जिला कलेक्टर के प्रयास लाए रंग, निर्माण कार्य फिर से शुरू, पंजाब केसरी की खबर का असर, जुलाई में ‘अदूरदर्शिता के चलते जनता परेशान..’शीर्षक से छापी थी खबर

Sunday, Sep 15, 2024-04:19 PM (IST)

चित्तौड़गढ़, 15 सितंबर 2024 । शहर के हजारेश्वर काजवे पर विगत कई महिनों से बंद पड़ा पुलिया निर्माण का कार्य अब पुनः प्रारंभ हो गया है। निर्माण मार्ग में पड़ रहे एक खेत की वजह से यह निर्माण कार्य विगत नौ माह से बंद पड़ा था और जिला कलेक्टर ने क्षेत्रवासियों को बुलाकर समझाइश की तथा इस समझाइश के चलते पुलिया निर्माण का कार्य पुनः प्रारंभ हो गया है। उल्लेखनीय है कि बंद पड़े उक्त कार्य को लेकर पंजाब केसरी ने जुलाई में ‘अदूरदर्शिता के चलते जनता परेशान...’शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।

शहर के हजारेश्वर काजवे पुलिया निर्माण पर करोड़ों खर्च होने के बावजूद काम अटक गया था। काम अटकनें की वजह पुलिया मार्ग में पड़ रहे एक कृषि भूमि थी। पंजाब केसरी ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया था। जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने जनहितार्थ के इस कार्य के अटकने को गंभीरता से लिया। जिला कलेक्टर ने क्षेत्र के एक प्रतिनिधि मंडल को बुलाया तथा कारणों पर चर्चा कर समझाइश से हल निकाला । इसके बाद संबंधित निर्माण कंपनी ने भी जिला कलेक्टर की पहल पर निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया है । आगामी दिनों में निर्माण कार्य में और तीव्रता आने की संभावना संबंधित ठेकेदार द्वारा व्यक्त की गई है।

विगत एक वर्ष से शहरवासियों के लिए अनुपयोगी
शहर में स्थित हजारेश्वर काजवे कई दशकों से मानपुरा औद्योगिक क्षेत्र एवं नये व पुराने इण्डस्ट्रियल एरिये को जोड़ने का एक प्रमुख सेतु था। पुराने शहर के लोग भी चन्देरिया, कीरखेड़ा आदि क्षेत्रों में आने जाने के लिए इसी काजवे का इस्तेमाल करते थे। काजवे पर बारिश में नदी में पानी आ जाने पर यहां आवागमन अवरूद्ध हो जाता था। इसी समस्या के समाधान के तौर पर लगभग एक वर्ष पूर्व गंभीरी नदी पर स्थित हजारेश्वर काजवे की ऊंचाई बढ़ाने के लिए पुलिया के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया था। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते इसके कार्य को गति प्रदान करते हुए नदी पर पुलिया का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया। यही नहीं पुलिया के पश्चिम दिशा में तो आवश्यक कार्य भी पूर्ण कर लिए गए है। पूर्वी भाग में एक कृषि भूमि से जुड़ें लोगों की आपत्ति के चलते यह निर्माण कार्य लगभग नो महीने तक बंद पड़ा रहा। गत महीने जिला आलोक रंजन ने उक्त कृषि भूमि से संबंधित लोगों के साथ ही क्षेत्रवासियों के एक प्रतिनिधि मण्डल को कार्यालय में बुलाकर समझाइश की। जिला कलेक्टर के यह प्रयास रंग लाए और समझाइश के बाद अब पुलिया का निर्माण कार्य पुनः प्रारंभ हो गया है।

डिजाइन को लेकर जनता नाखुश
शहरवासियों को सुविधा प्रदान करने के लिए हजारेश्वर काजवे पर पुलिया निर्माण को जनता सुकुन भरी नजरों से तो देख रही है, लेकिन इसकी डिजाइन जनता को पसन्द नहीं आ रही है। पुलिया के दोनों ओर की सड़के सर्पीलाकार होने के कारण यह आवागमन को सुगम बनाने के स्थान पर यातायात के दबाव को बढ़ाएगी। कुछ जागरूक लोग इन सर्पीलाकार सड़कों को लेकर कहते है, कि दोनों ही प्रमुख दलों के दिग्गजों की जमीनें यहां स्थित होने के कारण इसका डिजाइन सर्पीलाकार बनाया गया है। करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद इस पुलिया के माध्यम से शहरवासियों को कोई स्थायी समाधान मिलता नजर नहीं आता है।

विकास कार्यों की प्रचुर संभावनाएं
हजारेश्वर काजवे पर पुलिया निर्माण के बाद इसके आस पास विकास कार्यों की कई ऐसी प्रचुर संभावनाएं मौजूद है, जो शहरवासियों के लिए मददगार साबित हो सकती है। शहर की पुरानी पुलिया की तरह यहां पर नदी के दोनों छोर पर स्नान घाट बनाये जा सकते है। यहां घाट बनने के बाद नवरात्रि, गणेश महोत्सव सहित अन्य धार्मिक कार्यो में भी क्षेत्रवासियों के लिए उपयोगी हो सकते है। पुलिया के दक्षिण पश्चिम दिशा में लगभग तीन बीघा सरकारी जमीन स्थित है, जिसका उपयोग मोक्षधाम बनाकर किया जा सकता है। वर्तमान में आस पास स्थित कॉलोनीवासियों को मोक्षधाम के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।

आवारा तत्वों की आवाजाही का केन्द्र
विगत एक वर्ष से अनुपयोगी तथा आवाजाही नहीं होने से यह पुलिया सुबह से शाम तक आवारा तत्वों की आवाजाही का प्रमुख केन्द्र रहती है। पुलिया पर तथा आस पास झाड़ियों में बैठकर नशा करना आम बात हो गई है। नशे की बात को लेकर कई बार यहां झगड़े भी हो चुके है। नजदीक स्थित शिवालय पर आने श्रद्धालुओं को कई बार इन नशा करने वालों से परेशानी का सामना करना पड़ता है।


Content Editor

Chandra Prakash

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