सीमावर्ती जिलों की शिक्षा को मिले नई दिशा: शिव विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने शिक्षक भर्ती में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की रखी मांग

Friday, Aug 01, 2025-01:33 PM (IST)

बाडमेर/शिव, 1 अगस्त 2025 । राजस्थान के सीमावर्ती और पिछड़े जिलों — बाड़मेर, जैसलमेर और चौहटन — की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु शिव से निर्दलीय विधायक रविन्द्र सिंह भाटी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को एक महत्वपूर्ण पत्र प्रेषित किया है। इस पत्र के माध्यम से विधायक भाटी ने इन विशिष्ट जिलों के लिए एक विशेष शिक्षक भर्ती योजना (Special Recruitment Policy) लागू करने की मांग की है, जो इन क्षेत्रों की सामाजिक, भौगोलिक और शैक्षिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए तैयार की जाए।

विधायक भाटी ने पत्र में उल्लेख किया है कि बाड़मेर, जैसलमेर और चौहटन जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा की स्थिति अत्यंत चिंताजनक बनी हुई है। वर्तमान व्यवस्था में इन जिलों में अन्य जिलों से चयनित शिक्षक नियुक्त होते हैं, लेकिन नियुक्ति के तुरंत बाद वे स्थानांतरण की प्रक्रिया में लग जाते हैं। इस प्रवृत्ति के चलते इन विद्यालयों में नियमित शिक्षण गतिविधियां बाधित होती हैं, स्थानीय समुदाय उपेक्षित महसूस करता है और विद्यार्थियों की शिक्षा में निरंतरता नहीं बन पाती।

भाटी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस प्रक्रिया से न केवल इन जिलों की शिक्षा प्रणाली कमजोर होती है, बल्कि स्थानीय युवाओं को भी रोजगार से वंचित होना पड़ता है, जबकि वे स्वयं इन परिस्थितियों को बेहतर समझते हैं और लंबे समय तक सेवा देने को भी तैयार रहते हैं।

इसी संदर्भ में विधायक ने मुख्यमंत्री को सुझाव दिया है कि एक विशेष नीति के अंतर्गत निम्नलिखित दो प्रस्तावों पर विचार किया जाए:

स्थानीय युवाओं को शिक्षक भर्ती में बोनस अंक दिए जाएं – ताकि उन्हें प्रतिस्पर्धा में उचित लाभ मिल सके और वे सफल होकर अपने ही क्षेत्र में सेवाएं दे सकें। इससे न केवल चयन प्रक्रिया अधिक न्यायसंगत होगी, बल्कि स्थानीय युवाओं का मनोबल भी बढ़ेगा। 

TSP (Tribal Sub-Plan) क्षेत्र की तर्ज पर आवेदन की पात्रता सीमित की जाए – अर्थात बाड़मेर, जैसलमेर और चौहटन में स्थित विद्यालयों के लिए शिक्षक पदों पर केवल स्थानीय अभ्यर्थियों को ही आवेदन करने की अनुमति दी जाए, जिससे सेवा की स्थिरता सुनिश्चित हो और शिक्षक वर्षों तक निरंतर कार्यरत रह सकें।

भाटी ने कहा कि इन क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक और भौगोलिक परिस्थितियाँ विशेष ध्यान की मांग करती हैं। यहां के लोग सीमित संसाधनों और कठिन जलवायु में जीते हुए भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए संघर्षरत हैं। ऐसे में स्थानीय युवाओं को रोजगार देने से न केवल उनके जीवनस्तर में सुधार होगा बल्कि क्षेत्रीय असंतुलन भी दूर होगा।

उन्होंने यह विश्वास भी जताया कि यदि राज्य सरकार इन सुझावों पर गंभीरता से विचार कर एक समर्पित नीति बनाती है, तो इससे इन तीनों जिलों की शिक्षा व्यवस्था में ठोस सुधार होगा, बेरोजगारी में कमी आएगी और ग्रामीण विकास को मजबूती मिलेगी।

अंत में, विधायक भाटी ने मुख्यमंत्री से शीघ्र निर्णय लेने और प्रभावी कार्रवाई शुरू करने की अपेक्षा जताते हुए कहा कि यह नीतिगत बदलाव राज्य सरकार के लिए एक संवेदनशील, दूरदर्शी और जनहितकारी पहल साबित हो सकता है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्र के हजारों युवाओं का भविष्य उज्ज्वल हो सकेगा।


Content Editor

Chandra Prakash

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