नोटिस तक ही यूआईटी आबू की कार्रवाई रहेगी सीमित या ध्वस्त भी होगी इमारतें..?

10/7/2023 8:34:03 PM

सिरोही : यूआईटी आबू क्षेत्र में बिना किसी विभागीय स्वीकृति के निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी है। उसके बावजूद भी नगर सुधार न्यास आबू द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से क्षेत्र के बिना स्वीकृति के निर्माण कार्य करवाने वाले निर्माणकर्ता बेखौफ नजर आ रहे हैं। जबकि नियमानुसार अनुसार यूआईटी क्षेत्र में जब कोई निर्माण कार्य करवाना होता है तो यूआईटी से स्वीकृति लेनी होती है। जानकारी के अनुसार सेंट जोंस स्कूल के पास शाहिद पुत्र अब्दुल अमीद द्वारा  55×56 का व्यवसायिक भवन का निर्माण बिना किसी सक्षम स्वीकृति के सरेआम किया जा रहा है। जबकि निर्माण कर्ता को यूआईटी आबू द्वारा अंतिम रूप से नोटिस भी थमाया गया है। उसके बावजूद भी न तो निर्माण कार्य रुक रहा है, और नहीं यूआईटी आबू द्वारा कोई ठोस एक्शन अभीतक लिया जा रहा है। जो कहीं सवाल खड़े कर रहा है..? आखिर जब यूआईटी ने स्वयं माना कि बिना सक्षम स्वीकृति के जो निर्माण कार्य किया जा रहा है वो सरासर गलत है। फिर उसे पर कठोर कार्रवाई अभी तक क्यों नहीं हुई..?  दरअसल यह पहला मामला नहीं है यूआईटी क्षेत्र में ऐसे और भी मामले हैं जो बिना सक्षम स्वीकृति के निर्माण कार्य करते हुए देखे गए हैं। यूआईटी आबू द्वारा नोटिस तो दिया जाता है परन्तु  नोटिस के बाद उक्त निर्माण को ध्वस्त करने की कार्रवाई नहीं कि जा रहीं।

यूआईटी आबू के जिम्मेदार अधिकारी कब लेगें ठोस एक्शन..?

नगर सुधार न्यास आबू द्वारा बिना सक्षम स्वीकृति के निर्माण कर्ताओ को नोटिस तो दिया जाता है, परन्तु यूआईटी नोटिस देकर यह भूल क्यो जाती है कि यह बिना  स्वीकृति के किया गया निर्माण कार्य है। जिस पर विभागीय नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए थी। यूआईटी आबू द्वारा कार्रवाई नही करने के पीछे असल क्या वजह है..? जबकि शाहिद अली को अंतिम नोटिस 12 सितम्बर 2023 को दिया गया था। करीब एक महीना होने आया फिर भी यूआईटी आबू द्वारा उस पर कोई ठोस एक्शन नही लिया गया। जबकि मौके पर आज भी कार्य प्रगति पर है। जबकि निर्माण कार्य में को ध्वस्त करने को लेकर यूआईटी ने उन्हें चेताया था फिर भी अभीतक व्यवसायिक भवन में को ध्वस्त नहीं किया गया।

जिम्मेदारो से जवाब मांगते यह सवाल...?

यूआईटी आबू द्वारा बिना सक्षम स्वीकृति के निर्माण करने वाले लोगों को नोटिस तो जारी किए जाते हैं, परंतु नोटिस के बाद उसे अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की कार्यवाही क्यों नहीं होती...? जबकि अक्सर यह देखने में आया है कि यूआईटी आबू के जिम्मेदारो द्वारा छोटे गरीब लोगों पर तो तुरन्त कार्रवाई करके उनके निर्माण कार्य को ध्वस्त कर दिया जाता है। फिर इन बड़े रसूखात वाले लोगों पर यह मेहरबानी क्यों ...? क्या इसके पीछे भी कई राज छुपे हुए हैं..? हम एक देश एक संविधान एक कानून की बात करते हैं,  परंतु क्या कानून व नियम कायदे सिर्फ गरीब लोगों पर ही लागू होंगे या फिर उच्चे रसूखात वाले लोगों पर भी राजकीय नियम कायदे लागू होंगे..? जब गरीब व मध्यम वर्गीय लोगों के बिना स्वीकृति के हुये निर्माण कार्य ध्वस्त हो सकते हैं। तो फिर इन बड़े बड़े रसूखात  वाले लोगों के निर्माण कार्य जो बिना किसी सक्षम स्वीकृति के बने है क्यो ध्वस्त नही होते..? क्या इनके लिए देश में कोई अलग कानून या नियम क़ायदे की व्यवस्था है...? अक्सर कार्रवाई का डंडा उन लोगों पर चलता है, जिनके कोई उच्चे रसूखात नहीं होते और न कोई अप्रोच होती। जबकि उन लोगों के निर्माण कार्य ध्वस्त नहीं होते  जिन लोगों के बड़े-बड़े रसूखात व अप्रोच है ऐसा क्यो..? यूआईटी द्वारा नोटिस के बाद अग्रिम कार्रवाई क्यो नही की जाती..? क्या इसके पीछे भी कई राज है..?


Content Editor

Afjal Khan

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