तेजी से घट रहे सरोवर जल स्तर पर पुरोहित समुदाय में चिंता, सरकार को चिंतन की दरकार
Monday, Aug 12, 2024-06:10 PM (IST)
अजमेर/पुष्कर, 12 अगस्त 2024: आस्था के प्रतीक पुष्कर सरोवर के प्रतिदिन घटते जल स्तर पर पुरोहित समुदाय में चिंता जताई है। आखिर इतनी तेजी से जल क्यों घट रहा है ? इसके पीछे के कारणों की जांच करवाने के स्वर मुखर होने लगे है। गत 5 अगस्त को हुई मूसलाधार बरसात से सरोवर में 15 फीट पानी की आवक के साथ जलस्तर 12 फीट से बढ़कर करीब 27 फीट तक पहुंच गया था, लेकिन बीते आठ दिनों में सरोवर का 7 फीट जलस्तर घट कर 20 फीट ही रह गया। तेजी से घट रहे जल स्तर को लेकर पुरोहित समुदाय में चिंता की लकीरें अभी से उभरने लगी है।
पुरोहित समुदाय का कहना है कि पुष्कर के आस-पास के तालाबों का जल स्तर नहीं घट रहा है, तो पुष्कर सरोवर के घटते जल स्तर पर सरकार को गंभीर होकर इसकी संबंधित विभाग से जांच करवानी चाहिए। समय रहते कारणों का पता लगा कर समाधान नहीं किया गया तो जल प्रदूषण व जल जीवों की मौतों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा, जिससे सरोवर के अस्तित्व के साथ-साथ करोड़ों हिंदुओं की आस्था पर आघात होगा। सरोवर के घटते जल स्तर का मुख्य कारण सरोवर के भूजल संरक्षण क्षेत्र कैचमेंट एरिया में पक्के निर्माण को भी माना जा रहा है। वहीं नहरों की गहराई ज्यादा होने से बरसात का जल नहरों में ही भरा रह जाता है। साथ ही सिल्क डैम की गहराई के कारण भारी मात्रा में जल सरोवर के बाहर ही जमा रहता है, जिसके चलते सरोवर का जल स्तर एक निश्चित सीमा तक ही भराव कर पाता है, जबकि सरोवर की भराव क्षमता 35 फीट बताई जाती है। श्री तीर्थ गुरु पुष्कर पुरोहित संघ ट्रस्ट के विमल आदली ने डूब क्षेत्र को राजस्व रिकार्ड में चिन्हित करने की मांग की है। जब तक राजस्व रिकार्ड में डूब क्षेत्र चिन्हित नहीं होगा । तब तक निर्माण कार्य पर अंकुश कैसे लगाया जा सकता है। आखिर कब तक प्रयास जारी रहने चाहिए ।
सन् 1992 में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी द्वारा लिखा संदेश
पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी ने 32 वर्ष पहले 12 नवंबर 1992 में जब पुष्कर यात्रा पर आए थे, तब भी सरोवर के जल स्तर को लेकर समस्या बनी हुई थी। पवित्र सरोवर में स्नान पूजन के बाद वाजपेयी ने पुस्तैनी पुरोहित की बही में लिखा था कि सरोवर को जल से परीपूर्ण कैसे रखा जाए ?, इस समस्या का स्थाई समाधान अभी तक नहीं मिला है, प्रयास जारी रहना चाहिए।
पुरोहित समुदाय के गोविंद पाराशर ने बताया कि 32 सालों में पुष्कर सरोवर को जल से परिपूर्ण रखने के प्रयास सफल नहीं हो सके। बरसात में जब सरोवर में जल आता है, तो उसे बरकरार रखने में सिस्टम नाकामयाब साबित हो जाता है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार सतयुग के तीर्थ व सृष्टि रचयिता जगत पिता ब्रह्माजी के तपोस्थल पुष्कर सरोवर को लेकर गंभीर नहीं है, जिसके चलते हिन्दुओं के पौराणिक तीर्थ पुष्कर के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया है।