मधु आचार्य ‘आशावादी’: एक बहुआयामी व्यक्तित्व का प्रतिबिंब
Sunday, Mar 23, 2025-03:19 PM (IST)

हनुमानगढ़, 23 मार्च 2025 (बालकृष्ण थरेजा): मधु आचार्य ‘आशावादी’ निस्संदेह राजस्थानी साहित्य, रंगमंच, पत्रकारिता और लेखन के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। रंगकर्मी, विचारक, चिंतक, कवि, कथाकार सुरेश हिंदुस्तानी द्वारा आज के अखबारों में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाशित आलेखों को पढ़कर यह स्पष्ट होता है कि वे एक बहुआयामी प्रतिभा के धनी हैं जिनका योगदान कई क्षेत्रों में अद्वितीय है। उनके लेखन की गहराई, रंगमंच की समझ, पत्रकारिता की धार और मित्रता की निस्वार्थ भावना उन्हें एक विलक्षण व्यक्तित्व बनाती है।
रंगमंच और साहित्य की गहरी समझ
मधु आचार्य ने रंगकर्म को सिर्फ एक कला नहीं बल्कि एक दायित्व के रूप में देखा। उनके लेखन और निर्देशन में सामाजिक सरोकारों की झलक मिलती है। प्रकाशित आलेखों में जिस तरह उनके थिएटर के प्रति समर्पण को रेखांकित किया गया है वह यह सिद्ध करता है कि उन्होंने रंगमंच को सिर्फ मंचन की कला तक सीमित नहीं रखा बल्कि उसे एक सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। उनके नाटकों में समाज के ज्वलंत मुद्दे गहराई से प्रतिबिंबित होते हैं और वे दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
पत्रकारिता में ईमानदारी और धारदार लेखनी...
एक पत्रकार के रूप में मधु आचार्य की लेखनी निष्पक्ष, प्रखर और तथ्यपरक रही है। उनके पत्रकारिता के सफर और लेखन शैली की बारीकियों को जिस तरह प्रस्तुत किया गया है, वह यह दर्शाता है कि वे सिर्फ समाचार लिखने तक सीमित नहीं रहे बल्कि समाज की नब्ज को पकड़ने वाले सशक्त पत्रकार रहे हैं। उनकी रिपोर्टिंग में तथ्य और तर्क का गहरा सामंजस्य रहता है जिससे उनके लेखन को विशिष्टता मिलती है। उनके विचार, भाषा और दृष्टिकोण में स्पष्टता और प्रतिबद्धता का अद्भुत संतुलन देखने को मिलता है।
नाटककार और विचारक...
मधु आचार्य की रचनाओं में गहरी वैचारिकता दिखाई देती है। आलेख में इस बात को खूबसूरती से उकेरा गया है कि उन्होंने अपने नाटकों के माध्यम से समाज को जागरूक करने का कार्य किया। उनके नाटकों में संवेदनशील विषयों की प्रस्तुति, चरित्रों की गहराई और संवादों की प्रभावशीलता उनकी प्रतिभा को दर्शाती है। वे अपने लेखन के जरिए न केवल मनोरंजन प्रदान करते हैं, बल्कि समाज में व्याप्त बुराइयों, विषमताओं और अन्याय के खिलाफ आवाज भी बुलंद करते हैं।
राजस्थानी भाषा के लिए समर्पित योगदान
राजस्थानी भाषा और साहित्य के उत्थान में भी उनका योगदान अतुलनीय है। वे इस भाषा को साहित्यिक और व्यावहारिक स्तर पर सशक्त बनाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहे हैं। आलेखों में यह भी उल्लेख मिलता है कि उन्होंने अपनी लेखनी और रंगमंचीय गतिविधियों के माध्यम से राजस्थानी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे न केवल अपनी रचनाओं में इस भाषा को जीवंत बनाए रखते हैं, बल्कि नवोदित लेखकों को भी प्रोत्साहित करते हैं कि वे अपनी मातृभाषा में लिखें और उसका सम्मान बढ़ाए
समग्र व्यक्तित्व का उत्कृष्ट चित्रण...
आज प्रकाशित आलेखों ने मधु आचार्य की बहुआयामी शख्सियत को पूरी गहराई से प्रस्तुत किया है। लेखक सुरेश हिंदुस्तानी ने उनकी उपलब्धियों, संघर्षों और योगदानों का उल्लेख जिस तरह किया है, वह अत्यंत सराहनीय है। उनकी सृजनशीलता, भाषा पर पकड़ और सामाजिक मुद्दों को लेकर उनकी प्रतिबद्धता को खूबसूरती से रेखांकित किया गया है।
मित्रता की मिसाल..
मधु आचार्य ‘आशावादी’ न केवल एक कुशल लेखक, रंगकर्मी और साहित्यकार हैं बल्कि वे सच्चे मित्रता के प्रतीक भी हैं। बुरे वक्त में वे हमेशा अपने दोस्तों का सहारा बनते हैं। दोस्तों की परेशानियों को अपनी परेशानियां समझकर उनका समाधान निकालने में वे न सिर्फ अपना वक्त लगाते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर अपने आर्थिक संसाधन और प्रभाव का भी पूरा उपयोग करने से पीछे नहीं हटते। उनकी यह मानवीय संवेदनशीलता और निस्वार्थ मदद करने की प्रवृत्ति उन्हें सिर्फ एक सफल लेखक और रंगकर्मी ही नहीं बल्कि एक सच्चे और आदर्श मित्र के रूप में भी स्थापित करती है।
कला, संस्कृति और समाज पर प्रभाव...
मधु आचार्य न केवल साहित्य और रंगमंच तक सीमित रहे बल्कि उनका प्रभाव सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने अपने नाटकों, कविताओं और लेखों के माध्यम से समाज की संवेदनाओं को अभिव्यक्त किया और उसे सही दिशा में मोड़ने का प्रयास किया। उनका मानना है कि साहित्य और रंगमंच केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि समाज सुधार का प्रभावी माध्यम भी हैं। कुल माइकर मधु आचार्य ‘आशावादी’ जैसे व्यक्तित्व साहित्य, पत्रकारिता और रंगमंच के लिए अमूल्य धरोहर हैं। उनके संदर्भ में प्रकाशित आलेखों को पढ़कर यह एहसास होता है कि वे न केवल एक कुशल लेखक और रंगकर्मी हैं, बल्कि अपने विचारों से समाज को दिशा देने वाले मार्गदर्शक भी हैं। उनका जीवन और कार्य उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो साहित्य, पत्रकारिता और रंगमंच को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाना चाहते हैं।