Gandhi Jayanti : गांधी का पहला आश्रम साबरमती नहीं, कोचरब सत्याग्रह आश्रम से हुई शुरुआत
Thursday, Oct 02, 2025-07:34 PM (IST)

अहमदाबाद कोचरब सत्याग्रह आश्रम से विशाल सूर्यकांत
कवि प्रदीप ने अपने गीतों में महात्मा गांधी को साबरमती के संत कहा था, ये सच है कि गांधी की जीवन यात्रा और स्वतंत्रता आंदोलन कई बड़ी घटनाओं ने साबरमती आश्रम में ही आकार लिया लेकिन दक्षिण अफ्रीका से लौटकर गांधी ने हरिद्वार,कोलकाता, राजकोट और अन्य शहरों में आश्रम बनाकर रहने के विकल्पों में से भारत में अपने पहले आश्रम के रूप में कोचरब गांव में बनें वकील जमनालाल देसाई के घर को ही चुना जिसे खुद उन्होनें कोचरब सत्याग्रह आश्रम का नाम दिया.
आज भी कोचरब आश्रम, अहमदाबाद की सरपट भागती ज़िंदगियों के बीचों-बीच शांत और सहज रूप में अपनी प्रकृति के अनुरूप ही संजोया गया है. गांधी के रोजमर्रा के जीवन की तमाम चीजें, जिसमें घरेलू हाथ चक्की भी है, जमीन पर लगा ध्यान आसन भी है, कस्तूरबा की रसोई के कुछ बर्तन भी हैं और गांधी का पसंदीदा चरखा भी यहां उसी रूप में सहेज कर रखा गया है जैसा कि उस वक्त पर था.
लकड़ियों की मजबूत सीढ़ियों के सहारे दूसरी मंजिल पर गांधी की सामूहिक बैठक की व्यवस्था भी मूल स्वरूप में रखी गई है. महात्मा गांधी ने इसी आश्रम से 1917 में आने के बाद देश भर में अस्पृश्यता आंदोलन, खादी और ग्राम सेवा आंदोलनों को आकार दिया . इन सभी घटनाओं से जुड़े दस्तावेज और गांधी की लेखनी को सत्याग्रह आश्रम में जस की तस सहेजा गया है.
साबरमती आश्रम पुर्नविकास प्रोजेक्ट पर भी चल रहा काम
केंद्र और राज्य सरकार मिलकर आश्रम की मौलिकता और विरासत को बनाए रखते हुए इसके बाहरी हिस्से में इंटरैक्टिव गैलरी डिजिटल आर्काइव और गांधी के जीवन से जुड़ी प्रदर्शनियां तैयार कर रही हैं। करीब बारह सौ करोड़ के इस प्रोजेक्ट की गतिविधियां अभी काम पूर्ण नहीं होने की वजह से लोगों के लिए आवागमन नियंत्रित किया गया है. केन्द्र और राज्य दोनों सरकारें गांधी के साबरमती आश्रम को लेकर व्यापक मास्टर प्लान पर काम कर रही हैं.