भटनेर के झरोखे से : मान लिया जाए कि बदलाव बदलने वाला नहीं है !
Sunday, Jun 01, 2025-12:39 PM (IST)

हनुमानगढ़, 1 जून 2025 ।(बालकृष्ण थरेजा): सत्ता वाली पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में प्रदेश की राजधानी पहुंचे। उन्होंने यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संदेश दे दिया कि पार्टी ने सत्ता आते ही प्रदेश में जो बदलाव किया है वह लंबे समय तक चलने वाला है। अपने भाषण में उन्होंने प्रदेश के मुखिया के चयन को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आलाकमान ने काफी कुछ सोच समझकर नये मुखिया की नियुक्ति की है। राष्ट्रीय प्रधान ने मुखिया और उनकी टीम की कार्यशैली की तारीफ की। दिलचस्प बात यह रही कि इस दौरान मंच पर प्रदेश की पूर्व मुखिया भी बैठी थीं। दिल्ली से साफ संकेत मिलने के बाद अब पूर्व मुखिया पार्टी कार्यक्रमों में प्रदेश में भी नजर आने लगी हैं । पिछले दिनों देश के मुखिया की सभा में भी उन्होंने शिरकत की। अब राष्ट्रीय प्रधान की सभा में राजधानी पहुंच कर पूर्व मुखिया ने भी साथ चलने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान का यह संदेश इसलिए भी है कि पिछले सवा साल से नए मुखिया को प्रदेश के कई वरिष्ठ नेता हजम नहीं कर रहे थे। कभी कभार उन्हें बदलने के लिए मुहिम चलाई गई जो दिल्ली में कामयाब नहीं हुई। अब पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान ने इन चर्चाओं पर पूरा विराम लगा दिया है। राष्ट्रीय प्रधान की ओर से यह बयान सुनने के बाद मुखिया के चेहरे पर भी रंगत दिखने लगी है।
बड़े अफसरों को भी लंबा इंतजार !
प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी में बदलाव की लिस्ट में लंबी रुकावट नजर आ रही है। पिछले कुछ महीनो से ब्यूरोक्रेसी में बदलाव की चर्चाएं चल रही हैं । हालत यह है कि ज्यादा जरूरी सीटों पर ही अफसरों की पोस्टिंग के ऑर्डर निकाले जा रहे हैं। लंबी सूची कहां अटकी हुई है राजकाज में इसका तोड़ ढूंढने की कवायद चल रही है। कुछ जिलों में कलक्टर बदले जाने हैं तो कहीं विभागों के प्रमुख बदलाव के इंतजार में हैं । सचिवालय में हर हफ्ते यह चर्चा चल पड़ती है की लिस्ट आने वाली है लेकिन लिस्ट आती नहीं। अब फिर कुछ दिनों से चर्चा है कि बड़े अफसरो को बदलने की लिस्ट तैयार हो गई है। मुखिया की हरी झंडी मिलने के बाद लिस्ट जारी हो सकती है। कुछ लोग असल वजह दिल्ली से सिग्नल नहीं मिलने को भी मान रहे हैं। पुलिस के बड़े अफसरों का बदलाव नहीं हुआ है। एकाध जिलों में खाली पदों पर ही पोस्टिंग दी गई है। कई आईएएस अफसरों के पास विभागों के अतिरिक्त चार्ज हैं । कई कलक्टरों का पुराने जिलों में मन नहीं लग रहा है और वे नई पोस्टिंग पर जाने के इच्छुक हैं । तेज-तर्रार अफसर मनपसंद पोस्टिंग के लिए जुगाड़ बैठाने में लगे हैं। अब देखना होगा कि सारी बाधाएं दूर होने के बाद लिस्ट कब निकलेगी ?
एकजुटता में खलल
विपक्ष वाली पार्टी में प्रदेश के सभी बड़े नेता सीमावर्ती जिले में एक सभा में एक साथ नजर आए। वहां के राष्ट्रीय स्तर के एक नेता की अगुवाई में हुई संविधान बचाओ रैली में सभी नेता एक साथ पहुंचे। दिल्ली से भी एक बड़े नेता ने उपस्थिति दर्ज कराई। पार्टी के प्रदेश प्रधान और प्रभारी को साथ लेकर दिल्ली वाले बड़े नेता सभा में आए तो उन्होंने प्रदेश के पूर्व मुखिया और युवा नेता को भी साथ ले लिया। कार्यक्रम का जिम्मा सीमावर्ती जिले के एक बड़े नेता ने संभाला। इससे यह संदेश देने की कोशिश की गई कि पार्टी में सभी नेता एक साथ हैं लेकिन मामला उस वक्त उलझता नजर आया जब सीमावर्ती जिले से पार्टी से निष्कासित दो नेता बड़े नेताओं के स्वागत के लिए आए और बड़े नेता उनके स्वागत कार्यक्रम में ही नहीं पहुंचे। निष्कासित दोनों नेता भीड़ लेकर स्वागत करने आए और पार्टी में अपनी वापसी भी चाहते हैं। पेच यह है कि सीमावर्ती जिले वाले बड़े नेता इन दोनों नेताओं को पार्टी में लेना नहीं चाहते। प्रदेश के पूर्व मुखिया इन दोनों नेताओं को पार्टी में लेना चाहते हैं। वहां निष्कासित दोनों नेताओं के समर्थकों ने सड़कों पर नाराजगी जताई और सीमावर्ती जिले वाले बड़े नेता को पार्टी कमजोर करने का कारण बता दिया। मामला दिल्ली तक पहुंचा है और क्या यह एकजुटता पार्टी को और मजबूत करेगी या इस तरह से आरोप- प्रत्यारोप कोई परेशानी खड़ी कर सकते हैं।