यूआईटी क्षेत्र में बिना किसी स्वीकृति के धड़ल्ले से निर्माण कार्य जारी |

10/8/2023 6:02:36 PM

सिरोही जिले के तलहटी में बिना यूआईटी की सक्षम  स्वीकृति के अवैध निर्माण कार्यो की मानों बौछार आ गई है। बिना किसी अधिकृत स्वीकृति के धड़ल्ले से दिन रात कार्य हो रहें हैं। परन्तु जिम्मेदार महकमा गहरी नींद में सो रहा है। जो कई सवाल खड़े करता है....? जबकि विभागीय जिम्मेदार सिर्फ गरीब लोगों पर अपना रुतबा दिखाते हुये उन पर अवश्य कार्रवाई कर देते हैं। और बड़े बड़े लोगों के आगे मानो एकदम नतमस्तक क्यों हो जाते हैं, जो कई सवाल खड़े कर रहा है। यूआईटी आबू के अधीन तलहटी तिराहे पर होटल अंबिका के पास बिना यूआईटी की स्वीकृति के बहुमंजिला इमारत का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसकी शिकायत होने पर पूर्व में तत्कालीन यूआईटी के सचिव कनिष्क कटारिया के निर्देश पर निर्माण कार्य ध्वस्त किया गया था। फिलहाल पूरा प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय के साफ आदेश है यथास्थिति बनाये रखने के, परन्तु यूआईटी के जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता कहें या मेहरबानी किसके चलते निर्माणकर्ता बेख़ौफ़ है। उसे किसी भी विधिक कार्रवाई का कोई डर तक नहीं है। और खुलेआम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुये सरेआम कार्य कर रहा है। जानकारी के अनुसार इसकी शिकायत पूर्व में यूआईटी के अधिकारियों को करने पर भी यूआईटी द्वारा कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया। जिससे जिम्मेदारों को कार्यशैली पर गम्भीर सवाल खड़े होना भी वाजिब है..!

आख़िर यूआईटी आबू द्वारा कोर्ट में कब पेश होती तथ्यात्मक रिपोर्ट ..?

यूआईटी आबू के जिम्मेदार अधिकारियों की मौन स्वीकृति कहें या उदासीन कार्यशैली जिस पर गम्भीर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं....? जब माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षो को यथा स्थिति बनाये रखने का आदेश दिया था, तो फिर निर्माणकर्ता  ने स्वयं न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुये निर्माण कार्य किसकी मेहरबानी से कर रहा है...? जो कई सवाल खड़े कर रहा है। जिसकी वीडियो व फ़ोटो ग्राफी पूर्व में यूआईटी आबू द्वारा की गई है। फिर भी यूआईटी आबू द्वारा अभीतक माननीय न्यायालय में पूरे प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश क्यो नहीं कि गई ..? साथ ही स्टे को निरस्त करवाने का प्रयास  क्यों नहीं हुआ यूआईटी द्वारा.? या फिर जब दोनों पक्षों मेसे एक पक्ष ने जब न्यायालय के आदेश की अवहेलना की है तो उस पर यूआईटी आबू द्वारा त्वरित प्रसंज्ञान क्यो नहीं लिया गया..?  जब निर्माणकर्ता ने स्वयं न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुये यथास्थिति बनाये नहीं रखी तो फिर यूआईटी द्वारा विधिक सलाह पर अग्रिम कार्रवाई  की पहल क्यो नहीं हुई..? यदि यूआईटी आबू के जिम्मेदार प्रतिबद्धता दिखाते , और अवैध निर्माण कार्य को रुकवाने को लेकर गम्भीर होते तो क्षेत्र में अवैध निर्माण कार्यो की बौछार नही आती..! दरअसल तलहटी तिराहे पर बिना विभागीय स्वीकृति के जारी निर्माण कार्य की पूरी तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करके माननीय न्यायालय में जवाब पेश किया गया होता तो न्यायालय द्वारा समय पर मामलें पर अवश्य प्रसंज्ञान लिया जा सकता था....! जब कोर्ट ने स्टे दिया था तब की वहां क्या मौका स्थिति थी और फिलहाल उस जगह पर क्या मौका स्थिति है..? उस पूरे प्रकरण की वास्तविक तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करके कोर्ट में पेश करने की सख्त दरकार है। परन्तु यह पहल यूआईटी आबू के जिम्मेदार फिलहाल नही कर पाये अभी तक। ओर नही अभी तक माननीय न्यायालय में उक्त रिट का कोई जवाब पेश किया गया है। जो उनकी भूमिका व कार्यशैली पर गम्भीर सवाल खड़े करता है..?

