कन्हैयालाल मर्डर केस : कब, क्या हुआ ?, जानिए सब कुछ
Thursday, Sep 05, 2024-04:45 PM (IST)
राजस्थान, 5 सिंतबर 2024 : करीब दो साल पहले उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है । दरअसल, कन्हैयालाल हत्याकांड में शामिल आरोपी मोहम्मद जावेद को कोर्ट ने राहत दे दी है । हाईकोर्ट से मामले में आरोपी जावेद को जमानत मिल गई है । मामले में जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने जमानत अर्जी पर सुनवाई की । इस दौरान कोर्ट का बयान सामने आया है कि NIA ने केवल कॉल डिटेल के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया है। NIA आरोपी की लोकेशन साबित नहीं कर पाई है। इसके अलावा आरोपी से किसी तरह की रिकवरी भी नहीं हुई है। लंबे समय से वह जेल में है और ट्रायल लंबा चलेगा, ऐसे में उसे जमानत दी गई है। आपको बता दें कि 11 आरोपियों में से जावेद पर मोहम्मद रियाज अत्तारी के साथ मिलकर योजना बनाने का आरोप है। एनआईए कोर्ट से 31 अगस्त 2023 को जमानत खारिज होने के बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी।
28 जून 2022: हत्या और वीडियो का वायरल होना
उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल की दुकान में घुसकर दो व्यक्तियों, मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद ने गला रेतकर हत्या कर दी। हत्या के तुरंत बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें इस हत्या को धार्मिक आस्थाओं से जोड़ते हुए इसे न्यायोचित ठहराया। इस वीडियो के वायरल होते ही पूरे देश में दहशत फैल गई, और सांप्रदायिक तनाव बढ़ने लगा।
29 जून 2022: आरोपियों की गिरफ्तारी
घटना के एक दिन बाद, पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। इन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई और पुलिस ने तत्काल जांच शुरू कर दी।
NIA की एंट्री
घटना के साम्प्रदायिक पहलुओं और इसके संभावित अंतरराष्ट्रीय कनेक्शनों को देखते हुए, 29 जून को ही यह मामला NIA को सौंप दिया गया। सरकार ने इसे आतंकवादी कृत्य घोषित किया और UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया।
जुलाई 2022: आरोपियों पर आरोप तय
जुलाई 2022 में NIA ने घटना की जांच शुरू की और मुख्य आरोपियों सहित 11 अन्य व्यक्तियों पर हत्या और आतंकवादी गतिविधियों का आरोप तय किया। मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद के साथ कई अन्य आरोपियों को साजिशकर्ता बताया गया। यह भी आरोप लगाया गया कि हत्यारे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों से जुड़े हुए थे।
फरवरी 2023: NIA की विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल
NIA ने फरवरी 2023 में मामले की जांच पूरी करते हुए विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की। इस चार्जशीट में मुख्य आरोपियों के साथ-साथ अन्य 11 लोगों पर हत्या, आपराधिक साजिश, आतंकवादी गतिविधियों और UAPA के तहत आरोप लगाए गए। चार्जशीट में पाकिस्तान के कराची निवासी सलमान और अबू इब्राहिम को भी मामले का फरार आरोपी बताया गया।
मोहम्मद जावेद की जमानत: वर्तमान घटनाक्रम
अगस्त 2023: जमानत की याचिका
मोहम्मद जावेद, जो इस हत्याकांड में एक प्रमुख आरोपी था, ने NIA कोर्ट से जमानत की अर्जी लगाई थी। लेकिन 31 अगस्त 2023 को NIA कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद, जावेद ने राजस्थान हाईकोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की।
सितंबर 2023: जमानत मंजूर
राजस्थान हाईकोर्ट ने 1 सितंबर 2023 को आरोपी मोहम्मद जावेद की जमानत मंजूर कर दी। जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने पाया कि NIA के पास जावेद की मौके पर मौजूदगी के कोई ठोस सबूत नहीं थे। NIA द्वारा प्रस्तुत किए गए कॉल डिटेल रिकॉर्ड के आधार पर केवल संदेह व्यक्त किया गया था, लेकिन जावेद की लोकेशन की पुष्टि नहीं हो पाई थी। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि आरोपी जावेद पिछले लंबे समय से जेल में बंद था और ट्रायल में अभी और समय लगेगा।
NIA के तर्क और कोर्ट की टिप्पणी
NIA ने अपने तर्क में कहा कि जावेद ने मुख्य आरोपी रियाज अत्तारी के साथ हत्या की योजना बनाई थी और उसके साथ लगातार संपर्क में था। लेकिन अदालत में यह साबित नहीं हो पाया कि जावेद मौके पर मौजूद था। जावेद के वकील ने यह भी तर्क दिया कि जावेद ने कभी रियाज को फोन नहीं किया था, और उसके पास से कोई ठोस सबूत भी बरामद नहीं हुआ। इसके अलावा, जावेद के मोबाइल फोन में रियाज का नंबर भी सेव नहीं था।
कोर्ट ने NIA की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए, खासकर जब यह सामने आया कि आरोपी के बयान अंग्रेजी में दर्ज किए गए थे, जबकि उसने स्थानीय भाषा में बयान दिए थे। कोर्ट ने इस प्रक्रिया को लेकर नाराजगी जताई और कहा कि बयान जिस भाषा में दिए गए थे, उसी भाषा में दर्ज होने चाहिए थे।
अन्य आरोपियों की जमानत
इससे पहले, एक अन्य आरोपी फरहाद मोहम्मद उर्फ बबला को भी 1 सितंबर 2023 को जमानत मिल चुकी थी। फरहाद पर आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज था, और कोर्ट ने यह माना कि तलवार बरामदगी के मामलों में जमानत के स्तर पर फैसला नहीं किया जा सकता।
कन्हैयालाल हत्याकांड ने भारतीय समाज और न्याय प्रणाली के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। इस केस में धार्मिक उन्माद, आतंकवादी साजिश, और सामाजिक सौहार्द को चुनौती दी गई। राजस्थान सरकार और केंद्र सरकार ने तत्काल कदम उठाते हुए इस मामले की जांच NIA को सौंपी, जिससे देश में एक सख्त संदेश गया कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
हालांकि, जावेद और फरहाद जैसे आरोपियों को जमानत मिलने से NIA की जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े होते हैं। आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूतों का अभाव और जांच में खामियां न्याय प्रणाली को प्रभावित करती हैं। कन्हैयालाल हत्याकांड का समयरेखा और वर्तमान घटनाक्रम यह बताता है कि न्यायिक प्रक्रिया में सबूतों की मजबूती कितनी महत्वपूर्ण होती है। इस केस ने भारतीय समाज और कानून व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया था। अब यह देखना बाकी है कि इस केस में आगे क्या होता है, और क्या सभी दोषियों को उनके अपराध की सजा मिलती है।