भटनेर के झरोखे से : आपा खो रहे बाबा, सरकार हल्के में ले रही !
Sunday, Dec 08, 2024-02:17 PM (IST)
हनुमानगढ़ 8 दिसंबर 2024 (बालकृष्ण थरेजा): सत्ता वाली पार्टी में सियासी बाबा के नाम से फेमस काबिना मंत्री अपनी ही सरकार में सुनवाई नहीं होने का अब खुलेआम आरोप लगा रहे हैं। लोकसभा में अपनी पसंद के उम्मीदवार के हारने और विधानसभा उपचुनाव में अपने सगे भाई के हारने के बाद लगता है कि पार्टी और सरकार ने भी उन्हें सीरियस लेना बंद कर दिया है। एसआई परीक्षा में फर्जीवाड़े के खुलासों के बाद बाबा लगातार इस परीक्षा को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। पहले सरकार इस मामले में सीरियस दिखी लेकिन उपचुनाव के बाद सरकार के स्तर पर कोई हलचल नहीं है। अब राजधानी में बाबा का एक महिला पुलिस अधिकारी के साथ पंगा हो गया। एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करने की बात पर बाबा की महिला थानाधिकारी के साथ बहस हो गई। बहस के बाद मंत्री ने महिला सीआई की खूब खिंचाई की। यहां तक कि उनके खिलाफ पूर्व में हुई शिकायतों को उजागर किया। उधर थानाधिकारी ने मंत्री के व्यवहार को राजकार्य में बाधा बताकर रोजनामचे में रिपोर्ट डाल दी। अब बाबा आग बबूला हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अफसरों और नेताओं के इशारे पर महिला अफसर इतनी हिम्मत कर रही है। उन्होंने सरकार के मुखिया के कान भरने का आरोप भी अफसरों पर लगाया है। दूसरी तरफ अब सरकार और पार्टी स्तर पर बाबा के इन आरोपों को सीरियस नहीं लिया जा रहा है। बाबा की मांगों को अब रोजमर्रा का काम बता कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की जा रही है। राजधानी से ही सत्ता वाली पार्टी के एक विधायक ने कह दिया कि बाबा ने हर काम के लिए संघर्ष किया है। शायद अब संघर्ष विराम का वक्त आ गया है। यह मैसेज बाबा के लिए अब काफी माना जा सकता है।
कौन विधायक जो मदद नहीं कर रहे ?
सूबे में विधानसभा उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद विपक्ष वाली पार्टी में कोई हलचल नहीं है। एक बार लगा कि दिल्ली सीरियस होगी और सब कुछ बदल दिया जाएगा। पिछले हफ्ते ही दिल्ली में विपक्ष वाली पार्टी के संगठन मुखिया और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष पार्टी के सर्वेसर्वा और उनकी बहन से मुलाकात करके लौटे हैं। इस मुलाकात की खबरें अब बाहर आने लगी हैं। खबरों के मुताबिक भाई -बहन ने उपचुनाव के नतीजे को लेकर दोनों नेताओं को कोई उलाहना नहीं दिया। इन दोनों नेताओं के साथ प्रदेश प्रभारी भी बैठक में शामिल रहे। संगठन मुखिया ने पार्टी सर्वेसर्वा के सामने अपना दुखड़ा जाहिर किया है। उनका कहना है कि संगठन चलाने में उनको पार्टी विधायकों और विधानसभा का चुनाव लड़ चुके नेताओं का सहयोग नहीं मिल रहा है। उनका सहयोग नहीं मिलने से संगठन कमजोर हो रहा है और पार्टी में पदाधिकारी भी उनकी पसंद पर ही बन रहे हैं। नेता जो नाम दे देते हैं उन्हें कार्यकारिणी में शामिल कर लिया जाता है लेकिन वे काम नहीं करते और सिर्फ अपने नेता की जी-हजूरी में लगे रहते हैं। पार्टी के सर्वेसर्वा ने संगठन मुखिया और नेता प्रतिपक्ष को हौसला दिया है और आने वाले दिनों में मेहनत के निर्देश भी दिए हैं। इससे लगता है कि अब सूबे में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। अब सवाल यह उठता है कि आखिर वह कौन से विधायक और चुनाव लड़ चुके नेता हैं जो संगठन मुखिया का सहयोग नहीं कर रहे हैं ? इस सवाल का जवाब वैसे तो संगठन मुखिया ही दे सकते हैं लेकिन इस लिस्ट में सबसे ज्यादा युवा नेता के समर्थक विधायक और नेता माने जा रहे हैं। युवा नेता के समर्थक विधायक खुलेआम सरकार के पूर्व मुखिया और मौजूदा संगठन मुखिया की खिलाफत कर रहे हैं। कई विधायक तो सार्वजनिक तौर पर ऐसे बयान जारी कर संगठन मुखिया को घेर रहे हैं जिससे संगठन की किरकिरी हो रही है। मजबूरी है कि उनके द्वारा भेजे गए नामों को कार्यकारिणी में एडजस्ट भी करना पड़ता है। अब दिल्ली की मुलाकात के बाद इसमें कितना बदलाव देखने को मिलता है यह वक्त बताएगा।
"वेलडन मिस्टर एसपी"
जिले के पुलिस कप्तान द्वारा अपराधियों केखिलाफ की जा रही कार्रवाइयों को लेकर जिले के नागरिकों द्वारा उनकी खूब तारीफ की जा रही है। चार्ज संभालने के बाद उन्होंने अपनी पसंद के हिसाब से अफसरों को फील्ड पोस्टिंग दी है । नये अफसर को खासकर नशे के कारोबारियों की धरपकड़ के निर्देश दिए गए हैं। पिछले हफ्ते जिले में हुई एक कांफ्रेंस में आईजी ने भी पुलिस कप्तान की तारीफ की थी। अब बड़ी कार्रवाइयां कर नशे के बड़े सौदागरों को पकड़ने की मुहिम शुरू की गई है। जिले में विशेष शाखा ने कार्रवाई करते हुए एक बड़े तस्कर को करोड़ों की स्मैक के साथ पकड़ा है। इस कार्रवाई के बाद पुलिस कप्तान ने ढिलाई बरतने वाले अफसर और कार्मिकों को सस्पेंड किया है। थाने के इंचार्ज के व्यवहार की जांच की जा रही है। दरअसल जिले में नशे का इतना बड़ा कारोबार पुलिस की ढिलाई से ही चल रहा था। आरोप है किपुलिस के अफसरों की बंधी के कारण बड़े कारोबार हो रहे थे। कई बड़े नाम इस अवैध कारोबार में शामिल हैं और युवाओं को नशे के दलदल में फंसाया जा रहा है। वर्तमान पुलिस कप्तान ने आमजन की पीड़ा को समझा, उन्होंने बिना देर किए नशा कारोबारियों के खिलाफ एक्शन लिया। टाइगर की सख्ती के बाद अब महकमे में चुस्ती आने की उम्मीद बंधी है।