भटनेर के झरोखे से : रईसजादों पर एक्शन से फिर चर्चा में हैं कप्तान !
Sunday, Dec 22, 2024-03:23 PM (IST)
हनुमानगढ़, 22 दिसंबर 2024।(बालकृष्ण थरेजा): जिला पुलिस कप्तान के निर्देशन में पिछले कई दिनों से जिले में अवैध गतिविधियों की रोकथाम के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। खासकर नशे के अवैध कारोबार में लिप्त लोगों की धरपकड़ की जा रही है। पिछले हफ्ते ही जिला मुख्यालय के बिल्कुल नजदीक एक फार्म हाउस पर सट्टा लगाकर कुत्तों की लड़ाई के खेल का पर्दाफाश किया गया। इस कार्रवाई में दर्जनों रईसजादों को पड़कर थाने लाया गया। रात में हुई इस कार्रवाई के बाद कई सफेदपोश लोगों में हलचल मच गई। दरअसल यह फार्म हाउस विपक्ष वाली पार्टी के पूर्व विधायक के कट्टर समर्थक पंचायत समिति सदस्य के बेटे का है। इस कार्रवाई के बाद पुलिस कप्तान ने पैसों के दम पर बेजुबानों पर सट्टा लगाने वाले लोगों के बड़े खेल का खुलासा किया है। पुलिस कप्तान की कार्रवाई की सराहना हो रही है। सबसे खास बात यह रही कि इस कार्रवाई को दबाने के लिए कई नेताओं ने एड़ी चोटी का पूरा जोर लगाया लेकिन पुलिस कप्तान ने दबंगता का परिचय देते हुए तमाम कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की। जिले में वैसे भी युवा पीढ़ी नशे और अवैध गतिविधियों में लिप्त होती जा रही है और अब अमीर परिवारों के बच्चों के ऐसे खेलों ने युवा पीढ़ी के भविष्य के लिए नया खतरा पैदा कर दिया है। सूचना तकनीक के जमाने में कई युवा पथभ्रष्ट हो रहे हैं तो कई मौज मस्ती के लिए कानून को हाथ में लेने से भी नहीं चूकते। पुलिस कप्तान की इस कार्रवाई के बाद अब प्रबुद्ध लोगों में पुलिस का भरोसा बढ़ा है और आने वाले दिनों में जिले में अवैध गतिविधियों में लिप्त लोगों पर कार्रवाई होने की संभावना भी बढी है।
पूर्व मुखिया की सक्रियता ने फिर बढाई धड़कनें !
सत्ता वाली पार्टी में सरकार की पूर्व मुखिया इन दिनों दिल्ली में सक्रिय हैं पिछले हफ्ते उन्होंने संसद में देश के मुखिया से मुलाकात की। मुलाकात की तस्वीर अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर की। उनकी ही तस्वीर को पार्टी के प्रदेश प्रभारी ने बधाई के साथ री- पोस्ट किया। पूर्व मुखिया की मुलाकात और प्रदेश प्रभारी द्वारा दी गई बधाई से प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है। पूर्व मुखिया की सक्रियता से सत्ता वाली पार्टी में कई नेताओं की धड़कनें बढ़ गई हैं । चर्चा है कि दिल्ली उन्हें कोई जिम्मेदारी दे सकती है। दूसरी तरफ यह भी चर्चा है कि पूर्व मुखिया के दखल के बाद अब प्रदेश के मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है। मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चाओं से मंत्री बने नेताओं और मंत्री पद के दावेदार नेताओं की धड़कनें बढ़ गई हैं । कई नेता मंत्री बनने के लिए जुगाड़ बैठा रहे हैं। वैसे भी पूर्व मुखिया के समर्थकों को मंत्रिमंडल में पहले जगह नहीं दी गई थी जबकि कई नेता अनुभव के मामले में अहमियत रखते हैं ।अब दिल्ली के दखल के बाद इन नेताओं को जगह मिल सकती है। कई मंत्रियों को हटाने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि औसत परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों का फीडबैक दिल्ली मंगवाया गया है। मलमास हटने के बाद फेरबदल होता है तो उसमें पूर्व मुखिया की कितनी चलती है यह स्पष्ट हो जाएगा।
युवा नेता और पूर्व मुखिया के कैंप फिर आमने-सामने !
इधर विपक्ष वाली पार्टी में दिल्ली की तमाम कोशिशों के बाद भी नेताओं की धड़ेबाजी बंद नहीं हो रही है। पिछले दिनों प्रदेश प्रधान की अध्यक्षता में प्रदेश मुख्यालय में हुई पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में जो पोस्टर लगा उसमें युवा नेता की तस्वीर नहीं होने से उनके समर्थक पदाधिकारियों ने बैठक में ही नाराजगी जताई। इस नाराजगी की खबरें बाहर तक आ गई। इसके बाद एक धरने में सरकार के पूर्व मुखिया और युवा नेता दोनों पहुंचे जिससे यह लगने लगा कि अब सब ठीक हो जाएगा। इस धरने की तस्वीरों के इतर पूर्व मुखिया के समर्थक एक पूर्व मंत्री ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में कह दिया की प्रदेश में अगली सरकार पूर्व मुखिया के नेतृत्व में ही बनेगी। अब युवा नेता के समर्थक पूर्व मंत्री के बयान को लेकर नाराजगी जता रहे हैं। पार्टी की यूथ विंग के प्रधान और विधायक नेता ने पूर्व मंत्री को नसीहत दी कि पूर्व मंत्री किसी को पार्टी में हैसियत सर्टिफिकेट देने वाले नहीं है। बयानों की गर्मागर्मी से विपक्ष वाली पार्टी के अंदर सियासी पारा बढ़ गया है। पिछले दिनों दिल्ली में पार्टी के चीफ ने कई राज्यों में पार्टी की हार के बाद पार्टी में बदलाव के संकेत दिए थे। इस संकेत के बाद बदलाव तो अभी तक नहीं हुआ है लेकिन नेताओं की आपसी बयानबाजी जारी है। चर्चा है कि सरकार के पूर्व मुखिया को दिल्ली में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। पूर्व मुखिया वैसे खुद सक्रिय हो गए हैं और अपने निवास पर नेताओं से मेल- मुलाकातें कर रहे हैं। धरने में पहुंचकर उन्होंने सक्रियता का संदेश भी दे दिया है। आने वाले दिनों में युवा नेता और पूर्व मुखिया के समर्थकों में बयानबाजी तेज होने की संभावना है जबकि चुनाव अभी 4 साल दूर हैं । चुनाव के बाद सत्ता किस पार्टी की आएगी यह आंकलन अभी बेतुका है लेकिन पार्टी में ही दो धड़ों में कुर्सी की आस को लेकर खींचतान दिलचस्प है।