ज्ञानवापी के बाद अब अजमेर दरगाह पर भी संकट के बादल !

1/29/2024 6:30:58 PM

अजमेर, 29 जनवरी । अभी तक ज्ञानवापी मामले का मुद्दा सुलझा ही नहीं कि ऐसा ही दूसरा मुद्दा और सामने आ गया । हाल ही में बरसों से विवादित चल रहे राम मंदिर में भगवान श्रीराम की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हुई है । ऐसे में ज्ञानवापी जैसा ही एक ओर मामला अब राजस्थान के अजमेर में भी देखने को मिला । दरअसल महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने अजमेर दरगाह में पवित्र हिंदू मंदिर होने का दावा किया है। 

ऐसे में उन्होंने मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को पत्र लिखा है । राजवर्धन सिंह परमार ने इस पत्र के जरिए मुख्यमंत्री को अजमेर दरगाह को हिंदू मंदिर बताया है । पत्र में परमार ने कहा कि महाराणा प्रताप सेना लंबे समय से मांग कर रही है कि अजमेर में स्थित दरगाह की जांच की जाए । क्योंकि यह दरगाह, दरगाह नहीं हमारा पवित्र हिंदू मंदिर है । पिछली बार भी हमने इस विषय पर कांग्रेस सरकार को पत्र भेजे थे, लेकिन हिंदू विरोधी कांग्रेस सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। ऐसे में उन्होंने वर्तमान सरकार पर इस मामले की कार्रवाई को लेकर आस जताई है । साथ ही उन्होंने राजस्थान की जनता की मांग बताते हुए कहा कि राजस्थान प्रदेश के अनेक जिलों में जन जागरण यात्रा करने के दौरान कई लोगों ने हमारी मांगों का समर्थन किया है । लिहाजा आपसे अनुरोध है कि जिस तरह अयोध्या बाबरी तथा वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी की जांच की गई । इसी तरह अजमेर में स्थित दरगाह की जांच कराई जाए। ताकि वहां भी मंदिर होने का खुलासा हो सके । वहीं परमार ने अजमेर दरगाह की जांच करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को ज्ञापन सौंपा है । जिसमें महाराणा प्रताप सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवर्धन सिंह परमार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से अजमेर दरगाह की जांच की मांग की है। उन्होंने पत्र में यह भी लिखा कि इसकी मांग हमने पिछली कांग्रेस सरकार में भी की थी, लेकिन तब कोई पहल नहीं हुई ।

वहीं उन्होंने पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण करवाने की मांग की है । हालांकि परमार ने पूर्व गहलोत सरकार को भी मामले से अवगत कराया था और पुरातत्व विभाग से दरगाह का सर्वें करवाने की मांग की गई थी, लेकिन गहलोत सरकार ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया । परमार ने सीएम को लिखे पत्र में कहा कि हिंदू मंदिर को तोड़कर अजमेर में दरगाह बनाई गई थी, इसलिए इसका पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण करवाया जाए, ताकि मंदिर होने के पुख्ता सबूत मिल सके । 

वहीं आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले जयपुर से बीजेपी सांसद रामचरण बोहरा ने भी अजमेर के अढ़ाई दिन के झोपड़े को बनाने के लिए वहां मौजूद संस्कृत विद्यालय को तोड़ने का आरोप लगाया था । बोहरा ने बयान में कहा कि अब वो दिन दूर नहीं जब एक बार फिर से यहां संस्कृत के मंत्र गूंजेंगे । हालांकि अब देखना ये होगा कि वर्तमान सरकार इस मामले पर पुरातत्व विभाग को सर्वेक्षण का आदेश देती है या फिर पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की तरह ही मामले को अनदेखा कर दिया जाएगा । ये तो आने वाले समय ही बताएगा कि भविष्य के गर्त में क्या छिपा है ।
 

Afjal Khan

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