4,630 वोटों के अंतर से हराया और 49% से अधिक मतदाता उनके पक्ष में रहे।
जातीय समीकरण और सियासी संघर्ष
खींवसर विधानसभा सीट पर शुरू से ही जाट समाज का प्रभुत्व रहा है, जबकि दलित मतदाता भी चुनाव परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बेनीवाल और मिर्धा के बीच 40 साल पुरानी यह सियासी लड़ाई न केवल इस क्षेत्र के लिए, बल्कि राजस्थान की राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण बिंदु रही है।
चुनाव का भविष्य
2024 के उपचुनाव में खींवसर सीट पर एक बार फिर बेनीवाल और मिर्धा की ऐतिहासिक टक्कर देखने को मिलेगी। क्या बेनीवाल परिवार इस सीट पर अपना प्रभुत्व बनाए रखेगा, या मिर्धा परिवार वापसी करेगा? यह तो आने वाले चुनाव ही बताएंगे, लेकिन यह तय है कि खींवसर की राजनीति राजस्थान की सबसे दिलचस्प और चर्चा में रहने वाली सीटों में से एक बनी रहेगी। खैर इस बार बाइ-इलेक्शन में आखिर क्या होगा यह देखने वाली बात होगी। क्या आपको लगता है इस बार खींवसर सीट पर कुछ नया होगा कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरुर बताएं वीडियो को लाइक करें शेयर करें और चैनल को सबस्क्राइब जरुर करें।