जिम्मेदारों की कार्यशैली गम्भीर सवालों के दायरे में..?

 

यूआईटी आबू के क्षेत्र में बिना स्वीकृति बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कैसे हो रहा है..? साथ ही जिन निर्माण कार्य पर कोर्ट का स्टे है। उक्त प्रकरण की माननीय न्यायालय में पूर्ण तथ्यात्मक रिपोर्ट समय पर क्यो पेश नहीं कि जा रहीं हैं..? जबकि यूआईटी आबू  द्वारा नियमानुसार तहलटी तिराहे पर जारी निर्माण कार्य की पूरी तथ्यात्मक रिपोर्ट कोर्ट में कब पेश की जायेगी...? जब बिना यूआईटी की सक्षम स्वीकृति के निर्माण कार्य हो रहा है तो यूआईटी को पूरे प्रकरण पर प्रभावी तरीके से न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखना चाहिए था पर अभीतक ऐसा नही हुआ इसके पीछे क्या खास वजह है..?  परन्तु ऐसा नहीं किया गया जो कई सवाल खड़े कर रहा है। वही निर्माण कर्ता भी स्टे की आड़ में सरेआम निर्माण कर रहा है। जबकि न्यायालय का आदेश केवल दोनो पक्षो को यथास्थिति बनाये रखने का दिया गया था। फिर इसकी उक्त न्यायालय के आदेश की पालना करवाने की जवाबदेही किसकी..? जिम्मेदारों को सबकुछ पता होने पर भी आँखे बन्द करके बैठने के पीछे क्या राज...? यह तो सबसे व्यवस्तम मुख्य चौराहे के पास का मामला है जहां से अक्सर कई विभागीय जिम्मेदार व अन्य अधिकारी भी गुजरा करते हैं। फिर भी यह आलम है तो सोचिए क्षेत्र के क्या हालत होंगे..?

यूआईटी क्षेत्र में बिना सक्षम स्वीकृति के निर्माणकर्ताओ को कौन दे रहा है पनाह...?

 

जब ठोस कार्रवाई नही होती तो सवाल उठना वाजिब है। सबसे सोचनीय प्रश्न यह कि तलहटी क्षेत्र में कई निर्माण कार्य बिना किसी सक्षम स्वीकृति के हो रहें हैं। फिर सवाल यह उठता है इन अवैध निर्माणकर्ताओ का कौन क्षेत्र में पनाह दे रहा है....? ऐसी जिम्मेदारों के समक्ष क्या मजबूरी  है जो अवैध रूप कार्य करने वाले निर्माणकर्ता इतने बेख़ौफ़ हुये क्षेत्र में ...? उन्हें  किसी भी तरह से कोई विभागीय कार्रवाई का कोई डर तक नही..? या  फिर यूंह कहें कि रसूखात के आगे जिम्मेदार भी नतमस्तक है...?  जो बिना स्वीकृति के निर्माण करने वाले निर्माणकर्ता पर पूरी तरह से मेहरबान है..? आखिर कठोर कार्रवाई नही करने के पीछे क्या राज छुपे है..? यदि नही तो फिर ठोस कार्रवाई क्यो नही होती..? इस तरह बिना स्वीकृति के निर्माण होने से वन क्षेत्र व अभ्यारण्य क्षेत्र पर भी कुप्रभाव पड़ रहा है। उसका जिम्मेदार कौन ...? जब गरीब लोगों के ऊपर प्रभावी कार्रवाई हो सकती है तो फिर इन बड़े रसूखात वाले लोगो पर जिम्मेदार क्यो मेहरबान है क्या इनके लिये देश मे कोई अलग कानूनी व्यवस्था है...?


Content Editor

Afjal Khan

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News