प्रदेश के इस मंदिर में होती है खंडित शिवलिंग की पूजा, जानिए क्या है कारण ?

Friday, Jul 26, 2024-08:32 PM (IST)

प्रतापगढ़, 26 जुलाई 2024 । जिले के अरनोद उपखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और आदिवासियों का हरिद्वार कहे जाने वाले गौतमेश्वर महादेव मंदिर में हर साल की भांति इस साल भी सावन में लोगों का उत्साह देखने को मिल रहा है। गौतमेश्वर महादेव मंदिर में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की तादाद दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । गौतमेश्वर महादेव मंदिर विश्वभर में इसलिए भी प्रसिद्ध हैं, क्योंकि यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां खंडित शिवलिंग की पूजा की जाती है । इसके साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अपने किए हुए पापों से मुक्ति के लिए भी प्रमाण पत्र भी दिया जाता है । हिन्दू धर्म शास्त्रों में खंडित देव प्रतिमाओं, खंडित शिवलिंग और तस्वीरों के पूजन को शुभ नहीं माना जाता, लेकिन जिले का गौतमेश्वर ऐसा शिवालय है, जहां गौतमेश्वर महादेव दो भागों में विभाजित हैं । पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होने के बाद भी यहां का शिवलिंग पूजनीय है । 
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खंडित शिवलिंग के पीछे की प्रचलित कहानी 
कहा जाता है कि मोहम्मद गजनवी जब मंदिरों पर आक्रमण करते हुए यहां पहुंचा तो उसने गौतमेश्वर महादेव शिवलिंग को भी खंडित करने का प्रयास किया । शिवलिंग पर प्रहार करने पर पहले तो शिवलिंग से दूध की धारा निकली, दूसरे प्रहार पर उसमें से दही की धारा निकली । इसके बाद जब गजनवी ने तीसरा प्रहार किया तो शिवलिंग से आंधी की तरह मधुमक्खियों का झुंड निकला, जिसने गजनवी सहित उसकी सेना पर हमला बोल दिया । गजनवी ने शिवलिंग के सामने शीश नवाया और मंदिर का पुन: निर्माण करवाकर एक शिलालेख भी लगवाया । आज भी शिलालेख मंदिर में लगा हुआ है । 

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दूर-दूर से आते हैं यहां श्रद्धालु 
आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से प्रसिद्ध धार्मिक और पर्यटक स्थल गौतमेश्वर महादेव मंदिर में राजस्थान सहित मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के श्रद्धालु भी दर्शन के लिए आते हैं । सावन के महीने में यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता । पहाड़ों के बीच में स्थित महादेव का यह मंदिर ऊंचे-ऊंचे झरनों से ढका हुआ है । पौराणिक मान्यता के चलते इस मंदिर से लोगों का अधिक जुड़ाव है । इसके साथ ही खंडित शिवलिंग की पूजा भी लोगों को अपनी और आकर्षित करती है। 

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Content Editor

Chandra Prakash

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