भटनेर के झरोखे से : आखिर कैसे मिली चिंगारी को हवा ?

Sunday, Mar 30, 2025-03:37 PM (IST)

भटनेर के झरोखे से हनुमानगढ़ (बालकृष्ण थरेजा): आखिर कैसे मिली चिंगारी को हवा ?
विपक्ष वाली पार्टी के जिला प्रधान की इन दिनों मुश्किलें बढ़ गई हैं ।अब पार्टी के पदाधिकारी बैठकों में जिला प्रधान की खुली खिलाफत करने लगे हैं। पिछले हफ्ते के आखिर में पार्टी के जिला प्रभारी की मौजूदगी में हुई बैठक में जिला प्रधान की कार्यशैली को लेकर खूब हंगामा हुआ। कई कार्यकर्ताओं ने जिला प्रभारी को जिला प्रधान की मौजूदगी में ही यह शिकायत दर्ज करवाई कि जिला प्रधान की कार्यशैली से पार्टी को नुकसान हुआ है। उन्होंने विधानसभा चुनाव में निर्दलीय की मदद करने वाले पार्षदों और अन्य कार्यकर्ताओं को पार्टी से बाहर करने की मांग की। कार्यकर्ताओं ने यह दुःख जताया कि विधानसभा चुनाव में पार्टी की खिलाफत करने वालों को जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी भी बना दिया गया। यह बैठक नगर परिषद के वार्डों में पुनर्सीमांकान के विरोध में हो रही थी और इसे नगर परिषद चुनाव की तैयारी से भी जोड़कर देखा जा रहा था। जिला प्रधान का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं ने कहा कि ऐसे मिलीभगत करने वाले पदाधिकारियों को नगर परिषद चुनाव में टिकट दिया जा सकता है जिसे समर्पित कार्यकर्ता सहन नहीं करेंगे। विधानसभा चुनाव में जिला प्रधान पर निर्दलीय प्रत्याशी के साथ साजबाज करने के आरोप लग रहे हैं। वैसे भी पार्टी के करीब आधा दर्जन पार्षदों को छोड़कर बाकी निर्दलीय के समर्थन से ही नगर परिषद में कामकाज कर रहे थे और उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में इन्होंने पार्टी लाइन से खिलाफ जाकर अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दिया था। अब इस चिंगारी के सुलगने की वजह तलाशी जा रही है। अविश्वास प्रस्ताव से हटे उपसभापति ही विरोध करने वालों की अगुवाई  कर रहे हैं। इससे जिला प्रधान की मुश्किलें बढ़ी हैं और पार्टी नेतृत्व तक भी शिकायत पहुंची है। अब देखना होगा पार्टी कार्यकर्ताओं को संतुष्ट कैसे करती है?

बाबा की गाड़ी पटरी पर!
लोकसभा चुनाव में अपने समर्थन वाले उम्मीदवार को नहीं जीता पाने और फिर विधानसभा उपचुनाव में भाई की हार के बाद सत्ता वाली पार्टी में अलग राह पर चल रहे काबिना मंत्री और बाबा शायद अब सही राह पर आ गये हैं। लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ लेकिन बाबा ने कामकाज नहीं संभाला। सरकारी पत्र व्यवहार मंत्री की हैसियत से करने के बावजूद बाबा न तो सचिवालय गए और न ही विधानसभा सत्रों में भाग लिया। विधानसभा में उनके छुट्टी लेने से सरकार की खूब किरकिरी  हुई। बाबा का सियासी ड्रामा सरकार और पार्टी को समझ नहीं आ रहा था। पार्टी के प्रदेश प्रधान के समझाने के बाद भी बाबा माने नहीं। यहां तक कि सरकार में अपने काम न होने तथा अपने फोन टेप होने के आरोप तक जड़ दिए

बाद में पार्टी ने कारण बताओं नोटिस जारी किया। अब चर्चा है कि बाबा की गाड़ी पटरी पर आ चुकी है। इसके संकेत खुद बाबा ने दे दिए हैं और कहा है कि बड़े नेताओं ने काम करने के लिए कहा है इसलिए वह काम करेंगे। डिपार्टमेंट में काम करना उन्होंने शुरू भी कर दिया है। जानकार इसके पीछे की कहानी पार्टी की दिल्ली से दिखाई गई सख्ती को बता रहे हैं। पार्टी ने बाबा को इशारा कर दिया था कि अब पार्टी फैसला ले लेगी। यदि वह मंत्री नहीं रहना चाहते तो पार्टी उनका इस्तीफा मंजूर कर लेगी और यदि वह मंत्री रहना चाहते हैं तो खुद उन्हें यह स्वीकार करना होगा कि वह सरकार में काम करेंगे। फिलहाल बाबा की गाड़ी पटरी पर आने से सत्ता वाली पार्टी में कुछ राहत देखने को मिली है।


Content Editor

Kuldeep Kundara

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